श्रीलंका में बढता हुआ बौद्ध पंथ का प्रभाव तथा भारत के शत्रुराष्ट्रों से निकटता रखनेवाला श्रीलंका !

बौद्ध पंथ एक उपासनापद्धति है तथा वह विशाल हिन्दू धर्म का ही एक अंग है, ऐसा भारतियों का दृष्टिकोण है; परंतु श्रीलंका में बौद्ध पंथ के लोग बहुसंख्यक होने के पश्‍चात जिहादियों की भांति हिन्दू धर्मपर ही आक्रमण कर रहे हैं ।

रामायणकाल का इतिहास प्राप्त तथा आज के दिन बौद्धों के प्रभाववाला कदरगामा (श्रीलंका) का कार्तिकेय स्वामी का जागृत मंदिर !

अधिकांश तमिल भाषियों की कुलदेवता कार्तिकेय स्वामी हैं । तमिलनाडू में कार्तिकेय स्वामी के ६ स्थान विख्यात हैं । उसके पश्‍चात भारत के बाहर का कार्तिकेय स्वामी का सबसे विख्यात तथा जागृत मंदिर है श्रीलंका के कदरगामा में ! ‘कदरगामा’ एक बौद्ध नाम है ।

श्रीलंका में जहां सीतामाता ने अग्निपरीक्षा दी, उस स्थान की गुरुकृपा से संपन्न अविस्मरणीय यात्रा !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी तथा छात्र-साधकों द्वारा की गई रामायण से संबंधित श्रीलंका की अध्ययन यात्रा ! रामायण में जिस भूभाग को लंका अथवा लंकापुरी कहा जाता है, वह स्थान है आज का श्रीलंका देश ! त्रेतायुग में श्रीमहाविष्णुजी ने श्रीरामावतार धारण किया तथा लंकापुरी जाकर रावणादि असुरों का नाश किया ।

सीतामाता तथा हनुमानजी के पदस्पर्श से पवित्रत तथा केवल दर्शनमात्र से भाव जागृत करनेवाली श्रीलंका की अशोक वाटिका !

रामायण में जिस भूभाग को लंका अथवा लंकापुरी कहा गया है, वह स्थान आज का श्रीलंका देश है । त्रेतायुग में श्रीमहाविष्णुजी ने श्रीरामावतार धारण किया तथा लंकापुरी जाकर रावणादि असुरों का नाश किया । इस स्थानपर युगों-युगों से हिन्दू संस्कृति ही थी ।