विकार-निर्मूलन एवं साधना की अडचनों पर उपयुक्त : सर्वबाधानाशक यंत्र !

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१. यंत्र की उपयुक्तता

हमेशा बीमार पडना अथवा अपघात होने से साधना में बाधा आना, आध्यात्मिक कष्ट होना अथवा सेवा करते समय सेवा से संबंधित उपकरण, वाहन इत्यादि बंद पडना अथवा अन्य कुछ बाधाएं आना, इन सभी पर यह यंत्र उपयुक्त है ।

 

२. यंत्र बनाने संबंधी सूचना

यंत्र बनाने के लिए ६० प्रतिशत अथवा उससे भी अधिक स्तर के अथवा भावयुक्त साधक जिन्हें अनिष्ट शक्तियों का कष्ट नहीं है, ऐसे साधक उपलब्ध हों तो उनसे यह यंत्र बनवा लें । यदि यह संभव न हो, तो स्वयं बना लें ।

 

३. यंत्र बनाने की पद्धति

अ. यंत्र बनाने से पहले हाथ-पैर धोएं ।

आ. यंत्र का उद्देश्य सफल होने के लिए अपने उपास्यदेवता से प्रार्थना करें ।

इ. दोनों ओर से कोरा चौकोन कागद लें और उसके मध्यभाग में यह यंत्र पेन से बनाएं ।

ई. यंत्र के अंक लिखते समय छोटी संख्या से आरंभ कर बडी संख्या तक लिखते जाएं, उदा. यंत्र में यदि ‘१’ अंक है तो बनाए गए चौकोन में सर्वप्रथम उसे लिखें । तदुपरांत २ अंक हो, तो दिए गए चौकोन में वह लिखें । ऐसी पद्धति से अगले-अगले अंक उस-उस चौकोन में लिखते जाएं ।

उ. अंक लिखते समय ‘ॐ ह्रीम नमः ।´, ऐसे जप करें ।

 

४. यंत्र से संबंधित उपचार

यंत्र बनाने के पश्चात उसे उदबत्ती दिखाएं और जो अडचनें आ रही हैं, वे दूर होने के लिए यंत्र से प्रार्थना करें ।

 

५. यंत्र उपयोग में लाने की पद्धति

अ. यंत्र प्लास्टिक की थैली में डालकर उसे अपने पास रखें (उदा. जेब में रखें) अथवा उपकरण से संबंधित अडचन आ रही हो तो उसे उस उपकरण के समीप रखें ।

आ. प्रतिदिन यंत्र वस्त्र से पोछें और उसे उदबत्ती दिखाएं, इसके साथ ही अडचन दूर होने हेतु प्रार्थना करें ।

इ. जेब में रखा यंत्र शौचालाय में जाते समय अच्छे स्थान पर निकालकर रखें ।

६. अडचन दूर होने पर यंत्र पूजाघर में रखें ।

अडचन दूर होने पर यंत्र पूजाघर में रखें । जब पुन: अडचन आए, तो पुन: उसका उपयोग करें ।

(संदर्भ : सनातनका आगामी ग्रंथ विकार-निर्मूलन हेतु आध्यात्मिक यंत्र
– (पू.) डॉ. मुकुल गाडगीळ, गोवा. (६.७.२०१६)

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