सनातन के आश्रम में वेद, पुराण एवं उपनिषद के अनुसार किया जानेवाला आचरण अनुकरणीय ! – प्रा. डॉ. रमाकांत शर्मा

जयपुर (राजस्थान) के प्रा. डॉ. रमाकांत शर्मा द्वारा देवद आश्रम की सद्भावना भेंट !

प्रा. डॉ. रमाकांत शर्मा को ‘गुरुकृपायोगानुसार साधना’ यह ग्रंथ भेंट देते हुए पू. श्री. शिवाजी वटकरजी

 

प्रा. डॉ. रमाकांत शर्माजी का अल्प-सा परिचय

प्रा. डॉ. रमाकांत शर्माजी, आयुर्वेद में एम.डी., पीएच.डी. होने के साथ-साथ एम.ए., एम.बी.ए. भी हैं । वे जयपुर के ‘नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद’ के सेवानिवृत्त प्राध्यापक हैं । उनकी आयुर्वेदीय औषधियों का उत्पादन करनेवाली ‘गौरव मैन्युफैक्चरिंग फार्मसी’ है । वे भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के भी सदस्य हैं ।

पनवेल (महाराष्ट्र) – जयपुर के प्रा. डॉ. रमाकांत शर्मा ने ८ फरवरी को देवद (पनवेल) के सनातन आश्रम को सद्भावना भेंट दी । साधक श्री. ओंकार कापशीकर ने उन्हें आश्रम दिखाया । ‘‘सनातन के आश्रम में वेद, पुराण एवं उपनिषद के अनेक वचन तथा सूचनाओं के अनुसार आचरण किया जाता है और वह प्रभावशाली तथा अनुकरणीय है !’’, ऐसा उन्होंने इस समय कहा ।

आश्रम देखकर उन्होंने कहा कि ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी एवं संतों की सूक्ष्म अनुभूति आश्रम के परिसर में अनुभव होती है ।’ इस समय सनातन संस्था के जालस्थल (वेबसाइट) एवं कार्य के विषय में श्री. यज्ञेश सावंत ने उन्हें जानकारी दी । इस समय उन्होंने कहा कि ‘‘आपके कार्य की व्याप्ति बडी है । इस कार्य में मैं आपकी क्या साहयता कर सकता हूं यह बताएं । कौनसी वनस्पतियों का रोपण कर सकते हैं, यह मैं आपको बताऊंगा ।’’

सनातन के संत पू. शिवाजी वटकरजी ने प्रा. डॉ. शर्मा को ग्रंथ भेंट देकर उनका सम्मान किया । उन्हें सनातन के हिन्दी भाषा के ग्रंथ – गीताज्ञानदर्शन, अध्यात्म का प्रस्तावनात्मक विवेचन, गुरुकृपायोगानुसार साधना तथा अंग्रेजी भाषा का ग्रंथ – ‘फॉलो आयुर्वेद एण्ड रिमेन हेल्दी विदाउट मेडिसीन’ भेंट में दिया ।

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