एक नई बात ध्यान में आई कि न्यायालय में अभियोग प्रविष्ट होने के पूर्व ही पुलिस संबंधित सूत्र सबको बताती है । इस विषय में न्यायालय ने भी खेद व्यक्त किया है । डॉ. दाभोलकर, पानसरे, कलबुर्गी के हत्या-प्रकरण में आरोपियों पर लगाए आरोपों में यदि कुछ तथ्य है, तो ही शीघ्र आरोपपत्र प्रविष्ट करें । अन्यथा कर्नल पुरोहित या साध्वी प्रज्ञासिंह के समान स्थिति होगी । उन पर अभीतक आरोपपत्र भी प्रविष्ट नहीं हुआ है । शिवसेना अपराधी का पक्ष नहीं लेगी; पर अकारण संदेह निर्माण करना और प्रमाण नहीं मिले तो उसका क्या उपयोग ?
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ठोस प्रमाण के अभाव में केवल संदेह का भूत दिखाकर डराना किस काम का ? – उद्धव ठाकरे, शिवसेना पक्षप्रमुख
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