प्रेस की स्वतंत्रता का डंका पीटनेवाले सनातन विरोधी पत्रकारों का वास्तविक रूप !

पत्रकारों का वास्तविक रूप

दैनिक सनातन प्रभात के जून २०१३ के एक अंक में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु धर्मक्रांति की आवश्यकता विषद करनेवाला एक लेख प्रकाशित हुआ था । यह लेख राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बडा संकट है, ऐसा भ्रम कुछ पत्रकारों को हुआ और उस सूत्र के आधार पर हम पर प्रश्‍नों की बौछार की गई । हमारा आक्षेप प्रश्‍नों पर नहीं, प्रश्‍नों के पीछे छिपे उद्देश्य पर है । इसलिए हमसे प्रश्‍न करनेवाले पत्रकारों के लिए हमारे भी कुछ प्रश्‍न हैं ।

संकलनकर्ता : श्री. नागेश गाडे, समूह संपादक, सनातन प्रभात.

 

सनातन प्रभात से उत्तर मांगनेवाले आधुनिक पत्रकारों के लिए कुछ प्रश्‍न !

१. पत्रकारिता के क्षेत्र में केवल सनातन प्रभात से ही उत्तर मांगने की
पत्रकारों की मानसिकता क्या प्रेस की स्वतंत्रता का हनन नहीं करती ?

एक महिला पत्रकार ने दूरभाष कर उपरोक्त लेख पर मुझसे उत्तर मांगा । ऐसा ही प्रश्‍न किसी हिन्दुत्वनिष्ठ ने उस पत्रकार से या उसके संपादक से पूछा होता, तो वे प्रेस की स्वतंत्रता संकट में होने का कितना बडा विवाद खडा कर देते, यह बताने की आवश्यकता नहीं । एक समाचार-पत्र में प्रकाशित विषय पर दूसरे समाचार-पत्र द्वारा आक्षेप उठाने की प्रथा नहीं है, उदाहरणार्थ लोकसत्ता और महाराष्ट्र टाइम्स एक-दूसरे के लेख पर आक्षेप नहीं उठाते; क्योंकि पत्रकारिता की प्रचलित प्रथा के अनुसार दोनों को एक-दूसरे की स्वतंत्रता की रक्षा करनी होती है । परंतु सनातन प्रभात के संदर्भ में इस प्रथा का पालन नहीं किया जाता । आज केवल सनातन विवादों में है, इसलिए सनातन प्रभात के चार वाक्यों को तोडमरोड कर विवाद खडा करने में माध्यमों की रुचि अधिक है । समाचार-पत्र समूह एक-दूसरे से प्रश्‍न करने की प्रथा आरंभ करना ही चाहते हैं, तो हम भी पीछे नहीं हटेंगे । इसी निमित्त समाचार-पत्रों की बिकाऊ मानसिकता पाठकों के समक्ष रखने का अवसर मिल रहा है, तो उसका लाभ उठाने के लिए हम तैयार हैं, क्या अन्य प्रचारमाध्यम भी इसके लिए तैयार हैं ?

२. पांच वर्ष पहले सनातन प्रभात में प्रकाशित लेख के कारण
राष्ट्रीय सुरक्षा संकट में पड गई थी, तो उसी समय शिकायत क्यों नहीं की ?

सनातन प्रभात में धर्मक्रांति के विषय में प्रकाशित लेख जून २०१३ का है । यह लेख पत्रकारों के पास लानेवाले महाशय (?) से क्या इन पत्रकारों ने प्रश्‍न किया ? यदि यह लेख राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इतना बडा संकट था, तो ५ वर्ष पहले ही उसकी शिकायत क्यों नहीं की ? देश की सुरक्षा के लिए संकटदायक (?) अंक की प्रति ५ वर्षों तक सहेजकर रखनेवाला यह व्यक्ति भी क्या उतना ही बडा अपराधी नहीं है ? इस व्यक्ति के विरुद्ध सनातन प्रभात से उत्तर मांगनेवाले राष्ट्रप्रेमी पत्रकारों ने क्या कार्रवाई की ?

३. आधुनिकतावादी पत्रकार हिन्दुत्वनिष्ठ
पत्रकारों को प्रेस की स्वतंत्रता से क्यों वंचित रखते हैं ?

हाल ही में पुण्यप्रसून वाजपेयी और अभिसार शर्मा जैसे प्रसिद्ध पत्रकारों ने अपनी समाचार वाहिनी को त्यागपत्र सौंपा । वैसे पत्रकारों का एक समाचार-पत्र छोडकर दूसरे समाचार पत्र अथवा वाहिनी में कार्यरत होना बहुत बडी आश्‍चर्यजनक घटना नहीं है । तब भी इन दोनों के त्यागपत्र बहुत चर्चा में रहे । इन दोनों ने अपने शो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आलोचनाआें की बौछार की, जिसके कारण मोदीराज डगमगा गया और अंततः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हस्तक्षेप कर इन पत्रकारों को हटाया । तथापि ये सब माध्यमवीरों के अनुमान थे और इसका मुखौटा बनी थी प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारिता का दमन !

पुण्यप्रसून वाजपेयी और अभिसार शर्मा के बहाने हमारे पत्रकार बंधुआें ने ऊंचे स्वर में जो यह ढोल पीटे, वे उचित है कि अनुचित यह प्रश्‍न अभी एक ओर रख देंगे । यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि प्रेस की स्वतंत्रता की आड में हिन्दुत्वनिष्ठ मोदी सरकार पर वाक्बाण चलानेवाले आधुनिकतावादी पत्रकार, हिन्दुत्वनिष्ठ पत्रकारों को प्रेस की स्वतंत्रता से वंचित रखते हैं । इसीलिए सनातन प्रभात के लेख समाचार बन जाते हैं । वैसे यह हमारे लिए गर्व की बात है; परंतु प्रचारमाध्यम यह पूरा समाचार विकृत रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो आक्षेपजनक है ।

४. आधुनिकतावादी पत्रकार थोडा आत्मपरीक्षण भी करें !

देश की सुरक्षा से कोई लेना-देना न तो हमसे उत्तर मांगनेवाले पत्रकारों को है, न ही ५ वर्ष अंक सहेजकर रखनेवालों को है । आज सनातन विवादों में है; इसलिए और विवाद खडा करने का अवसर ये सब खोज रहे है । एक हम ही समझदार हैं, इस घमंड में रहनेवाले पत्रकार बंधुआें को इस बात का आत्मपरीक्षण करना चाहिए कि कहीं मैं किसी दूसरे पत्रकार को स्वतंत्रता से वंचित तो नहीं रख रहा हूं !

 

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्यरत हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य !

१. प्रेरणास्रोत तथा स्थापना

धर्मजागृति, धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा, हिन्दू-संगठन आदि द्वारा हिन्दू राष्ट्र-स्थापना का कार्य, हिन्दू जनजागृति समिति का लक्ष्य है ।

२. हिन्दुआें को धर्मशिक्षा देनेवाले उपक्रम

अ. हिन्दू आचार तथा साधना आदि की शिक्षा देनेवाले धर्मशिक्षावर्ग ! ४४६ निःशुल्क धर्मशिक्षावर्गों द्वारा हिन्दुआें को धर्मशिक्षा !

आ. ७ भाषाआें में, १३ राज्यों में १ सहस्र ४२५ से अधिक हिन्दू धर्मजागृति सभाआें द्वारा १७ लाख ६० सहस्र से अधिक हिन्दुआें में जागृति !

इ. ७ सहस्र से भी अधिक फलक-प्रदर्शनियों द्वारा राष्ट्र एवं धर्मजागृति !

३. हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए उद्बोधन

अ. वैलेंटाईन डे इ. पाश्‍चात्य कुप्रथाओं के विरुद्ध जागृति !

आ. सार्वजनिक उत्सव आदर्श पद्धति से तथा अप्रिय घटनाओं रहित संपन्न हों, इस हेतु उद्बोधन !

४. हिन्दू-संगठन का कार्य

अ. गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष २५ से भी अधिक स्थानों पर हिन्दू-संगठन सम्मेलन !

आ. वर्ष २०१२ से प्रतिवर्ष गोवा में अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनों द्वारा २० राज्यों के १२५ से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन एकजुट !

इ. ८ राज्यों में ३० से भी अधिक प्रांतीय हिन्दू अधिवेशन !

५. अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन

७ वां अधिवेशन (जून २०१८) : ३ देश तथा १८ राज्यों के १७५ से भी अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के नेता, साथ ही धर्माचार्य, विचारक, संपादक, लेखक, अधिवक्ता आदि कुल ३७५ लोगों का सहभाग !

६. हिन्दू समाज का हित साधनेवाले उपक्रम

अ. स्वरक्षा व प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षणवर्ग !

आ. उत्तराखंड के बाढग्रस्त, असम के दंगाग्रस्त, और विस्थापित हिन्दुआें की यथाशक्ति सहायता !

इ. मंदिरों की स्वच्छता व निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर !

ई. उद्बोधन, वैधानिक पद्धति से आंदोलन तथा न्यायालयीन संघर्ष के माध्यम से ४०० से भी अधिक देवताआें के अनादर की घटनाआें को रोका !

७. जालस्थल : www.HinduJagruti.org

८. राष्ट्र एवं धर्म के विषय में जागृति

अ. राष्ट्र-धर्मरक्षा के उपाय, धर्माचरण का महत्त्व, हिन्दू राष्ट्र-स्थापना इ. पर व्याख्यान !

आ. धर्म तथा समाज का पक्ष रखने हेतु दूरदर्शन वाहिनी पर होनेवाली परिचर्चाआें में सहभाग !

इ. धर्मशिक्षा, गोरक्षा, गंगारक्षा, मंदिररक्षा, राष्ट्ररक्षा, स्वभाषारक्षा, बांग्ला देशी एवं कश्मीरी हिन्दुआें के साथ किए जानेवाले अत्याचार, क्रांतिकारियों का स्मरण, हिन्दू राष्ट्र इत्यादि विषयों पर आधारित फलक प्रदर्शनियां !

ई. सार्वजनिक स्थानों के फलकों (ब्लैकबोर्ड) पर प्रतिदिन जागृति करनेवाला लेखन !

९. राष्ट्र एवं धर्मरक्षा के उपक्रम

अ. राष्ट्रध्वज का अनादर रोकने हेतु अभियान !

आ. न्यायालयीन संघर्ष कर प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों पर प्रतिबंध लगाए जाने में बडा योगदान !

इ. भारत का अयोग्य मानचित्र दिखानेवाले प्रतिष्ठानों के विरुद्ध सफल जनजागृति अभियान !

ई. पाठ्यपुस्तकों में इतिहास के किए गए विकृतीकरण के विरुद्ध आंदोलन !

उ. समिति द्वारा चलाए गए सफल आंदोलन के कारण गोवा शासन ने १० वीं कक्षा के इतिहास की पुस्तक में परिवर्तन किया ।

ऊ. हिन्दू राजा, राष्ट्रपुरुष तथा क्रांतिकारियों के स्मृतिदिवस पर कार्यक्रमों का आयोजन !

 

१०. धर्मरक्षा के उपक्रम

अ. देवताआें का अनादर, संतों की अपकीर्ती तथा धर्मद्वेषियों के भाषणों को रोकने के लिए जनजागृति तथा आंदोलन !

आ. मंदिरों में की जानेवाली चोरियां, मूर्तिभंजन, अतिक्रमण के नाम पर मंदिरों को गिराना, मंदिरों की संपत्ति में होनेवाला भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन !

इ. अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून, मंदिर अधिग्रहण कानून, तथा सांप्रदायिक व लक्ष्यित हिंसाविरोधी अधिनियम इन हिन्दू विरोधी कानूनों के विरुद्ध सफल जनजागृति व आंदोलन !

ई. लव जिहाद, धर्मांतर तथा गोहत्या रोकने हेतु समविचारी संगठन तथा लोगों के साथ संगठित कार्य तथा आंदोलन !

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