घर के घर में ही पौधों की निर्मिति कर रोपण कैसे करें ?

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किसी पेड अथवा पौधे से नया रोप तैयार करने के लिए यह जानना महत्त्वपूर्ण है कि उस पेड का कौनसा भाग उपयोगी है । कुछ पौधे टहनियों से, कुछ बीजों से, कुछ जडों से, तो कुछ पत्तों से किए जा सकते हैं । पौधे के प्रत्येक भाग का उपयोग केसे करना है, यह ज्ञात होने पर हम दूसरे पौधे घर के घर ही में कर सकते हैं । उसके लिए नर्सरी में (रोपवाटिका में) जाने की आवश्यकता नहीं पडती । इसके साथ ही कोई पौधा किसी कारणवश मर जाएगा, ऐसा लगे, तो तुरंत ही उसके जीवित रहते ही हम उससे दूसरा पौधा तैयार कर सकते हैं ।

डॉ. नंदिनी बोंडाळे

 

१. टहनी से तैयार होनेवाले नए रोप

अ. जिन पेड-पौधों के नए रोप टहनियों से तैयार होते हैं, ऐसे पेड-पौधों की टहनियां काटकर, उसका उपयोग हम नए रोप तैयार करने के लिए कर सकते हैं । इसके लिए अत्यंत ही नई और कोमल अथवा बहुत पुरानी टहनी का उपयोग न करें । इसलिए सर्वसाधारणत: कटी हुई टहनी का मध्य भाग लें ।

आ. टहनी साधारणत: ६ से ८ इंच लंबी होनी चाहिए । ६ से ८ इंच लंबी टहनी को ४ से ५ पेरे (पेर अर्थात जहां पत्ते टहनी से सटे होते हैं) अपेक्षित है । पेर के निकट आंख होती है जिससे नई टहनियां तैयार होती हैं । इसके साथ ही पेर के निकट से ही टहनी को जडें भी आती हैं ।

इ. नया पौधा तैयार करने के लिए टहनी मिट्टी में लगाएं, अर्थात उसे मिट्टी में सीधे लगाएं । मिट्टी के अंदर गए हुए भाग के पेरों से जडें निकलती हैं और ऊपर के पेरों से नए पत्ते आएंगे । इसलिए कम से कम २-३ पेर मिट्टी में जाएं, ऐसा देखें ।

ई. टहनी मिट्टी में लगाते समय मिट्टी में जानेवाले पेरों के निकट के पत्ते काटें । टहनी मिट्टी में सीधे ने गाढते हुए पहले लोहे की सलाई अथवा लकडी से मिट्टी में टहनी लगाने के लिए जगह बनाएं । टहनी सीधे मिट्टी में गाढने पर, टहनी के निचले पेरों को हानि पहुंचती है ।

ए. टहनी से होनेवाले कुछ फूलपौधे
तगर, अनंत, बोगनवेल, गुडहल, एक्जोरा, मोगरा (बेला), गुलाब, रातरानी, सभी रंगों के क्रोटन (शोभा के पौधे)

 

२. बीज से होनेवाले नए रोप

बीज बोते समय उसे मिट्टी में कितनी गहराई में बोने चाहिए, यह ज्ञात न होने पर कई बार बोए गए बीजों में से कुछ नहीं उगता । प्रत्येक बीज का आकार एवं आकारमान भिन्न होता है । तुलसी के बीज एकदम छोटे होते हैं, जबकि मटर के बीजों का आकार बडा होता है । बीज बोने के पश्चात उसपर मिट्टी की परत, अधिक से अधिक बीज से तिगुनी हो । उससे अधिक नहीं । इसका अर्थ तुलसी के बीज अथवा मिरची, टोमेटो इत्यादि के बीजों पर मिट्टी एकदम थोडी-सी ही डालें, जबकि मटर पर १ सेंमी मोटी मिट्टी की परत डाल सकते हैं । मिट्टी की परत अधिक हो जाए और यदि बीज उसे भेद कर ऊपर न आ पाए, तो बीज उगेगा नहीं । इसलिए सामान्यत: बीज के आकार की दुगुनी मिट्टी की सतह उस पर होनी चाहिए ।

२ अ. बीज से उगनेवाले कुछ पौधे

गोकर्ण, अबोली, गेंदा, सदाबहार, तुलसी, सूर्यफूल

 

३. कंद-जडों से आनेवाले नए पौधे

गुलबकावली,सर्वज्जय, लिली इत्यादि के नए रोप उनके कंद से तैयार कर सकते हैं । एक कंद को पौधे आने पर उस पर फूल खिलने पर वह पौधा बढता है और नए रोप आते हैं । ये नए रोप यदि अन्यत्र लगाना हो, तो पुराने पौधे के फूल खिलने के पश्चात कंद के आसपास की मिट्टी को भुरभुरी बनाएं और नए रोप के पत्तों के नीचे को कंद सहित उसे पुराने कंद से हाथ से तोडकर अलग करें । उसे काटें नहीं । कंद तोडकर अलग करने से पौधे की दृष्टि से वह योग्य स्थान पर ही टूटता है । यह कंद मिट्टी में लगाते समय पूर्णरूप से मिट्टी से ढक जाएगा, इतना गहरा गढ्ढा बनाकर उसमें रखें और मिट्टी से पूर्णरूप से ढक दें । नया अंकुरित पौधा सभी पत्तों सहित भूमि के ऊपर होना चाहिए ।

३ अ. कंद से आनेवाले कुछ पौधे

गुलबकावली,सर्वज्जय, लिली, रजनीगंधा, अरबी, अदरक, वेखंड, हेलिकोनिया.

 

४. पत्तों से आनेवाले नए पौधे

नए पौधों के लिए कुछ पौधों के पत्ते भूमि पर लगाने पडते हैं । सामान्यत: इन पौधों के पत्तों के किनार की खांच से नए पौधे अंकुरित होते हैं । इसके साथ ही जडें भी निकलती हैं । पत्तों की मोटाई अत्यंत अल्प होने से पत्ते लगाते समय भूमि पर आडा रखें । पत्तों की खांच मिट्टी की पतली सतह से ढक दें । उस पर पानी डालते समय वह मिट्टी से धुल न जाए, इसकी सावधानी बरतें ।

४ अ.पत्तों से आनेवाले कुछ पौधे

ब्रह्मकमल, पर्णबीज

– डॉ. नंदिनी बोंडाळे, ठाणे
(साभार : दैनिक ‘लोकमत’)

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