घर के घर ही में करें बैंगन का रोपण

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‘हमारे आहार में बैंगन का उपयोग नियमित होता है । बैंगन जैसे विविध आकारों में आते हैं, वैसे ही उनका उपयोग रसोईघर में भी विविध प्रकार से होता है । बैंगन की सब्जी, भरवां बैंगन, बैंगन के पकौडे इत्यादि अनेक प्रकार से हम बैंगन खाते हैं । हम घर के घर ही में बैंगन की फसल वर्षभर ले सकते हैं ।

श्री. राजन लोहगांवकर

 

१. बीजों से पौधों की निर्मिति

बैंगन का रोपण करने से पहले हमें उनके पौधे तैयार करना आवश्यक होता है । बैंगन के बीज रोपवाटिका से लाएं । (कुछ शहरों में बीजों की दुकानें होती हैं । उन स्थानों पर भी बैंगन के बीज मिल सकते हैं । – संकलक) बैंगन के विविध प्रकारों के अनुसार अलग-अलग बीज उपलब्ध होते हैं । हमें जो चाहिए, वैसे बीज लेकर आएं । पौधे निर्माण करने के लिए फैला हुआ बर्तन (ट्रे), कागद के कप, प्लास्टिक के अथवा पुठ्ठे के छोटे खोके (बक्से) लें । अतिरिक्त पानी बह जाने के लिए नीचे छिद्र कर लें । इसमें ‘पॉटिंग मिक्स’से (जैविक खाद डाली हुई मिट्टी से) आधे से ऊपर भरकर उस पर पानी का छिडकाव कर लें । (‘पॉटिंग मिक्स’ के स्थान पर प्राकृतिक पद्धति से जीवामृत का उपयोग पत्ते और घासफूस को सडाकर बनाई हुई ह्यूमस (उर्वरित मिट्टी) का भी उपयोग कर सकते हैं । – संकलक) मिट्टी समतल (एकसमान) करके उस पर कतार में बैंगन के बीज बो दें । संभव हो तो बैंगन के विविध प्रकारों के लिए अलग-अलग फैले बर्तन अथवा खोकों का उपयोग करें । बीजों पर आधे से पौन इंच जैविक खाद मिश्रित मिट्टी फैलाकर ‘स्प्रे’ से पानी छिडकें । बीजों पर चीटियां न लगें, ऐसे स्थान पर और छाया में इस पद्धति से रखें कि उन्हें धूप भी मिले । ५ से ७ दिनों में बीज उग आएंगे । ‘स्प्रे’ से नियमित पानी देते रहें । पानी अधिक डालने पर पौधे गिर जाएंगे । इसलिए पानी हलके हाथों से ही छिडकें । साधारणत: ३ – ४ सप्ताह में पौधे बडे हो जाएंगे । पौधे ६ से ८ इंच ऊंचे होने पर अथवा प्रत्येक पौधे पर ४ से ६ पत्ते आने पर हम उसे दूसरे स्थान पर लगा सकते हैं ।

 

२. बैंगनों के पौधों का पुन: रोपण

बैंगन के एक पौधे के लिए १५ से २० लीटर क्षमता का गमला पर्याप्त होता है । गमले की गहराई एक से सवा फुट होना आवश्यक है । गमले के तले पर और सर्व ओर से आवश्यक उतने छिद्र कर उसे हमेशा की भांति भर लें । अंदर की जैविक खाद मिश्रित मिट्टी गीली करके बीचोबीच हाथ से गढ्ढा बनाकर, पौधे लगाएं और फिर हलके हाथों से मिट्टी दबा दें । थोडा-सा पानी भी दें । बैंगन के पौधों में बैंगन आना आरंभ होने पर आधार की आवश्यकता होती है; इसलिए पौधे छोटे होने पर ही गमलें में उसे आधार देने के लिए कुंडी में लकडी लगा कर रखें । गमला बडा होगा, तो २ पौधों में एक से डेढ फुट का अंतर रखें । भूमि पर पौधे लगाना हो, तो २ पौधों में डेढ फुट एवं दो कतारों में २ फुट का अंतर रखें । आधार देने के लिए प्रत्येक के लिए १ लकडी गाढें । पौधे खडे रहें, इसलिए उसे आधार के लिए गाडी हुई लकडी के साथ मोटी डोरी से बांध दें । केवल ध्यान रहे कि जड के निकट डोरी कसकर न बांधें ।

 

३. बैंगन के पौधों की देखभाल

३ अ. भूमि से लगे हुए पत्ते छांटना

पौधे मिट्टी में लग जाने पर भली-भांति बढने लगते हैं । पौधे पर भूमि से सटकर जितने पत्ते होंगे, वे काटकर पौधे की जडों पर फैलाएं । जडों के पास जितने भी पत्ते होंगे, उन्हें काटकर पौधों की जडों के पास बिछा दें । जड एवं पत्तों की टहनियों के मध्य भाग में छोटे पत्ते दिखाई देते होंगे, तो उन्हें भी निकाल दें । मिट्टी की सतह तक धूप भली-भांति पहुंचेगी, ऐसी पद्धति से पौधों के निचले भाग से पत्ते निकालें । पौधों के सिरे खोटने से पौधों आडे फैलते हैं और अधिक टहनियां आती हैं । इससे अधिक बैंगन मिलते हैं ।

३ आ. पानी एवं खाद व्यवस्थापन

बैंगन के पौधों को पर्याप्त पानी नियमितरूप से डालें । इससे पौधे निरोगी रहेंगे । आच्छादन का उपयोग आवश्यक उतना करने से मिट्टी में नमी बनी रहेगी । (‘पौधे की जडों के समीप सूखे-गीले पत्ते और घासफूस बिछाना’, इसे आच्छादन कहते हैं । – संकलक) प्रत्येक १५ दिनों में (१० गुना पानी डाला हुआ जीवामृत इत्यादि) द्रवरूप खाद का छिडकाव एवं २ – ३ सप्ताह में कंपोस्ट खाद (एक प्रकार से जैविक खाद) डालते रहें । कंपोस्ट डालते समय उसे आच्छादन के नीचे डालकर उस पर पुन: आच्छादन डालें ।

३ इ. कीडों का व्यवस्थापन

बैंगन की फसल पर रुई समान कीटकों के समूह से आक्रमण कष्ट होता रहता है । इसलिए पौधों का नियमित निरीक्षण करते रहें । ऐसे कीडे दिखाई देते ही, उसे त्वरित निकाल फेंके । पानी का फव्वारा मारने से कीडे चले जाते हैं । ‘नीमार्क’ (नीम की पत्तियों का अर्क) अथवा गोमूत्र अथवा अन्य कोई जैविक कीटकनाशक होगी, तो उसका छिडकाव करें । इससे कीडे फैलेंगे नहीं । इस फसल में फलमक्खी (fruit fly) का भी बहुत कष्ट होता है । उसके लिए घर में ही फलमक्खीदानी (fruit fly trap) बनाकर बगीचे में रखें, तो उस पर भी अच्छा नियंत्रण होता है ।

३ इ १. फलमक्खी ट्रैप बनाकर उसका उपयोग करना

प्लास्टिक की बोतल का मुंह काट लें । उसके अंदर तेल, जेली, पतला किया हुआ गुड इत्यादि कोई भी चिपचिपा द्रव्य भरें । उस पर छोटी कटोरी में मीठी सुगंधवाले फल के टुकडे रखें । बोतल में सभी ओर से सामान्यत: १ सें.मी. व्यास के छिद्र करें । बोतल के ऊपरी भाग को प्लास्टिक का कागद लपेट लें । इन छिद्रों से मक्खी अंदर जाकर बाहर आने के प्रयत्नों में नीचे के चिपचिपे द्रव्य पर गिर कर उससे चिपक जाती हैं । छत पर बनी रोपण वाटिका के लिए ऐसी २ – ३ बोतलें फलमक्खियों के ट्रैप हेतु पर्याप्त हैं ।

३ ई. परागण (pollination)

बैंगन के पौधे को सामान्यत: सवा से डेढ माह में फूल आने लगते हैं । इस फसल में परागण अपनेआप होता है । एक ही फूल में स्त्री एवं पुं, ऐसे दोनों केसर होने से हवा का हलका झोंका भी परागण के लिए पर्याप्त होगा । फूल झड रहे हों, तो हलकी-सी टिचकी मारने पर भी परागण होकर फल लगते हैं ।

 

४. बैंगन निकालना

फल लगने के १५ से २० दिनों में बैंगन उतार सकते हैं । बैंगन को दाबकर देखने पर जो कुछ कडे लगें, वे निकालने के लिए योग्य हैं, ऐसा समझें । बैंगन को हाथ से तोडकर अथवा खींचकर न निकालें । सदैव कैंची अथवा धारदार चाकू की सहायता से निकालें । पौधों को कोई हानि न पहुंचे, इसका ध्यान रखें ।

 

५. अधिक उत्पन्न मिलने के लिए की जानेवाली उपाययोजना

एक बार बैंगन लगने लगें कि अगले ६ – ७ माह वे मिलते रहेंगे । तदुपरांत बैंगन का आकार और संख्या कम हो जाएगी । ऐसे समय पर पौधों की छटनी करें । सिरा छाटें । ३ – ४ अच्छी टहनियां और ८ से १० निरोगी पत्ते रखकर शेष भाग छांट दें । ये काम तीव्र धूप में न करते हुए संभवत: वर्षा ऋतु में करें । सामान्यतः एक माह में पुनः नए पल्लव आएंगे और पुनः पहले समान बैंगन मिलने लगेंगे; मात्र खाद-पानी देने के समयपत्रक (timetable) का एकदम अनुशासन से पालन करें । चार लोगों के परिवार के लिए १५ से २० पौधे लगाएं । छाटनी के उपरांत दूसरी बार समाधानकारक बैंगन न आएं, तो पौधों की दूसरी बार रोपण करने की तैयारी करें; मात्र पुन: उसी मिट्टी में बैंगन के नए पौधे लगाना टालें ।’

– श्री. राजन लोहगांवकर, टिटवाळा, जिला ठाणे. (२२.५.२०२१)
साभार : https://vaanaspatya.blogspot.com/

६. बैंगन रोपण का प्रात्यक्षिक – video

रोपण कैसे करें, यह समझने के लिए यूट्यूब पर वीडियो पाठकों की सुविधा के लिए यहां दे रहे हैं । इस वीडियो में कुछ भाग उपरोक्त लेख में दी हुई जानकारी से भिन्न हो सकता है । वीडियो में जहां पौधों के रोपण के लिए विशिष्ट प्रकार की मिट्टी बताई होगी, वहां प्राकृतिक पद्धति से जीवामृत का उपयोग कर पत्ते और घासफूस को गलाकर बनाई गई ह्यूमस का भी (ऊर्वर मिट्टी का भी) उपयोग कर सकते हैं । अन्य किसी भी खाद के स्थान पर १० गुना पानी में पतले किए हुए जीवामृत का उपयोग कर सकते हैं । बिना कोई भी खाद खरीदे रोपण अच्छा हो सकता है । हायब्रिड बीज के स्थान पर देशी बीजों का उपयोग करें ।

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