विकार दूर होने हेतु आवश्यक देवताओं के तत्त्वों के अनुसार दिए कुछ विकारों पर नामजप – १

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सद्गुरु (डॉ.) मुकुल गाडगीळ

किसी विकार को दूर करने हेतु दुर्गादेवी, राम, कृष्ण, दत्त, गणपति, मारुति एवं शिव, इन ७ मुख्य देवताओं में से कौनसे देवता का तत्त्व कितनी मात्रा में आवश्यक है ?, यह ध्यान में ढूंढकर उस अनुसार मैंने कुछ विकारों पर जप बनाया । इसप्रकार सर्वप्रथम जप कोरोना विषाणु के विरोध में प्रतिकारशक्ति बढाने के लिए मैंने ढूंढा था । उसकी परिणामकारकता ध्यान में आने पर मुझे अन्य विकारों पर भी जप ढूढने की प्रेरणा मिली । मैंने जो जप ढूंढे थे उन्हें गत वर्ष से साधकों को उनके विकारों पर दे रहा हूं । उन्होंने बताया कि उन जपों से उन्हें लाभ हो रहा है । अत: वे विकार और उनपर जो उन्हें जप दिया था, वे नीचे दिए हैं । ये जप आवश्यकतानुसार अलग-अलग देवताओं के एकत्रित जप हैं ।

१. माहवारी का कष्ट दूर होने के लिए नामजप

‘श्री गणेशाय नमः – श्री गणेशाय नमः – श्री गुरुदेव दत्त ।’

कुछ साधिकाओं को माहवारी नियमित नहीं आती थी, तो कुछ साधिकाओं को ५ दिनों में माहवारी का रक्तस्त्राव बंद होने के स्थान पर वह आगे चालू ही रहती थी । इस माहवारी के कष्ट पर मैंने उपरोक्त जप ढूंढ निकाला और उन साधिकाओं को माहवारी की संभाव्य दिनांक से ४ दिन पहले से ही माहवारी समाप्त होने तक प्रतिदिन १ घंटा करने के लिए कहा । यह जप करते समय उन्हें मैंने सीधे हाथ की पांचों उंगलियों के सिरे जोडकर उनका आज्ञाचक्र पर न्यास करने के लिए बताया । न्यास शरीर से १ – २ सें.मी. के अंतर पर करने के लिए कहा । इस जप का उन साधिकाओं को अच्छा लाभ हुआ ।

 

२. मधुमेह (डायबिटिज) पर नामजप

‘श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री हनुमते नमः ।’

एक साधिका के शरीर में रक्त की शक्कर की मात्रा इन्सुलिन की (रक्त में विद्यमान शक्कर की मात्रा घटानेवाली औषधि) मात्रा बढाने पर भी बढी हुई रहती थी । मैंने उन्हें उपरोक्त जप करने के लिए कहा । उनके वह जप आरंभ करने पर सप्ताहभर में ही डॉक्टरों को औषधि में परिवर्तन कर देखने की सूझी । वह परिवर्तन करनेपर उस साधिका के रक्त की शक्कर की मात्रा कुछ नियंत्रण में आई ।

 

३. पैरों से लेकर संपूर्ण शरीर पर एकाएक उठी फुंसियों पर नामजप

‘श्री हनुमते नमः –  श्री गुरुदेव दत्त – श्री गुरुदेव दत्त – श्री गुरुदेव दत्त – श्री हनुमते नमः – श्री गुरुदेव दत्त – श्री गुरुदेव दत्त – श्री गुरुदेव दत्त – ॐ नमः शिवाय ।’

वाराणसी की एक साधिका के संपूर्ण शरीर पर एकाएक फुंसियां आ गईं थीं । ४.११.२०२० को उन्हें उपरोक्त जप प्रतिदिन १ घंटा करने के लिए कहा । आठ दिनों में उस साधिका ने कहा, इस जप के कारण पहले जो त्वचा सूखी और खरखरी हो गई थी, वह जप आरंभ करने पर २ दिनों में ही मुलायम होने लगी और फुंसियां सूखने लगीं । खुजली की मात्रा भी कम हो गई । आठ दिनों में ही शरीर पर फुंसियों का आकार बहुत घट गया और उसका रंग भी हलका पड गया था । अगले आठ दिनों में त्वचा और अधिक मुलायम हो गई और फुंसियों की मात्रा और घट गई ।

 

४. त्वचा पर हुए फंफूदजन्य संसर्ग के लिए (फंगल इनफेक्शन) नामजप

‘श्री गणेशाय नमः – श्री गणेशाय नमः – श्री गणेशाय नमः – श्री गणेशाय नमः – श्री गुरुदेव दत्त – श्री गणेशाय नमः – श्री गणेशाय नमः – श्री गणेशाय नमः – श्री हनुमते नमः – श्री हनुमते नमः ।’

एक साधिका की कमर और जांघ में फंगल इनफेक्शन हुआ था । उसकी वहां की त्वचा मोटी और काली-सी हो गई थी । उसके उपरोक्त जप १५ दिन प्रतिदिन १ घंटा करने पर उसकी उन भागों पर खुजली घट गई । इसके साथ ही वहां की त्वचा का कालापन और सूजन भी काफी मात्रा में घट गई ।

 

५. रक्त में क्रिएटिनिन बढने से मूत्रपिंडों की क्षमता घट जाने के विकार पर नामजप

‘श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री गुरुदेव दत्त – श्री हनुमते नमः ।’

 

६. मूळव्याधि पर नामजप

‘श्री गणेशाय नमः – श्री गणेशाय नमः – श्री गणेशाय नमः – श्री हनुमते नमः – श्री गणेशाय नमः – श्री गणेशाय नमः – ॐ नमः शिवाय ।’

 

७. पथरी पर नामजप

‘श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री हनुमते नमः ।’

 

८. रक्त में लोह की घटी हुई मात्रा बढाने के लिए नामजप

‘श्री गुरुदेव दत्त – श्री गुरुदेव दत्त – श्री गुरुदेव दत्त – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री गुरुदेव दत्त – श्री गुरुदेव दत्त – श्री गुरुदेव दत्त – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री गुरुदेव दत्त – श्रीराम जयराम जय जय राम ।’

टिप्पणी : किसी व्याधि के लिए दिया हुआ नामजप यदि उसी क्रम से किया गया, तो वह एक नामजप होगा । इस प्रकार यह नामजप नियोजित कालावधि तक निरंतर करना ।

साधकों को यहां दिए गए विकारों में से कोई विकार हो, तो उसे दूर करने के लिए वैद्यकीय उपचारों के साथ ही उस संदर्भ में दिया नामजप करके देखें, ऐसा लगे, तो वे वह नामजप १ मास (महिना) प्रतिदिन १ घंटा प्रयोग के तौर पर करके देखें । इस नामजप के संदर्भ में आनेवाले अनुभव / होनेवाली अनुभूति साधक [email protected]  इस इ-मेल पते पर अथवा नीचे दिए गए डाक पत पर भेजें । साधकों की ये अनुभूतियां ग्रंथ में लेने की दृष्टि से, इसके साथ ही नामजप की योग्यता समझ में आने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं ।

डाक पता : सनातन आश्रम, २४/बी रामनाथी, बांदोडा, फोंडा, गोवा. पिनकोड ४०३४०१

-(सद्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, (१०.१२.२०२०)

2 thoughts on “विकार दूर होने हेतु आवश्यक देवताओं के तत्त्वों के अनुसार दिए कुछ विकारों पर नामजप – १”

    • नमस्कार,

      कृपया वैद्य (डॉ) की सलाह से दमा के लिए आवश्यक औषधी लें, तथा उसी के साथ ‘ॐ नमः शिवाय ।’ का जप करके देखें ।

      यदि उपरोक्त जप करके आपको कोई परिवर्तन अथवा अनुभूति होती है तो हमें लिखकर [email protected] पर अवश्य भेजें ।

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