सनातन संस्था के आश्‍चर्यजनक कार्य के साथ है, सूक्ष्म के जानकार संतों व ऋषियों का आशीर्वाद !

बडे-बडे संतों की संस्थाआें की तुलना में सनातन संस्था को अत्यल्प लोग जानते हैं । यह है सनातन संस्था का स्थूल परिचय । सूक्ष्म स्तर पर सनातन की स्थिति यह है ।

१. सनातन संस्था के आश्‍चर्यजनक कार्य !

सनातन संस्था का कार्य पिछले २५ वर्ष में बहुत तीव्र गति से बढ रहा है; उदाहरणार्थ –

अ. २१ वर्ष में १२ भारतीय और ३ विदेशी (जर्मन, स्पैनिश (सर्बियन) और नेपाली) भाषाआें में कुल ३०० ग्रंथों की ६६,४५,००० प्रतियां प्रकाशित हुई हैं ।

आ. ४५०० से अधिक ग्रंथों के लिए विषय-सामग्री संगणकों में संरक्षित है ।

इ. विश्‍व के अनेक देशों में सनातन संस्था के मार्गदर्शनानुसार सहस्रों लोग साधना कर रहे हैं ।

ई. पिछले २५ वर्षों में गुरुकृपायोगानुसार साधना कर ७१ साधक संत बने हैं ।

उ. इसी प्रकार, भारत एवं विदेश के १०२८ साधकों ने (इसमें महर्लोक के १०५ दैवी बालक भी समाविष्ट हैं) ६० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया है । इसमें से अनेक साधक अगले ५-६ वर्ष में संत बनेंगे ।

२. संस्था का कार्य द्रुत गति से बढने का
कारण, कार्य का प्रमुखतः सूक्ष्म रूप में होना

सनातन संस्था का कार्य अति द्रुत गति से बढने पर मुझे आश्‍चर्य होता था; क्योंकि सनातन संस्था को हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन, उद्योगपति, राजनीतिक दल, विधायक, मंत्री आदि सहायता नहीं करते । साथ ही, १० वर्ष से अस्वस्थता के कारण मैं कहीं बाहर नहीं जा सकता ।

अब पता चला कि सनातन संस्था का कार्य स्थूल रूप में ३० प्रतिशत तथा सूक्ष्म रूप में ७० प्रतिशत है । कार्य प्रमुखतः सूक्ष्म रूप का होने के कारण, सूक्ष्म जगत के जानकार आगे दिए अनुसार सहायता करते हैं ।

अ. संत

अनेक वास्तविक संत हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए उसके लिए अनुष्ठान कर रहे हैं ।

आ. ऋषि

डॉ. विशाल शर्माजी के माध्यम से ‘भृगु संहिताकार भृगु ऋषि’ और पूज्य डॉ. ॐ उलगनाथन्जी के माध्यम से ‘सप्तर्षि जीवनाडी द्वारा सप्तर्षि’ प्रति सप्ताह २-३ बार मार्गदर्शन करते हैं ।

इ. दैवी बालक

अब उच्च स्वर्गलोक और महर्लोक से दैवी बालक भी पृथ्वी पर जन्म ले रहे हैं । अब तक ६०० बालकों का जन्म हुआ है । यही बालक आगे हिन्दू राष्ट्र (सनातन धर्म राज्य) चलाएंगे ।

संतों और ऋषियों के आशीर्वाद के कारण हिन्दू राष्ट्र की स्थापना निश्‍चित होगी ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

स्त्रोत : पाक्षिक सनातन प्रभात

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