अच्छे प्रत्याशी मिलना दुर्लभ !

‘मतदान में हिन्दू उसे अपना मत देते हैं, जो पैसे देता है अथवा जो २ प्रत्याशियों में कम बुरा होता है; क्योंकि अधिकांशतः अच्छे प्रत्याशी कहीं नहीं मिलते !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

विविधता के कारण भारत की परम अधोगति !

‘अनेक से एक की ओर जाना हिन्दू धर्म सिखाता है । इसके विपरीत ‘विविधता भारत का बल है’, ऐसा अनेक राजनीतिक नेता कहते हैं । विविधता के कारण ही आज भारत की परम अधोगति हुई है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

हिन्दू राष्ट्र के विषय में परिवर्तित होता दृष्टिकोण !

‘पहले लोगों को लगता था कि ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र’ एक सपना है । ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र्र’ कभी भी स्‍थापित नहीं हो सकता’; परंतु अब अनेक लोगों को लगता है कि ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना निश्‍चित ही होगी ।’ – (परात्‍पर गुरु) डॉ. आठवले

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ के विषय में उचित दृष्टिकोण !

‘हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना के कार्य में मैं सहायता करूंगा’, ऐसा दृष्‍टिकोण न रखें; अपितु यह मेरा ही कार्य है, ऐसा दृष्‍टिकोण रखें ! ऐसा दृष्‍टिकोण रखने पर कार्य अच्‍छे से होता है और स्‍वयं की भी प्रगति होती है ।’ – (परात्‍पर गुरु) डॉ. आठवले

हिन्दू राष्ट्र में अपराधी नहीं होंगे !

समाज सात्विक होने के लिए धर्मशिक्षा न देकर केवल अपराधियों को दंड देने से अपराध नहीं घटते, यह भी समझ न पानेवाले आज तक के शासकर्ता। हिन्दू राष्ट्र में सभी को धर्मशिक्षा दी जाएगी। जिससे अपराधी ही नहीं रहेंगे ! – परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

धर्मशिक्षा के अभाव में हुई हिन्दुओं की दुर्दशा !

‘स्वतंत्रता से लेकर आज तक किसी भी दल के राज्यकर्ता और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन ने हिन्दुओं को धर्मशिक्षा नहीं दी । इस कारण अब हिन्दुओं को ‘रामायण, महाभारत’, ये शब्द ही ज्ञात हैं । उनकी किसी भी शिक्षा का उन्हें स्मरण नहीं होता ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

अपनी अनमोल धरोहर को विस्मृत करनेवाले हिन्दू !

‘हिन्दू धर्मग्रंथों में ज्ञान की अनमोल धरोहर है । उनमें जीवन की सभी समस्याओं के उपाय दिए हैं । तब भी आज हिन्दू पश्चिमी विचारधारा और तकनीक के माध्यम से अपने जीवन की समस्याएं दूर करने के प्रयत्न करते हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

हिन्दुओ व्यापक बनो !

‘हिन्दुओ, स्वयं के साथ-साथ राष्ट्र एवं धर्म का भी विचार करो !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

राष्ट्र-धर्माभिमानियों, व्यापक बनो !

‘राष्ट्र-धर्म अभिमानियों, केवल अपने ही क्षेत्र का नहीं; अपितु व्यापक होने हेतु चिकित्सा, न्याय, पुलिस, शासकीय कार्यालय इत्यादि सभी क्षेत्रों में हो रहे अन्याय को खोजकर, उसके विरुद्ध वैध मार्ग से आवाज उठाओ !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

भारत की अधोगति का कारण

‘स्वतंत्रता के उपरांत आज तक की पीढियों को ‘ईश्वर के अस्तित्व का’ सही ज्ञान न देने के कारण वे भ्रष्टाचारी, वासनांध, राष्ट्र एवं धर्म प्रेम रहित हो गई हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले