तथाकथित सर्वधर्म समभाव !

‘बाल मंदिर में पढनेवाला बच्चा और स्नातकोत्तर शिक्षा लेनेवाला युवक, इन दोनों की शिक्षा समान है ; ऐसा हम नहीं कह सकते। ऐसी ही स्थिति अन्य तथाकथित धर्म एवं हिन्दू धर्म के बीच भी है, तब भी ‘सर्वधर्म समभाव’ की घोषणा करना, इससे बडा अज्ञान कोई नहीं । यह बात विभिन्न पन्थों का अध्ययन करने … Read more

धर्म में बताई गई आश्रमप्रणाली का अर्थ !

‘हिन्दू धर्म में ‘वर्णाश्रम’, अर्थात वर्ण तथा आश्रम यह जीवनपद्धति बताई गई है । उनमें से वर्ण अर्थात जाति नहीं, अपितु साधना का मार्ग । आश्रम चार हैं – १. ब्रह्मचर्याश्रम, २. गृहस्थाश्रम, ३. वाणप्रस्थाश्रम तथा ४. सन्यासाश्रम । जिनके अर्थ क्रमशः इस प्रकार हैं – १. ब्रह्मचर्यपालन, २. गृहस्थजीवन का पालन, ३. गृहस्थाश्रम का … Read more

अत्यंत दयनीय हो चुकी हिन्दुओं की स्थिति !

‘धर्मशिक्षा के अभाववश तथा बुद्धिप्रमाणवादियों द्वारा निर्मित संदेह के कारण हिन्दुओं को हिन्दू धर्म की अद्वितीयता ज्ञात नहीं । इस कारण उनमें धर्माभिमान नहीं । परिणामस्वरूप उनकी स्थिति संसार के अन्य पंथियों की अपेक्षा आज अधिक दयनीय हो चुकी है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

राष्ट्रविरोधी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक !

‘व्यक्ति की अपेक्षा समाज और समाज की अपेक्षा राष्ट्र अधिक महत्त्वपूर्ण है, यह न समझनेवाले व्यक्तिगत स्वतंत्रता का समर्थन करनेवाले देश को विनाश की ओर ले जा रहे हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू राष्ट्र एवं अहंकार निर्मूलन !

‘हिन्दू राष्ट्र में अहंकार बढानेवाली व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सीमाएं होंगी तथा सामाजिक स्वास्थ्य एवं राष्ट्रीय सुरक्षा बढानेवाली तथा उसके माध्यम से अहं नष्ट कर ईश्वरप्राप्ति करानेवाली समष्टि साधना की प्रधानता होगी !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू धर्म की महिमा !

‘कहां माता-पिता को भी कूडे के समान वृद्ध आश्रम में भेज देनेवाली पश्चिमी विचारधारा की आज की पीढी और कहां ‘यह पूरा विश्व ही मेरा घर है’, ऐसा सिखानेवाली हिन्दू धर्म की अभी तक की पीढियां !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

धर्म कार्य करने का महत्त्व !

‘किसी जाति अथवा पंथ का कार्य करनेवालों का कार्य तात्कालिक होता है, परन्तु धर्म का मानवजाति के लिए किया जानेवाला कार्य स्थल एवं काल की सीमाओं के परे होता है ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

आगामी ‘हिन्दू राष्ट्र’ में सरकारी नौकरी में भर्ती का मापदंड !

‘पुलिस तथा सेना में ही नहीं, प्रशासन में सभी को भर्ती करते समय हिन्दू राष्ट्र में ‘राष्ट्र एवं धर्म के प्रति प्रेम’ सबसे बडा घटक माना जाएगा !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

शीघ्र ही होगी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना !

‘कलियुगांतर्गत कलियुग अब वृद्ध हो चुका है । शीघ्र ही वह *समाप्त होगा और कलियुगांतर्गत सत्ययुग आएगा, अर्थात हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

पश्चिमी एवं हिन्दू संस्कृति में भेद !

‘पश्चिमी संस्कृति शिक्षा को प्रोत्साहित करनेवाली व्यक्तिगत स्वतंत्रता का समर्थन करती है और दुख को निमंत्रण देती है, जबकि हिन्दू संस्कृति स्वेच्छा नष्ट कर सत-चित-आनंद अवस्था कैसे प्राप्त करें, यह सिखाती है ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टर जयंत आठवले