नारियल से कुदृष्टि उतारने की पद्धति

 

१. नारियल से कुदृष्टि उतारने का महत्त्व

अ. नारियल अच्छी और अनिष्ट दोनों प्रकार की तरंगें खींच लेता है । नारियल में रज-तमात्मक तरंगें अल्प समय में आकर्षित होकर उनका नारियल की सात्त्विकता के कारण भीतर ही भीतर अधिकांशतः विघटन हो जाता है ।

आ. कुदृष्टि उतारने की नारियल की क्षमता अन्य घटकों की अपेक्षा अधिक होने के कारण व्यक्ति की सूक्ष्म देह पर आया काली शक्ति का आवरण खींचने में नारियल अग्रणी माना जाता है । अति तीव्र प्रकार की कुदृष्टि भी नारियल से उतारी जासकती है ।

इ. नारियल सर्वसमावेशक होने के कारण यह प्रत्येक प्रकार की करनी पर उपयुक्त होता है ।

 

२. नारियल से कुदृष्टि उतारने की पद्धति

प्रार्थना

१. कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति हनुमान जी को वंदन कर यह प्रार्थना करे – ‘हे हनुमानजी, मुझ में (अपने नाम का मन-ही-मन उच्चारण करें) विद्यमान सर्व कष्टदायक स्पंदन आप इस नारियल में खींचकर नष्ट कर दें ।’

२. कुदृष्टि उतारने वाला व्यक्ति हनुमानजी को वंदन कर यह प्रार्थना करे – ‘हे हनुमानजी, कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति की देह में तथा देह के बाहर विद्यमान सर्व कष्टदायक स्पंदन आप इस नारियल में खींचकर उनका समूल नाश कर दें । कुदृष्टि उतारते समय आप अपनी कृपा का सुरक्षा-कवच मेरे सर्व ओर निरंतर रहने दें ।’

कृत्य

१. जिस नारियल से कुदृष्टि उतारनी है, उसकी शिखा छोडकर शेष भाग की जटाएं निकाल दें ।

२. कुदृष्टि उतारने वाला व्यक्ति यह नारियल अपनी अंजुली में लेकर कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति के सामने खडा रहे । नारियल की शिखा कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति की ओर रखें ।

३. कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति नारियल की चोटी की ओर देखता रहे ।

४. नारियल को कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति के पैर से सिर तक दक्षिणावर्त (घडी की सुइयों की) दिशा में गोलाकार पद्धति से तीन बार घुमाएं । तत्पश्चात उस व्यक्ति की तीन परिक्रमाएं करें । परिक्रमा करते समय नारियल की शिखा निरंतर कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति की ओर हो । (अनेकों को एक साथ बिठाकर सामूहिक पद्धति से भी कुदृष्टि उतारी जा सकती है ।)

५. कुदृष्टि उतर जाने के पश्चात नारियल का क्या करना चाहिए ?

यदि व्यक्ति को मंद अथवा मध्यम कष्ट हो, तो कुदृष्टि उतारने हेतु प्रयुक्त नारियल किसी तिराहे पर (जहां पर तीन मार्ग मिलते हैं, उस स्थान पर) फोडें ।

यदि व्यक्ति को तीव्र स्वरूप का कष्ट है, तो जिस नारियल से कुदृष्टि उतारी गई है, वह हनुमानजी के देवालय में फोडें । हनुमानजी का देवालय पास न हो, तो किसी उच्च देवता के समीप स्थित जागृत देवालय की सीढी पर नारियल फोडें । नारियल देवालय की सीढी पर केवल रखकर चले जाना उचित नहीं है, उसे फोडना आवश्यक है । व्यक्ति को तीव्र स्वरूप का कष्ट है, तो नारियल बहते पानी में विसर्जित भी कर सकते हैं ।

उपरोक्त उपायों में से एक भी उपाय करना यदि संभव न हो, तो ‘हनुमानजी के सात्त्विक चित्र’ का पूजन वास्तु के समीप करें और हनुमानजी से अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने के लिए प्रार्थना कर उसी चित्र के सामने वह नारियल फोडें जिससे कुदृष्टि उतारी गई है । नारियल फोडते समय अथवा पानी में विसर्जित करते समय ३ बार ‘बजरंगबली हनुमान की जय !’ ऐसा जयघोष करें । प्रायः देवता को अर्पित नारियल की गरी प्रसाद के रूप में ग्रहण करनी चाहिए; परंतु कुदृष्टि उतारे गए नारियल की गरी ग्रहण न करें; क्योंकि इससे नारियल में खिंची अनिष्ट शक्ति से कष्ट हो सकता है ।

 

३. नारियल से कुदृष्टि उतारते समय होने वाली सूक्ष्म-प्रक्रिया

नारियल में काली शक्ति का खिंचना

नारियल का उपयोग कर कुदृष्टि उतारने की सूक्ष्म-स्तरीय प्रक्रिया दर्शानेवाला चित्र

१. ‘चित्र में कष्टदायक स्पंदन : ४ प्रतिशत’

२. ‘सूक्ष्म-ज्ञानसंबंधी चित्र में विविध स्पंदनों की मात्रा : मारक शक्ति २ प्रतिशत तथा कष्टदायक शक्ति ३ प्रतिशत

३. अन्य सूत्र

  • नारियल में ब्रह्मांड मंडल के सत्त्वप्रधान, रजप्रधान तथा तमप्रधान तीनों प्रकार के गुण आकर्षित करने की क्षमता होती है । इसलिए पूजाकर्म में तथा ‘कुदृष्टि उतारने’ जैसे कृत्य में भी नारियल का उपयोग किया जाता है । ये स्पंदन, नारियल की चोटी से नारियल में प्रवेश करते हैं ।
  • कुदृष्टि उतारने के लिए जब संबंधित व्यक्ति पर से नारियल उतारा जाता है, तब नारियल व्यक्ति की देह से कष्टदायक शक्ति के स्पंदन लोहचुंबक की भांति अपने भीतर खींच लेता है । ये स्पंदन नारियल में समा जाते हैं ।
  • ऐसे नारियल का विसर्जन किया जाता है अथवा वह फोडा जाता है, उस समय होने वाली ‘फट्’ ध्वनि के कारण नारियल के भीतर आकृष्ट कष्टदायक शक्ति का विघटन हो जाता है ।
  • जब नारियल में कष्टदायक शक्ति आकृष्ट होती है, तब नारियल में मूलतः विद्यमान अच्छे स्पंदनों का इस कष्टदायक शक्ति से युद्ध होता है ।’

 

४. व्यक्ति को मंद अथवा मध्यम कष्ट हो, तो उसकी
कुदृष्टि उतारे गए नारियल को तिराहे पर फोडने का अध्यात्मशास्त्रीय आधार

किसी व्यक्ति को मंद अथवा मध्यम शक्ति के अनिष्ट शक्तियोेंं की अर्थात भूत अथवा राक्षस की कुदृष्टि लगी हो, तो उसे मंद अथवा मध्यम स्वरूप का कष्ट रहता है । ऐसा होने पर कुदृष्टि उतारे गए नारियल को तिराहे पर फोडने से वहां के क्षुद्र देवता के प्रभाव के कारण नारियल में विद्यमान कष्टदायक स्पंदन नष्ट होते हैं ।

 

५. व्यक्ति को तीव्र कष्ट हो, तो कुदृष्टि उतारा
हुआ नारियल हनुमानजी के देवालय में अथवा उच्च / जागृत देवता के
देवालय की सीढी पर फोडने का एवं बहते पानी में प्रवाहित करने का अध्यात्मशास्त्रीय आधार

किसी व्यक्ति को वरिष्ठ स्तर की अनिष्ट शक्तियों की, उदा. मांत्रिकों की कुदृष्टि लगी हो, तो उसे तीव्र कष्ट रहता है । ऐसा होने पर कुदृष्टि उतारा हुआ नारियल तिराहे पर न फोडें; क्योंकि नारियल में विद्यमान वरिष्ठ कष्टदायक स्पंदन नष्ट करने के लिए उच्च देवता की शक्ति की आवश्यकता होती है । यह निश्चय पूर्वक नहीं कहा जा सकता कि तिराहे पर नारियल फोडने से वरिष्ठ स्तर के कष्टदायक स्पंदन पूर्णतः नष्ट होंगे अथवा नहीं । इस कारण उस व्यक्ति को पुनः कष्ट होने की आशंका रहती है । ऐसे में आगे दिए उपाय करें ।

नारियल हनुमानजी के देवालय में फोडना

हनुमानजी प्रकट शक्तियोेंं से संबंधित देवता हैं । इसलिए उनमें अनिष्ट शक्तियों का नाश करने की क्षमता ७० प्रतिशत रहती है । नारियल हनुमानजी के देवालय में फोडने से नारियल में एकत्रित कष्टदायक शक्ति पर प्रहार होकर वह नष्ट होती है ।

नारियल उच्च अथवा जागृत देवता के देवालय की सीढी पर फोडना

नारियल से कुदृष्टि उतारने के पश्चात उसे फोडने के लिए यदि हनुमानजी का देवालय समीप न हो, तो किसी अन्य निकटवर्ती जागृत उच्च देवता के देवालय की सीढी पर नारियल फोडें; क्योंकि इस जागृत स्थान में भी वरिष्ठ स्तर की अनिष्ट शक्तियों के निवारण की क्षमता होती है ।

कुदृष्टि उतारने के पश्चात नारियल न फोडते हुए उसे देवालय की सीढी पर रखना अनुचित

कुछ लोग कुदृष्टि उतारने के पश्चात नारियल न फोडते हुए उसे देवालय की सीढी पर रखकर चले जाते हैं । देवालय की सीढी पर नारियल रखने से कालांतर में उसमें विद्यमान अनिष्ट स्पंदन वातावरण में प्रसृत होकर देवालय का परिसर दूषित करने का पाप उस व्यक्ति को लगता है ।

 

६. कुदृष्टिग्रस्त व्यक्ति को नारियल से ओइंछने पर नारियल पर होने वाला परिणाम

अ. नारियल से मध्यम कुदृष्टि उतारने पर, नारियल पर होने वाले कुछ परिणाम

नारियल फोडने पर नारियल का पानी उछलता है । कभी-कभी १-२ मीटर ऊंचा भी उछलता है ।
नारियल फोडने पर कभी-कभी सडा हुआ निकलता है ।

आ. नारियल से तीव्र कुदृष्टि उतारने पर, नारियल पर होने वाले कुछ परिणाम

  • नारियल खडा फूटता है ।
  • नारियल फूटने पर उसके टुकडे-टुकडे हो जाते हैं ।
  • नारियल शीघ्र नहीं फूटता । कष्ट देने वाली अनिष्ट शक्ति के बलवान होने के कारण, नारियल में घनीभूत काली शक्ति अधिक रहती है । (प्रथम प्रयास में नारियल फूटने पर फोडने वाले को कष्ट नहीं होता, ऐसा न होने पर कष्ट हो सकता है ।)
  • नारियल फोडते समय यदि हाथसे छूटे, तो वह उछलता है ।
  • अनिष्ट शक्ति के अत्यंत बलवान होने पर कभी-कभी नारियल छिटक कर इतना दूर चला जाता है कि ढूंढने पर भी नहीं मिलता ।

इ. नारियल पर होने वाले विविध परिणामों से करनी की तीव्रता और विशेषताएं समझ में आना

करनी का नारियल पर हुआ परिणाम करनी की तीव्रता (प्रतिशत) करनी की विशेषताएं
१. नारियल का भारी हो जाना २० निरंतर अस्वस्थता लगना, कुछ भी न सूझना, सिर भारी हो जाना, ऐसे कष्ट
देने हेतु की गई करनी
२. नारियल का पानी सूख जाना २९ भूख मंद होने हेतु अन्न के माध्यम से की गई करनी
३. नारियल का काला पडना ३२ हड्डियां शक्तिहीन होने हेतु की गई करनी
४. नारियल के टुकडे-टुकडे होना ३५ संपूर्ण शरीर की कोशिकाओं में काली शक्ति प्रक्षेपित करने हेतु की गई करनी
५. नारियल न फूटना ४० व्यक्ति की हत्या करने हेतु की गई करनी
६. नारियल का उछलना; तदुपरांत न मिलना ७० व्यक्ति की हत्या कर उसकी लिंगदेह पर नियंत्रण पाने हेतु की गई करनी

टिप्पणी – करनी की तीव्रता १०० प्रतिशत होने पर व्यक्ति के मन में आत्महत्या के विचार आते हैं और इस विचार के साथ ही वह आत्महत्या कर लेता है ।

 

नारियल से ‘नजर उतारना’, श्रद्धा है अथवा अंधश्रद्धा ?

श्रद्धा अथवा अंधश्रद्धा अपने-अपने मानने पर होती है । हम जिसे श्रद्धा कहते हैं, उसे ही नास्तिकतावादी अंधश्रद्धा कहते हैं । पर धर्म कहता है कि

‘‘मंत्रे तीर्थे द्विजे दैवज्ञे भेषजे गुरौ । यादृशीर्भावना यस्य सिद्धिर्भवति तादृशीः ॥’’

अर्थ : मंत्र में, तीर्थ में, ब्राह्मण में, देव में, ज्योतिषि में, औषधि में और गुरु में जिसकी जैसी भावना, श्रद्धा होती है, उसे वैसी फलप्राप्ति होती है ।” केवल कृति से फल नहीं मिलता, अपितु उसमें श्रद्धा होनी चाहिए । अनेक दर्शकों ने बुरी नजर (कुदृष्टि) के उदाहरण अपने-अपने घर में बच्चों के संदर्भ में अनुभव किए होंगे । कुदृष्टि के संदर्भ में नारियल का उपयोग किया जाता है क्योंकि,

अ. नारियल अच्छी और अनिष्ट दोनों प्रकार की तरंगें खींच लेता है । नारियल में रज-तमात्मक तरंगें अल्प समय में आकर्षित होकर उनका नारियल की सात्त्विकता के कारण भीतर ही भीतर अधिकांशतः विघटन हो जाता है ।

आ. कुदृष्टि उतारने की नारियल की क्षमता अन्य घटकों की अपेक्षा अधिक होने के कारण व्यक्ति की सूक्ष्म देह पर आया काली शक्ति का आवरण खींचने में नारियल अग्रणी माना जाता है । अति तीव्र प्रकार की कुदृष्टि भी नारियल से उतारी जा सकती है ।

सर्व देवताओं में केवल हनुमानजी को ही अनिष्ट शक्तियां कष्ट नहीं दे सकतीं । लंका में लाखों राक्षस थे, तब भी वे हनुमानजी का कुछ नहीं बिगाड पाए । इसीलिए हनुमानजी को ‘भूतों का स्वामी’ कहा जाता है । यदि किसी को भूतबाधा हो, तो उस व्यक्ति को हनुमानजी के देवालय ले जाते हैं अथवा हनुमानचालीसा का पाठ करते हैं । यदि इससे कष्ट दूर न हो, तो पीडित व्यक्ति पर से नारियल उतारकर, हनुमानजी के मंदिर में जाकर फोडते हैं । नारियल उतारने से व्यक्ति में विद्यमान तमोगुणी स्पंदन नारियल में प्रविष्ट होते हैं । वह नारियल हनुमानजी के मंदिर में फोडने पर उससे बाहर निकलनेवाले स्पंदन हनुमानजी के सामर्थ्य से नष्ट होते हैं । तत्पश्‍चात वह नारियल विसर्जित कर दिया जाता है ।

संदर्भ ग्रंथ : सनातन का सात्विक ग्रंथ ‘कुदृष्टि (नजर) उतारने की पद्धतियां (भाग १) (कुदृष्टिसंबंधी अध्यात्मशास्त्रीय विवेचनसहित)?’

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