सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव – तृतीय दिवस

काशी, मथुरा ही नहीं, प्रत्येक मंदिर मुक्ति के लिए हिंदुओं का सहभाग अत्यावश्यक ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

फोंडा, गोवा (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेनगरी) – एक ओर बहुसंख्यक हिंदुओं को धर्म के आधार पर कोई भी सुविधा नहीं मिलती; इसके विपरीत अल्पसंख्यक होने से अन्य धर्मावलंबियों को ‘अल्पसंख्यक आयोग’ से 3 हजार 200 करोड रुपए से अधिक राशि की सुविधा मिलती है। उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यकों के एक वैद्यकीय शिक्षण संस्थान में प्रवेश पाने के लिए हिंदू धर्मांतरण कर प्रवेश ले रहे हैं, इतनी गंभीर स्थिति है। ‘वक्फ बोर्ड’ में केवल 2 अहिन्दू सदस्य लिए, तब तुरंत न्यायालय ने निर्णय दिया कि ‘सरकार ऐसा नहीं कर सकती’। अहिन्दुओं का एक भी प्रार्थनास्थल, श्रद्धास्थान सरकार के नियंत्रण में नहीं है, परंतु प्रत्येक राज्य के विविध कानूनों द्वारा हिंदुओं के मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं। काशी-मथुरा के मंदिरों की मुक्ति की कानूनी लडाई हम लड रहे हैं। परंतु यह पर्याप्त नहीं है, देश के प्रत्येक मंदिर को मुक्त करने की लडाई में हिंदुओं का सहभाग अत्यावश्यक है, ऐसा आवाहन सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने किया।

सनातन संस्था द्वारा आयोजित ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में बोलते हुए थे। इस अवसर पर ‘सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन’ के श्री. उदय माहुरकर, चंडीगढ के लेखक और विचारक श्री. नीरज अत्री, तथा हिंदू जनजागृति समिति के श्री. रमेश शिंदे और सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक उपस्थित थे। इस अवसर पर मान्यवरों के हाथों ‘हिंदू राष्ट्र का हवे ?’ इस मराठी भाषा की ‘ई’ पुस्तक का प्रकाशन किया गया।

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री. उदय माहुरकर ने कहा कि, वर्तमान में सोशल मीडिया, ‘ओटीटी’, चित्रपट इनके माध्यम से बडे पैमाने पर सांस्कृतिक आक्रमण हो रहा है। पॉर्नोग्राफी के कारण बलात्कार की संख्या बढ रही है। यह राक्षस मोबाईल के माध्यम से अब घर-घर पहुंच गया है। सनातन संस्कृति, अगली पीढी को बचाने के लिए यह सांस्कृतिक आक्रमण रोकना आवश्यक है। तो चंडीगढ के लेखक और विचारक श्री. नीरज अत्री ने कहा कि, वर्तमान में समाज में पश्चिमी देशों का अंधानुकरण करने में अनेक लोग धन्यता मान रहे हैं। सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए हिंदुओं के सिर पर बैठा पश्चिमी देशों के अंधानुकरण का भूत उतारना आवश्यक है।

इस समय हिंदू जनजागृति समिति के श्री. रमेश शिंदे ने कहा कि, बांग्लादेश में सरकार विरोधी आंदोलनों में हिंदुओं को ही मारा गया। काश्मीर, केरल और बंगाल से हिंदू ही समाप्त होते जा रहे हैं। हाल ही में पहलगाम में भी धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्याएं की गईं। प्रत्येक स्थान पर हिंदुओं को ही लक्ष्य किया जा रहा है। इसलिए अब केवल जागृति करते बैठने की अपेक्षा उस पर उपाययोजना करना आवश्यक है। समर्थ रामदास स्वामी के समान आज अपने संत जागृति कर रहे हैं, इसलिए हमें भी इस सनातन राष्ट्र शंखनाद के माध्यम से सनातन राष्ट्र की स्थापना के लिए लडने के लिए सिद्ध होना होगा।

“राष्ट्र की रक्षा शस्त्र से ही करनी पड़ती है!” – मेजर गौरव आर्य, चाणक्य फोरम

“राष्ट्र की रक्षा शस्त्र से ही करनी पड़ती है। साधु-संतों की रक्षा हेतु श्रीराम ने अवतार लिया। मुगलों के अत्याचार बढने पर छत्रपती शिवाजी महाराज और गुरु गोविंदसिंह जैसे महान योद्धा जन्मे। आज ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रभु श्रीराम पुनः हिंदू रक्षा हेतु अवतरित हुए हैं।” ऐसा प्रभावशाली वक्तव्य ‘चाणक्य फोरम’ के मुख्य संपादक तथा सेवानिवृत्त मेजर गौरव आर्य ने किया। यह विचार उन्होंने महोत्सव के “सनातन राष्ट्र और सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले का विविध कार्य” इस सत्र में ‘सनातन राष्ट्र की सुरक्षा’ इस विषय पर व्यक्त किए।

इस अवसर पर मंच पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष श्री रणजीत सावरकर, पंजाब गोरक्षक दल के संस्थापक अध्यक्ष श्री सतीश प्रधान, सनातन संस्था के धर्मप्रचारक सद्गुरु नंदकुमार जाधव एवं हिंदू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र व छत्तीसगढ राज्य समन्वयक श्री सुनील घनवट उपस्थित थे।

हिंदुओं के बलशाली न बनने से देश का अवमूल्यन हुआ ! – रणजीत सावरकर

“हिंदुओं का राजनीतिकरण और राजनीति का सैन्यीकरण आवश्यक है। हिंदुओं को बलशाली बनना ही चाहिए। स्वतंत्रता के पश्चात देश की सत्ता में आए सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण देश का अवमूल्यन हुआ। उस समय सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले ने हिंदुओं को संगठित करने का कार्य प्रारंभ किया। सनातन के गोवा आश्रम में आकर मुझे डॉ. आठवले के आध्यात्मिक कार्य की अनुभूति हुई। वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो राष्ट्र को दिशा देने का कार्य कर रहे हैं। हिन्दुओं को बलशाली बनाने हेतु जो कार्य आवश्यक है, वह सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले कर रहे हैं।” ऐसा मत श्री रणजीत सावरकर ने व्यक्त किया।

इस अवसर पर श्री सुनील घनवट ने कहा, “हिंदुओं को धर्मशिक्षा प्राप्त हो, इस हेतु हिंदू जनजागृति समिति ने धर्मशिक्षा वर्ग शुरू किए हैं। वर्तमान में देशभर में समिति की ओर से 500 स्थानों पर धर्मशिक्षा वर्ग चलाए जा रहे हैं। समिति ने समाज को दिशा देने का कार्य किया है।”

सनातन संस्था के सद्गुरु नंदकुमार जाधव ने कहा, “सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले ने साधकों का मार्गदर्शन कर संपूर्ण विश्व में अध्यात्म का प्रचार किया है। साथ ही, नृत्य, गायन और संगीत के माध्यम से आध्यात्मिक प्रगति कैसे की जा सकती है, यह मार्गदर्शन भी उन्होंने दिया।”

पंजाब गोरक्षक दल के संस्थापक अध्यक्ष श्री सतीश प्रधान ने कहा, “जैसे महाराष्ट्र में गोमाता को ‘राज्यमाता’ का दर्जा दिया गया है, वैसे ही गोवा सरकार को भी सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव के माध्यम से गोमाता को ‘राज्यमाता’ का दर्जा देना चाहिए।”

समस्त मानवता के कल्याण के लिए ‘श्री महाधन्वंतरि यज्ञ’ भावपूर्ण वातावरण में संपन्न!

फोंडा, गोवा (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेनगरी) – वर्तमान समय समस्त मानव जाति के लिए अत्यंत कठिन समय अर्थात आपातकाल है। युद्ध का संकट सिर पर मंडरा रहा है। इस विकट काल में शत्रु केवल हथियारों से ही नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक द्वारा रोगजनकों (वायरस, बैक्टीरिया आदि) के माध्यम से भी हम पर आक्रमण कर सकता है। इन अज्ञात और नई आपदाओं का सामना करने के लिए शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक बल होना अत्यंत आवश्यक है। ‘सभी का कल्याण हो’, इस उद्देश्य से ‘श्री महाधन्वंतरि यज्ञ’ का आयोजन किया गया। ‘लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु’ अर्थात ‘सभी लोग सुखी हों’, इस भाव के साथ सनातन संस्था द्वारा आयोजित ऐतिहासिक और भव्य सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव में यह यज्ञ संपन्न हुआ। इस अवसर पर भारत और विदेशों से आए 20,000 से अधिक साधक एवं हिन्दू धर्मप्रेमी उपस्थित थे।

इस महायज्ञ में सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवले, उनकी आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्शक्ति (सौ.) बिंदा सिंगबाळ और श्रीचित्शक्ति (सौ.) अंजली गाडगीळ, गोवा के स्वास्थ्य मंत्री श्री विश्वजीत राणे तथा उनकी पत्नी विधायक सौ. दिव्या राणे, कई संत-महंत और प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की विशेष उपस्थिति रही। वैदिक मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय और चैतन्यमय हो गया था।

इस संदर्भ में सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. अभय वर्तकजी ने कहा, “शिवागम विद्याविभूषित आगमाचार्य श्री अरुणकुमार गुरुमूर्ति और गुरुमूर्ति शिवाचार्य के मार्गदर्शन में इस यज्ञ में 61 यजमान दंपत्तियों ने सहभाग लिया। जब ईश्वर के हजारों भक्त और वेदज्ञ ब्राह्मण मिलकर यज्ञ करते हैं, तब वह यज्ञ ‘महायज्ञ’ बन जाता है। इस प्रकार हजारों श्रद्धालु इस महोत्सव में एकत्रित होकर जो यज्ञ हुआ, वह ‘धन्वंतरि यज्ञ’ अब ‘श्री महाधन्वंतरि यज्ञ’ बन गया है। इस यज्ञ का संकल्प केवल व्यक्तिगत या पारिवारिक नहीं, बल्कि वैश्विक है।”

कार्यक्रम की अधिक जानकारी एवं सीधा प्रसारण देखने के लिए विज़िट करें –  SanatanRashtraShankhnad.in

 

Leave a Comment