सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव – द्वितीय दिवस

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना समष्टि साधना ही है ! – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी, संस्थापक, सनातन संस्था

फोंडा, गोवा (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेनगरी) – स्वयं साधना करना व्यष्टि साधना है, जबकि समाज को साधना से जोडना समष्टि साधना है । सनातन संस्था समष्टि साधना सिखाती है । इसी कारण आज सनातन के 131 साधक संत पद पर विराजमान हुए हैं और 1 हजार साधक अगले 10 वर्षों में संत बनेंगे ! यदि पूरा समाज सात्त्विक हो जाए, तो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना शीघ्र होगी । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना, यह समष्टि साधना है । इसके लिए सभी को साधना करनी चाहिए, यह बताने के लिए समाज में जाना चाहिए, ऐसा मार्गदर्शन सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी ने किया । वे गोवा अभियांत्रिकी महाविद्यालय के मैदान पर ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में मार्गदर्शन कर रहे थे । इस अवसर पर 20 हजार से अधिक साधक और हिन्दू उपस्थित थे । इस अवसर पर सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की पत्नी डॉ. (श्रीमती) कुंदा जयंत आठवलेजी की वंदनीय उपस्थिति थी ।

समाज में अधिक से अधिक सात्त्विक वृत्ति के लोग निर्मित हुए, तो हिन्दू राष्ट्र निश्चित !समाज के डॉक्टर केवल शारीरिक और मानसिक बीमारियों पर औषधि देते हैं; परंतु अनिष्ट शक्तियों के कष्टों सहित अनेक रोग स्वभावदोष, प्रारब्ध, पूर्वजों के कष्टों के कारण होते हैं । यह उन्हें ज्ञात ही नहीं होता । इसलिए इन कष्टों पर उनके पास कोई उपाय नहीं होता । परिणामस्वरूप अनिष्ट शक्तियों का कष्ट दूर करने के लिए नामजप अर्थात् साधना ही करनी पडती है । ‘हिन्दू’ इस शब्द का अर्थ ‘हिनानि गुणानि दूषयति इति हिन्दु’ अर्थात अपने भीतर के दोषों को दूर करता है, वह हिन्दू है । समाज में अधिक से अधिक सात्त्विक वृत्ति के लोग निर्मित हुए, तो हिन्दू राष्ट्र निश्चित ही आएगा । अब आपातकाल है, तीसरा महायुद्ध होगा, इसके लिए हमें स्वयं को सिद्ध करना होगा । आपातकाल में जो युद्धजन्य स्थिति होगी, उसमें नागरिकों को विविध संकटों का सामना करना पडेगा । उस अवसर पर हमें उनकी सहायता करनी होगी । उसकी तैयारी हमें अभी से करनी होगी । यह सिद्धता ही समष्टि साधना है । सनातन राष्ट्र की स्थापना हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही है, ऐसा उन्होंने बताया ।

इस अवसर पर ‘अनंतकोटि ब्रह्मांडनायक राजाधिराज……श्री गुरुकृपाधिपति सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की जय’ इस विस्तृत विरुदावली का वाचन किया गया । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ज्येष्ठ बंधु पू. अनंत आठवलेजी ने अपने संदेश में कहा कि, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के जन्मदिन के अवसर पर सभी संकल्प, विशेषकर धर्मसंस्थापना और सनातन राष्ट्र स्थापना के संकल्प सिद्ध हों । इस अवसर पर पू. (डॉ.) कुंदा आठवलेजी ने कहा कि, सनातन के कार्य को मिल रही यह कीर्ति हमारे गुरु प.पू. भक्तराज महाराजजी की कृपा का ही फल है ।

विविध संप्रदाय, संतों व मान्यवरों द्वारा सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का सम्मान

श्री अनंतानंद साईंश शैक्षणिक एवं आध्यात्मिक ट्रस्ट इंदौर के पदाधिकारियों ने सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले का सम्मान किया

इंदूर स्थित ‘श्री सद्गुरु अनंतानंद साईश शैक्षणिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट’ की ओर से विश्वस्त श्री. गिरीश दीक्षितजी तथा अन्य पदाधिकारी एवं प.पू. रामानंद महाराजजी की बहू श्रीमती शिल्पा निरगुडकरजी ने सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी और उनकी पत्नी पू. (डॉ.) श्रीमती कुंदा आठवलेजी का विशेष सम्मान किया । साथ ही संत भक्तराज महाराजजी और प.पू. अनंतानंद साईशजी की प्रतिमा युक्त चांदी का सिक्का इस अवसर पर भेंट किया । इस अवसर पर ‘अंतर्योग फाउंडेशन’ के अध्यक्ष आचार्य उपेंद्रजी और श्रीमती नीता तथा भाग्यनगर स्थित ‘तिरुमला तिरुपम कंपनी’ के संस्थापक श्री. नंगुनेरी चंद्रशेखरजी ने भी सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का सम्मान किया ।

‘सनातन राष्‍ट्र शंखनाद’ महोत्‍सव में फहराया गया सनातन धर्म का ध्‍वज !

ध्‍वज पर कल्‍पवृक्ष और कामधेनु की प्रतिमा अंकित


फोंडा, गोवा (सच्‍चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेनगरी) – ‘सनातन राष्‍ट्र शंखनाद’ महोत्‍सव के दूसरे दिन एक ऐतिहासिक घटना घटित हुई । इस अवसर पर सनातन संस्‍था के संस्‍थापक सच्‍चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी के शुभ हाथों से शंखनाद और वेदमंत्रों के गान के बीच सनातन धर्म के ध्‍वज का आरोहण किया गया । इस समय सच्‍चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की आध्‍यात्‍मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्‌शक्‍ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्‍ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी सहित सनातन के संतों की वंदनीय उपस्‍थिति रही । कार्यक्रम में २३ देशों से २० हजार से अधिक साधक और हिन्‍दू धर्मप्रेमी उपस्‍थित थे । इस अवसर पर ‘सनातन हिन्‍दू धर्म का विजय हो’ और ‘जय श्रीराम’ के उद़्‍घोषों से वातावरण गूंज उठा ।

‘सनातन धर्मध्‍वज’ की विशेषताएं : प्रत्‍येक मंदिर में जिस प्रकार ध्‍वज-स्‍थापना होती है, उसी प्रकार सनातन राष्‍ट्र से संबंधित ‘सनातन धर्मध्‍वज’ का आरोहण किया गया । यह ध्‍वज न तो राजनीतिक है और न ही संवैधानिक, अपितु यह आध्‍यात्‍मिक स्‍वरूप का ‘धर्मध्‍वज’ है । यह ध्‍वज विश्‍व के कोने-कोने में बसे हिन्‍दुओं को ‘सनातन हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना’ के लक्ष्य का स्‍मरण कराएगा । महाभारत के युद्ध में जिस रथ पर श्रीकृष्‍ण और अर्जुन विराजमान थे, उस रथ पर बैठे हनुमान जी ने जो ध्‍वज धारण किया था, वह सनातन धर्म का ध्‍वज था । हनुमान जी का रंग सिंदूरी अर्थात केसरिया है; इसलिए सनातन राष्‍ट्र का ध्‍वज भी केसरिया रंग का है । इस ध्‍वज पर ‘कल्‍पवृक्ष के नीचे कामधेनु खडी है’ ऐसा चित्र अंकित है । कल्‍पवृक्ष और कामधेनु दोनों ‘समृद्धि, पालन-पोषण, संरक्षण और श्रीविष्‍णु के अभय वरदहस्‍त’ के प्रतीक हैं ।

‘सनातन राष्ट्र शंखनाद’ महोत्सव में ‘पद्मश्री’ के समान 4 लोगों को ‘हिंदू राष्ट्र रत्न’ व 20 लोगों को ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बालाजी आठवलेजी मंच पर ‘सनातन धर्मश्री’ और ‘हिंदू राष्ट्र रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित विशिष्ट पुरस्कार विजेताओं के साथ उपस्थित

सनातन संस्था की ओर से आयोजित ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद’ महोत्सव में हिंदू धर्म जागृति और राष्ट्र रक्षा के लिए कार्य करनेवाले व्यक्तियों को सम्मानित किया गया  । सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बालाजी आठवले के 83वें जन्मोत्सव के निमित्त पर उनके शुभ हाथों से 4 लोगों को ‘हिंदू राष्ट्र रत्न’ और 20 लोगों को ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार देकर सम्मान किया गया । इस अवसर पर कार्यक्रम में 23 देशों के 20 हजार से अधिक साधक और हिंदू धर्मप्रेमी उपस्थित थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की वंदनीय उपस्थिति थी ।

सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बालाजी आठवलेजी के हाथों ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

इस अवसर पर सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा, देश में विविध क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं को ‘पद्म’, ‘पद्मभूषण’ और ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार दिए जाते हैं; परंतु हिंदू धर्म के लिए जीवन समर्पित कर कार्य करनेवालों को अब तक कोई सम्मान नहीं दिया जाता । इस कमी को पूरा करने के लिए सनातन संस्था ने यह पुरस्कार आरंभ किया है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के निमित्त हर वर्ष यह पुरस्कार दिए जाएंगे ।

भाग्यनगर के प्रखर हिंदुत्वनिष्ठ विधायक श्री टी.राजा सिंह, सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म, डॉ. जयंत बालाजी आठवलेजी के शुभ हाथों से ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार प्राप्त करते हुए

‘हिंदू राष्ट्र रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित –

1. उत्तरप्रदेश के आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड
2. ‘बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच’ के संस्थापक पू. अधिवक्ता रवींद्र घोष
3. कर्नाटक के पंचशिल्पकार पू. काशीनाथ कवटेकर
4. महाराष्ट्र के मुंबई के प्रख्यात प्रवचनकार डॉ. सच्चिदानंद शेवडे

इसी अवसर पर ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार देकर सम्मानित करने वालों में है –

1. भाग्यनगर के हिंदुत्वनिष्ठ विधायक टी. राजा सिंह
2. दिल्ली के काशी-मथुरा के मंदिर मुक्ति के लिए लडने वाले सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन
3. गोवा के घनपाठी आचार्य योगेश्वर बोरकर
4. गोवा से पण्डित महामहोपाध्याय डॉ. देवदत्त पाटिलजी
5. कर्नाटक के श्रीराम सेना के संस्थापक श्री. प्रमोद मुतालिक
6. कर्नाटक के ‘युवा बिग्रेड’ के मार्गदर्शक श्री. चक्रवर्ती सुलीबेले
7. दिल्ली से चाणक्य फोरम के संपादक मेजर गौरव आर्यजी
8. दिल्ली के ‘सुदर्शन वाहिनी’ के प्रधान संपादक डॉ. सुरेश चव्हाणके
9. उत्तर प्रदेश के ‘प्राच्यम’ के संस्थापक कैप्टन प्रवीण चतुर्वेदी
10. तमिलनाडु के हिंदू मक्कल कच्ची’ के संस्थापक श्री. अर्जुन संपथ
11. दिल्ली के ‘सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन’ के श्री. उदय माहुरकर
12. कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता अधिवक्ता अरुण श्यामजी
13. बेल्जियम के लेखक डॉ. कोएनराड एल्स्ट
14. ओडिशा के ‘इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज’ के श्री. अनिल कुमार धीर
15. दिल्ली के अग्नि समाज’ के संस्थापक श्री. संजीव नेवर
16. दिल्ली के ‘सरयु ट्रस्ट’ के संस्थापक श्री. राहुण दिवान
17. हरियाणा के विचारक श्री. नीरज अत्री
18. मुंबई के समाजसेवक तथा लेखक डॉ. अमित थडानीजी
19. इंडोनेशिया-बाली के ‘धर्मस्थापनम’ फाउंडेशन के रस आचार्य पू. धर्मयशजी महाराज
20. छत्तीसगढ के श्री. प्रबल प्रताप सिंह जुदेव जी

कुछ पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं द्वारा व्यक्त विचार

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने हेतु आवश्यक कदम उठाएँ ! – तेलंगाना के विधायक टी. राजा सिंह का आह्वान

संत और गुरुजनों ने सदैव कहा है, “आनेवाला समय युद्ध का है। उस युद्ध में विजयी होने और उसे लड़ने के लिए हर हिन्दू को तैयार होना होगा।” पहलगाम में हुए हमले में धर्म पूछकर लोगों की हत्या की गई। इतिहास में औरंगजेब, अकबर जैसे अनेक आक्रमणकारियों ने भी धर्म पूछकर ही जबरन धर्मांतरण किया और जिन्होंने धर्मांतरण नहीं किया, उन्हें मार डाला। आज उनके ही अनुयायी उन्हीं की राह पर चल रहे हैं। इस प्रकार की प्रवृत्तियाँ केवल पहलगाम में नहीं, बल्कि हर राज्य, हर ज़िले में छिपी हो सकती हैं। इसलिए हिंदुओं को अपने बच्चों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना चाहिए। जो लड़ेगा वही बचेगा, जो नहीं लड़ेगा उसके लिए आनेवाला समय अत्यंत कठिन है। इसलिए यहां से जाने से पहले सभी हिंदू एक संकल्प लें कि आनेवाले समय में हम भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने हेतु आवश्यक प्रत्येक कदम उठाएँगे और संगठित रहेंगे। ऐसा आह्वान तेलंगाना के भाजपा विधायक एवं प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ नेता श्री टी. राजा सिंह ने ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में किया।

 

Leave a Comment