रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में श्री अर्क गणपति पूजन एवं श्री कार्तिकेय पूजन !

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में उत्पन्न सूक्ष्म की बाधाएं तथा
साधकों के आध्यात्मिक कष्ट दूर होने हेतु, साथ ही विश्‍वशांति हेतु लिया गया संकल्प !

रामनाथी (गोवा) : हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में उत्पन्न सूक्ष्म की बाधाएं और साधकों के आध्यात्मिक कष्ट दूर हों, साथ ही विश्‍वशांति हेतु यहां के सनातन आश्रम में कार्तिक शुक्ल षष्ठी अर्थात २ नवंबर २०१९ को सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने अर्क गणपति पूजन किया । इस अवसरपर पानवळ, बांदा (जनपद सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र) के संत प.पू. दास महाराज, सनातन के सद्गुरु राजेंद्र शिंदेजी, सद्गुरु (कुमारी) अनुराधा वाडेकरजी, पू. (श्रीमती) संगीता जाधव, पू. (श्रीमती) सुमन नाईक एवं आश्रम के अन्य संत और साधक उपस्थित थे । इस समय साधकों ने पूजन के पश्‍चात अधिक मात्रा में चैतन्य का प्रक्षेपण होने की अनुभूति ली ।

श्री अर्क गणपति के पूजन के समय दीप उतारती हुईं सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं पौरोहित्य करते हुए श्री. अमर जोशी

भृगु महर्षिजी ने बताया था कि अर्क का अर्थ सूर्य ! सूर्य के समान तेजस्वी वे श्री अर्क गणपति ! बांबी की मिट्टी के छोटे गणेशजी की स्थापना कर उनपर १०८ बार दुर्वा समर्पित करें । ७ सितंबर के आनेवाले प्रत्येक शनिवार से  लेकर ९ वें शनिवारतक यह पूजा की जाए । पूजन के पश्‍चात सूर्यास्त से पहले बहते पानी में गणेशजी का विसर्जन करें । उसके अनुसार यह पूजन किया गया । २ नवंबर को इस शृंखला का अंतिम पूजन संपन्न हुआ ।

 

स्कंद षष्ठी के उपलक्ष्य में संपन्न हुआ ‘श्री कार्तिकेय पूजन’

रामनाथी (गोवा) : स्कंद षष्ठी के उपलक्ष्य में (२ नवंबर २०१९) सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने कार्तिकेय पूजन किया । इस समय साधकों के सभी कष्ट दूर हों और साधकों से परिपूर्ण समष्टि साधना हो; ये संकल्प लिए गए । भृगु महर्षिजी द्वारा बताए जाने के अनुसार श्री कार्तिकेय देवता की मूर्तिपर चंदनमिश्रित गुलाबजल का अभिषेक किया गया ।

श्री कार्तिकेय पूजन के समय की गई भावपूर्ण रचना
कार्तिकेयजी की मूर्तिपर गुलाबजल का अभिषेक करती हुईं सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी

क्षणिकाएं

१. स्कंदषष्ठी के उपलक्ष्य में श्री कार्तिकेय पूजन एवं शनिवार को होने से श्री अर्क गणपति का संयोग हो गया । श्री कार्तिकेय एवं श्री गणेशजी ये दोनों शिवजी के पुत्र हैं । इन दोनों देवताओं के पूजन का अवसर मिलकर उनके आशीर्वाद प्राप्त हुए । इसके लिए साधकों ने ईश्‍वर के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त की ।

२. कई साधकों को बांबी के मिट्टी से बनाए गए श्री गणेशजी अष्टविनायक के स्वरूप की भांति प्रतीत हुए ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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