राजस्थान के सरकारी चिकित्सालयों में प्रसव हेतु प्रविष्ट महिलाओं की प्रसव पीडा न्यून हो; इसके लिए संगीत चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत गायत्री मंत्र सुनाया जाएगा

भारतीय संगीत और उसमें भी मंत्रजप का महत्त्व इतने वर्ष पश्‍चात ध्यान में आना भी कुछ कम नहीं !

जयपुर : राजस्थान के सरकारी चिकित्सालयों में प्रसवपीडा सहन करनेवाली महिलाओं की पीडा न्यून होनेवाली है । ऐसी महिलाओं को संगीत चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत गायत्री मंत्र सुनाया जाएगा । इसे ‘साऊंड हिलींग थेरपी’ कहा जाता है । राजस्थान स्वास्थ्य विभाग ने इसे ‘लक्ष्य’ यह नाम दिया है । इसके अंतर्गत इन महिलाओं को सुबह गायत्री मंत्र और उसके पश्‍चात दिनभर में पुराना भारतीय संगीत सुनाया जाएगा । देहली राज्य सरकार ने जनवरी २०१९ में ‘हैपीनेस थेरपी’ नाम से इस चिकित्सा पद्धति का आरंभ किया है ।

१. इस थेरपी से प्रसव हेतु सरकारी चिकितसालय में प्रविष्ट महिलाओं का मानसिक एवं शारीरिक तनाव दूर होने में सहायता मिलेगी । साथ ही उनके मन में सकारात्मक ऊर्जा भी उत्पन्न होगी । जन्मनेवाले नवजात बच्चेपर भी इसका अच्छा परिणाम होगा ।

२. इस प्रकार की थेरपी का उपयोग अमेरिका और युरोप में भी किया जा रहा है । कुछ देशों में तो डॉक्टरों के दल में एक संगीत चिकित्सा विशेषज्ञ भी होता है, जो संगीत के माध्यम से चिकित्सा कर रोग ठीक करता है ।

३. विशेषज्ञों के मत के अनुसार गर्भावस्था के समय महिलाएं गंभीर शारीरिक एवं मानसिक पीडाएं सहन करती हैं । इस अवधि में दुर्बलता एवं अन्य कारणों से महिलाओं में चिढचिढाहट उत्पन्न होती है । इसे दूर करने में संगीत चिकित्सा पद्धति प्रभावशाली है ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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