श्री. वैभव राऊत सनातन के साधक नहीं; इसलिए आधुनिकतावादियों की सनातन पर प्रतिबंध की मांग अनुचित !

कल रात गिरफ्तार हुए हिन्दुत्वनिष्ठ वैभव राऊत सनातन के साधक हैं, ऐसे समाचार आ रहे हैं । श्री. वैभव राऊत सनातन के साधक नहीं हैं; परंतु वे हिन्दुत्ववादी संगठनों के अनेक आंदोलनों में सहभागी होते थे । भले ही वे सनातन के साधक न हों, तब भी हम मानते हैं कि हिन्दुत्व के लिए कार्य करनेवाला, धर्म के लिए कार्य करनेवाला कोई भी हिन्दू कार्यकर्ता सनातन का ही है । अब वैभव राऊत की केवल गिरफ्तारी हुई है, कोई भी सबूत मिलने से पूर्व, जांच पूरी होने के पहले, न्यायालय में आरोप सिद्ध न होते हुए भी सनातन पर प्रतिबंध लगाओ, ऐसी उतावली मांग कांग्रेसी, तथा आधुनिकतावादी नेता और संगठन कर रहे हैं ! आश्‍चर्य की बात यह है कि क्या ये नेता भूल गए हैं कि देश में लोकतंत्र और न्यायालय अभी भी हैं । सिखों की हत्या करनेवाले और आपातकाल में विपक्ष और प्रसारमाध्यमों पर कार्रवाई करनेवाले पुनः उसी प्रकार का प्रतिबंध सनातन पर लादने पर तुले हैं । आधुनिकतावादी भी सनातन पर प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं । यह मांग अनुचित है, ऐसी प्रतिक्रिया सनातन संस्था के प्रवक्ता चेतन राजहंस ने व्यक्त की ।

श्री. वैभव राऊत किस स्थिति में हैं, ये सनातन संस्था समझ सकती है । निर्दोष होते हुए भी बम-विस्फोट कांड में फंसने पर क्या होता है, यह सनातन ने अनुभव किया है । सनातन को इससे पूर्व मडगांव बम-विस्फोट में नाहक फंसाने का प्रयास किया गया । तदुपरांत सनातन के साधक निर्दोष मुक्त भी हो गए । सनातन को दाभोलकर-पानसरे प्रकरण में फंसाने का प्रयास किया गया; परंतु अब ५ वर्ष होने को हैं, तब भी दाभोलकर परिवार न्यायालय में अभियोग (मुकदमा) न चले, इसी का प्रयास कर रहा है । सनातन ने सदैव संवैधानिक मार्ग से धर्म का प्रभावी कार्य किया है, इसीलिए धर्मविरोधी लोग सनातन से जलते हैं ।

मालेगांव बम-विस्फोट प्रकरण में यदि हिन्दुत्वनिष्ठों के घर में एटीएस के अधिकारी आरडीएक्स रख सकते हैं, तो यही श्री. वैभव राऊत के साथ नहीं हुआ, ऐसे कोर्इ कह नहीं सकता । अभी तक उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला है, इसलिए अभी से उन्हें  दोषी मानना अनुचित होगा ।

– श्री. चेतन राजहंस, प्रवक्ता, सनातन संस्था.

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