अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में रामनाथी के सनातन आश्रम में विविध धार्मिक विधियां संपन्न

साधकों के रोम-रोम में विद्यमान अनिष्ट शक्ति नष्ट होने के लिए अथर्ववेद का पारायण !

रामनाथी (गोवा) – अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में यहां के सनातन के आश्रम में विविध धार्मिक विधियां संपन्न हुआ । १४ मई से १८ मई तक आश्रम में अथर्ववेद का पारायण प्रारंभ हुआ । महर्षि ने बताया कि इस पारायण के कारण ‘साधकों के रोम-रोम में विद्यमान अनिष्ट शक्ति (काली शक्ति) नष्ट होगी ।’ बार्शी (जिला सोलापुर) के संत प.पू. नाना काळेगुरुजी के सुपुत्र वाजपेययाजी रघुनाथ काळेगुरुजी तथा वेदमूर्ति प्रशांत जोशीजी ने अथर्ववेद पारायण किया ।

सनातन आश्रम के परिसर में पारिजातक, राम तुलसी तथा कृष्ण तुलसी का रोपण !

तुलसी के पौधे को स्पर्श करते हुए परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी

रामनाथी (गोवा) – सनातन की सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ तथा सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने १६ मई को दोपहर १२ बजे आश्रम परिसर में पारिजातक, राम तुलसी तथा कृष्ण तुलसी का रोपण किया । प्रारंभ में दिन ९.४७ पर परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी ने पौधों को चैतन्यमय हस्तस्पर्श किया । उसी समय आश्रम परिसर में लगाए जानेवाले कल्पवृक्ष के फलों को भी स्पर्श किया । महर्षि ने नाडीवाचन में बताया कि पहले से ही आश्रम के सामने रहे पारिजातक वृक्ष ने परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी पर आए मृत्युयोग का संकट स्वयं पर ले लिया, इस कारण कुछ माह से यह वृक्ष सूखने की स्थिति में है । इस पर पर्यायस्वरूप महर्षि ने उस वृक्ष के पास दूसरा पारिजातक का पौधा लगाने के लिए कहा था । इसके उपरांत सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने कृष्ण तुलसी तथा सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने राम तुलसी को एक ही गमले में लगाया । परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी में श्रीराम तथा श्रीकृष्ण दोनों तत्त्व होने के कारण महर्षि ने एक ही गमले में दोनों तुलसी लगाने के लिए बताया था ।

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना की बाधाएं दूर होने के लिए
विविध यज्ञ भावपूर्ण वातावरण में संपन्न !

(बाएं से) दूसरी सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी, उनके साथ में सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी तथा यज्ञ करते हुए पुरोहित

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना की बाधाएं दूर होने हेतु तथा विश्‍वकल्याण हेतु १६ मई को सनातन आश्रम में गणहोम, नवग्रह होम, महामृत्युंजय यज्ञ तथा महासुदर्शन यज्ञ भावपूर्ण व चैतन्यदायी वातावरण में संपन्न हुआ ।

संदर्भ : पाक्षिक  सनातन प्रभात

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