बॉम्बे हाईकोर्ट: नालासोपारा बम बरामदगी मामले में आरोपी वैभव राऊत को मिली जमानत

नालासोपारा हथियार बरामदगी मामले में आरोपी वैभव राउत को बॉम्बे हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। अदालत ने राउत को जमानत इसलिए दी, क्योंकि वह पिछले पांच साल से जेल में बंद थे। इस मामले में अब तक लगभग 417 इच्छित गवाहों में से केवल 4 के ही बयान दर्ज किए गए हैं। महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने 10 अगस्त, 2018 को नालासोपारा में वैभव राउत के आवास पर छापेमारी कर उन्हें गिरफ्तार किया था। कथित तौर पर उनसे जुड़े एक गोदाम में 12 बम बरामद हुए थे।

 नालासोपारा फर्जी एनकाउंटर में शामिल दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज

बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश पर नालासोपारा (पूर्व) में 23 जुलाई 2018 को कथित क्रिमिनल जोगेंदर गोपाल राणा उर्फ गोविंद के फर्जी एनकाउंटर मामले में आरोपी दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अदालत की निगरानी में मामले की जांच ठाणे के पुलिस आयुक्त जयजीत सिंह के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा है। पिछले दिनों अदालत ने गोविंद का फर्जी एनकाउंटर की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था। अदालत ने एसआईटी को जांच कर कार्रवाई की रिपोर्ट चार सप्ताह में सौंपने का निर्देश दिया है.

अदालत के आदेश के बाद तुलिंज पुलिस स्टेशन में बुधवार को पुलिस नाइक मनोज सकपाल और हेड कांस्टेबल मंगेश चव्हाण के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302(हत्या), 120-बी(आपराधिक साजिश), 201(अपराध के सबूतों को गायब करना, या स्क्रीन पर गलत जानकारी देना), 386 (किसी भी व्यक्ति को मौत के भय में डालकर जबरन वसूली), 34(सामान्य इरादा) और शस्त्र अधिनियम के प्रावधान के तहत मामला दर्ज कर लिया गया। जब याचिकाकर्ता के भाई जोगिंदर राणा की 23 जुलाई 2018 में कथित फर्जी मुठभेड़ हुई थी, तो उस समय पुलिस नाइक सकपाल और हेड कांस्टेबल चव्हाण पालघर जिले के नालासोपारा में स्थानीय क्राइम ब्रांच में तैनात थे।

पिछले दिनों न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के समक्ष गोविंद के भाई सुरेंद्र गोपाल राणा की ओर से वकील दत्ता माने की दायर पर याचिका पर सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ता के वकील दत्ता माने ने खंडपीठ के समक्ष दलील दी थी कि घटना के दौरान चश्मदीद गवाहों ने तस्वीरें खींची थीं और वीडियो क्लिप रिकॉर्ड की थीं, जिससे संकेत मिलता है कि पुलिस ने मृतक का फर्जी एनकाउंटर किया था। याचिकाकर्ता ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की थी। खंडपीठ ने इस मामले में हुई जांच पर सवाल उठाते हुए ठाणे के पुलिस आयुक्त जयजीत सिंह के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर जांच करने और चार सप्ताह में जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने 20 सितंबर को फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी पिछले 5 साल से जेल में बंद है।जिस संपत्ति से आठ बम बरामद किये गये थे, वह संपत्ति राउत के पिता की थी। इसी तरह जिस गोदाम में अन्य 12 बम पाए गए, वह ओम साईं डेवलपर्स का था, न कि राउत का। उन्होंने देखा कि राऊत ने इसकी खरीद के लिए ओम साई डेवलपर्स को एक राशि का भुगतान किया होगा। उन्होंने आगे कहा कि ये बम राउत की गिरफ्तारी से पहले जब्त किए गए थे।

 नालासोपारा हथियार बरामदगी मामला : सनातन संस्था ने आरोप पत्र को बताया झूठ का पुलिंदा

श्री. चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

नालासोपारा हथियार बरामदगी मामले में एटीएस द्वारा दायर आरोपपत्र में नाम आने से नाराज सनातन संस्था ने इसे झूठ का पुलिंदा बताया है। सनातन संस्था का दावा है कि ‘क्षात्रधर्म साधना’ नामक किताब में हिंदू राष्ट्र शब्द का उल्लेख ही नहीं है। साथ ही उसका दावा है कि जिन लोगों को संगठन का सदस्य बताया जा रहा है उनमें से कोई सनातन का साधक नहीं है। सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन हंसराज ने कहा कि जिस ‘क्षात्रधर्म’ नाम की किताब को हिंदू राष्ट्र की प्रेरणा बताया जा रहा है, दरअसल वह भगवतगीता, रामायण, महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों के श्लोकों को संग्रहित करके बनाया गया है।

यह किताब 20 साल पहले छापी गई थी और मांग के अभाव में 10 साल पहले ही इसकी छपाई बंद हो गई है। किताब सिर्फ राजा को उसका धर्म समझाती है। सच सामने लाने के लिए हम एक बार फिर इस किताब की छपाई कर लोगों को उपलब्ध कराएंगे। हंसराज ने आरोप लगाया कि मामले में एटीएस के पास ठोस सबूत नहीं हैं, इसलिए वह फर्जी कहानियां गढ़ रही है। हंसराज ने कहा कि एटीएस को यह बताने का भी साहस दिखाना चाहिए कि आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले जेहादी और नक्सलियों को कौन सी किताब से प्रेरणा मिलती है।

आरोपियों से सनातन का संबंध नहीं

सनातन का दावा है कि गिरफ्तार आरोपियों में से कोई सनातन का साधक नहीं है। लेकिन वैभव राऊत, सुधन्वा गोंधलेकर, श्रीकांत पांगारकर और अविनाश पवार के अपने स्वतंत्र संगठन हैं और वे सनातन संस्था के कार्यक्रमों और आंदोलनों में शामिल होते रहे हैं। हंसराज के मुताबिक दूसरे पांच आरोपियों के नाम भी हमने उनकी गिरफ्तारी के बाद सुने। उन्होंने कहा कि जानबूझकर पकड़े गए लोगों के संगठन की बजाय  सनातन और हिंदू जनजागृति समिति का नाम लिया जा रहा है।

लोकतांत्रिक तरीके से किया सनबर्न का विरोध

हंसराज ने कहा कि दिसंबर 2017 में पुणे में आयोजित सनबर्न फेस्टिवल का हमने लोकतांत्रिक तरीके से विरोध किया था। आयोजकों ने किस तरह नियमों को ताक पर रखकर आयोजन किया, इस दौरान कैसे टैक्स चोरी की, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया, शराबबंदी कानून का उल्लंघन किया इसका हमने बार बार खुलासा किया है। हंसराज का दावा है कि सनातन ने किसी तरह की हिंसक गतिविधि में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि आगामी चुनावों को देखते हुए ‘मालेगांव 2’ की साजिश रची जा रही है जिसके तहत एक बार फिर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के इशारे पर यह खेल चल रहा है लेकिन अदालत में हम खुद को निर्दोष साबित कर देंगे।

अभियोजन पक्ष ने राउत और अन्य पर भारत को अस्थिर करने और इसकी संप्रभुता को कमजोर करने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। उन्होंने राउत पर सनातन संस्था नामक संगठन का सक्रिय सदस्य होने का आरोप लगाया था। राउत के सह-अभियुक्तों पर भी इस दक्षिणपंथी संगठन का सदस्य होने का आरोप है। सनातन संस्था का एक उद्देश्य फिल्म स्क्रीनिंग, पश्चिमी सांस्कृतिक कार्यक्रमों और पुणे के ‘सनबर्न’ उत्सव जैसे हिंदू धर्म के सिद्धांतों के विपरीत माने जाने वाले कार्यक्रमों को रोकना था।

राउत के वकील सना रईस खान और अनिकेत परदेशी ने उनकी ओर से एक हलफनामा पेश किया।वह अदालत की पूर्व अनुमति के बिना मुंबई और वसई-विरार और पालघर जिले को नहीं छोड़ने पर भी सहमत हुए। अदालत ने राऊत के हलफनामे-सह-अंडरटेकिंग को स्वीकार कर लिया।

Leave a Comment