सनातन आश्रम पनवेल के साधक डॉ. दीपक जोशी ‘कोरोना योद्धाʼपुरस्कार से सम्मानित

बेंगळूरु की स्वयंसेवी संस्था ‘स्मृति साधनाʼद्वारा पुरस्कार

डॉ. दीपक जोशी को पुरस्कार देते हुए रेणूताई गावस्कर, बाईं ओर विवेक वेलणकर, मध्य में वीणा गोखले और सबसे दाएं शिवकुमार ओझा

पुणे  – सहकार्य, समझदारी और संवेदनशीलता, इन गुणों के कारण ही मानवता जीवित है । मानवता के इन गुणों के कारण ही पूर्ण जगत में हाहाकार मचा देनेवाली कोरोना महामारी के विरोध में समाज के अनेक घटकों ने नि:स्वार्थ सेवा की । इस पृष्ठभूमि पर बेंगळूरु की ‘स्मृति साधनाʼनामक स्वयंसेवी संस्था द्वारा ऐसे लोगों को ‘कोरोना योद्धा’ पुरस्कार देकर गौरवान्वित किया है । सनातन के पनवेल के साधक डॉ. दीपक जोशी ने लॉकडाउन के काल में अनेक रोगियों को समुपदेशन करना, उन्हें धीरज देना, साधना बताकर स्थिर जीवन जीने की दिशा देना आदि विशेष प्रयत्न किए थे, इसके लिए उन्हें यह पुरस्कार देकर गौरवान्वित किया । डॉ. जोशी के साथ अन्य ४० लोगों को भी यह पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया । स्मृतिचिन्ह और प्रशस्ति पत्र, ऐसे इस पुरस्कार का स्वरूप था ।

९ जनवरी को पुणे के नवी पेठ में स्थित पत्रकार भवन में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था । इस अवसर पर व्यासपीठ पर सामाजिक कार्यकर्ता रेणुताई गावस्कर, ‘सजग नागरिक मंचʼके अध्यक्ष, सूचना अधिकार कार्यकर्ता विवेक वेलणकर, ‘देणे समाजाचेʼसंस्था की संचालिका वीणा गोखले, इसके साथ ही ‘स्मृति साधनाʼसंस्था के संस्थापक शिवकुमार ओझा आदि मान्यवर उपस्थित थे ।

पुरस्कार प्राप्त करनेवालों में कोरोना रोगियों की सेवा करनेवाले विविध डॉक्टर, नेतृत्व लेकर अनुसंधान हेतु कोरोना का टीका लगवानेवाले, लॉकडाउन के काल में कोरोना के रोगियों की प्रत्यक्ष सेवा करनेवाले सर्वसामान्य नागरिक, अडचनों में घिरे निर्धनों को दूध, सब्जियां, औषधियां इत्यादि की आपूर्ति करना जैसे विविधांगी स्तर पर समाजकार्य करनेवाले नागरिकों का और स्वयंसेवी संस्थाओं का इसमें समावेश था । पुरस्कार प्रदान समारोह सफल बनाने के लिए ‘स्मृति साधनाʼसंस्था की अश्विनी कुलकर्णी, अवंतिका हिरेमठ, शिल्पा देशपांडे आदि ने परिश्रम लिया ।

पुरस्कार मिलने पर डॉ. दीपक जोशी ने कहा, ‘कोरोना के काल में रोगियों की सहायता करना, उन्हें मानसिक आधार देना, यह परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की कृपा से ही मैं कर सका । केवल साधना करने से ही मनुष्य किसी भी परिस्थिति में आनंदी और स्थिर जीवनयापन कर सकता है ।’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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