जादूटोना विरोधी कानून सम्मत कराने के दबाव से डॉ. दाभोलकर की हत्या हुई होगी

इंदापुर (जिला पुणे) के श्री. श्रीपाद खरातद्वारा न्यायालय में आवेदन प्रविष्ट

डॉ. नरेंद्र दाभोलकर का हत्या प्रकरण अब एक निराले मोड पर ….

इंदापुर में, एक हत्या प्रकरण के तीनों आरोपियों को भी इस प्रकरण में सहआरोपी करने की मांग

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पुणे : डॉ. नरेंद्र दाभोलकर का हत्या प्रकरण अब एक निराले मोड पर जाने की संभावना है ! 

   ४ जुलाई को इंदापुर (जिला पुणे) के श्री. श्रीपाद धर्माजी खरातद्वारा न्यायालय में एक आवेदन प्रविष्ट किया गया है, जिसमें ऐसी संभावना व्यक्त की गई है कि, जादूटोना विरोधी कानून सम्मत कराने के दबाव से डॉ. दाभोलकर की हत्या हुई है।

 

श्री. खरातद्वारा प्रस्तुत किए गए आवेदन में कहा गया है कि . . .

१. जिसप्रकार जादूटोना विरोधी कानून को वारकरी संप्रदाय एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का विरोध था, उसीप्रकार यह कानून सम्मत करने हेतु कुछ लोगोंद्वारा दबाव भी डाला गया था।

२. डॉ. दाभोलकर को बलि चढा कर ही यह कानून सम्मत हो सकता है, इस दृष्टिकोन से कानून पारित करने के संदर्भ में दबाव डालने से ही डॉ. दाभोलकर की हत्या होने की संभावना है। (डॉ. दाभोलकर की हत्या के पीछे पृथक-पृथक कारण हो सकते हैं; परंतु हत्या हुई उस दिन से केवल ‘सनातन द्वेष’ इस एक ही सूत्र पर हत्या का अन्वेषण हो रहा है ! श्री. खरातद्वारा उपस्थित इस महत्वपूर्ण सूत्र पर क्या डॉ. दाभोलकर के परिवारजन कुछ भाष्य करेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

३. इंदापुर के एक हत्याप्रकरण में आरोपी धनंजय गोपाल बाशिंदेकर (मृत ), उदय सदाशिव देशपांडे एवं प्रदीप प्रभाकर गारठकर अपराधी हैं। डॉ. दाभोलकर हत्याप्रकरण में इन तीनों को भी सहआरोपी करना चाहिए। इस पर न्यायालयद्वारा पुणे पुलिस आयुक्त, पुलिस अधीक्षक, केंद्रीय अपराध अन्वेषण विभाग, संबंधित पुलिस यंत्रणा तथा अपराधियों के अधिवक्ता को अपना कहना प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं।

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अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर

   इससे समझ में आता है कि, पिछले तीन वर्षों से अन्वेषण किस प्रकार से हो रहा है ! – अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर, अध्यक्ष, हिन्दू विधिज्ञ परिषद

   अब तक एक ही दिशा से एवं सगे-संबंधियोंद्वारा बताए अनुसार अन्वेषण करते रहने के कारण आज लोगों को इस त्रूटी का भान करा देना पड रहा है !

   इस से समझ में आता है कि, पिछले ३ वर्षों से किस प्रकार से अन्वेषण हुआ होगा। हमने इससे पूर्व ही सप्रमाण प्रस्तुत किया था कि, सीबीआय के प्रकरण में अधिकारी किस प्रकार अन्वेषण करेंगे। इससे हमारे प्रमाण ही सत्य सिद्ध होने की बात सामने आ रही है।

डॉ. तावडे की न्यायालयीन कोठरी में १६ जुलाई तक वृद्धि

    पुणे : डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के हत्याप्रकरण में संदिग्ध के रूप में बंदी बनाए गए सनातन के साधक डॉ. वीरेंद्रसिंह तावडे की न्यायालयीन कोठरी १६ जुलाई तक बढा दी गई है। ४ जुलाई को डॉ. तावडे की न्यायालयीन कोठरी की अवधि समाप्त होने के कारण इस संदर्भ में न्यायमूर्ति श्री. व्ही. बी. गुळवे-पाटिल के न्यायालय में सुनवाई हुई। इस अवसर पर केंद्रीय अन्वेषण विभाग के अधिवक्ता श्री. डी.बी. राजू एवं डॉ. तावडे की ओर से अधिवक्ती श्रीमती नीता धावडे ने अपना कहना प्रस्तुत किया। न्यायालय में डॉ. तावडे को उपस्थित नहीं किया गया था।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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