शस्त्रकर्म करते समय शास्त्रीय संगीत बजाने से शस्त्रकर्म अधिक तीव्रगति से और अचूक होता है !

स्कॉटलैंड के डंडी विश्‍वविद्यालय के शोधकार्य का निष्कर्ष

नई देहली : स्कॉटलैंड के डंडी विश्‍वविद्यालय द्वारा किए गए शोध में यह स्पष्ट हुआ है कि शस्त्रकर्म कक्ष (ऑपरेशन थिएटर) में शास्त्रीय संगीत सुनकर शल्यचिकित्सक के कार्य में लक्षणीयरूप से सुधार आ सकता है ।

१. ‘इंटरनैशनल जर्नल ऑफ सर्जरी’ में प्रकाशित इस अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि शास्त्रीय संगीत सुनने के कारण डॉक्टरों के काम में ११ प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है । संगीत के कारण शस्त्रकर्मपूर्व प्रक्रियाएं भी १० प्रतिशत अधिक तीव्रगति से पूर्ण हुईं ।

२. शास्त्रीय संगीत तनाव के स्तर को न्यून करता है तथा शल्यचिकित्सकों को अपने कार्यपर ध्यान केंद्रित करने, साथ ही रोगियों की चिंता भी न्यून करता है । संगीत चलाते समय रोगियों को अचेत करने की आवश्यकता भी न्यून होती है ।

३. अनुसंधान करनेवालों के मत के अनुसार शस्त्रकर्म कक्ष में पहले से ही सौम्य स्वर में शास्त्रीय संगीत चलाया जाता था । इसके विपरीत ऊंचा स्वर अथवा कर्णकर्कश संगीत विचलित करनेवाला हो सकता है और उसके कारण शस्त्रकर्म के पश्‍चात के संक्रमण में वृद्धि दिखाई देती है । इस अध्ययन का कुल मिलाकर और महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष यह था की शल्यचिकित्सक की कार्यक्षमतापर संगीत का सकारात्मक परिणाम होता है ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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