भृगु महर्षिजी की आज्ञा से रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में संपन्न हुआ परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का ‘विष्णुतत्त्व जागृति’ समारोह !

दिव्यानुभूति करानेवाला सनातन के इतिहास का और एक स्वर्णिम दिन !
विश्‍वभर के साधकों ने नादसंगम के माध्यम से की श्री महाविष्णुतत्त्व की अनुभूति

विष्णुसहस्रनाम के पठन के समय उसका श्रवण करते हुए सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी, मध्य में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी

रामनाथी (गोवा) : भगवान श्री महाविष्णु विश्‍व के पालनहार हैं । उन्हीं की कृपा से यह विश्‍व नियंत्रित होता है । आज के युग का संधिकाल चल रहा है । समस्त सृष्टि ही संकटकाल की कगारपर खडी है । ऐसे इस संकटकाल में महर्षियों द्वारा भक्तवत्सल श्री महाविष्णु के अवतार के रूप में गौरवान्वित परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से ‘‘हे भगवन्, धर्म की पुनर्स्थापना हेतु तथा भक्तों की रक्षा हेतु आप निर्गुण स्थिति से सगुण स्थिति में आएं’, यह प्रार्थना करने हेतु ११ दिसंबर को रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में श्री विष्णुतत्त्व जागृति समारोह संपन्न हुआ । भृगु महर्षिजी ने चेन्नई के श्री. सेल्वम्गुरुजी के माध्यम से की गई आज्ञा के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा अर्थात दत्तजयंती के मंगलदिनपर (११ दिसंबर) साक्षात भूवैकुंठ रामनाथी आश्रम में अत्यंत भावपूर्ण वातावरण में यह दिव्य समारोह संपन्न हुआ । अत्यंत शारीरिक कष्ट होते हुए भी महर्षिजी की आज्ञा से परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी कुछ समय इस समारोह में उपस्थित हुए ।

विष्णुसहस्रनाम का पाठ करते हुए बाईं ओर श्री. दामोदर वझेगुरुजी तथा बाजू में श्री. सिद्धेश करंदीकर

लौकिक एवं पारलौकिक कल्याण हेतु, साथ ही मोक्षप्राप्ति हेतु मनुष्य को जिनकी शरण में जाना चाहिए, वे एकमात्र पुरषोत्तम हैं भगवान श्रीविष्णुजी ! भगवान महाविष्णुजी का प्रत्येक अवतार भक्तों के उद्धार हेतु ही है । भक्त आर्तता से पुकारे और भगवान उसके कल्याण हेतु तुरंत दौडे चले आएं; इस अलौकिक प्रेम के कई युग साक्षी हैं । गुरुरुपी भगवान को इसी प्रकार से पुकारने हेतु इस समारोह का प्रयोजन था । इस दिन सनातन संस्था के साधकों को भक्तों के उद्धार हेतु उस विष्णुस्वरूपी गुरुमाता की स्तुति करने का तथा गुरुमाता में विद्यमान विष्णुतत्त्व का अनुभव करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । साधकों ने अभीतक सगुण के पश्‍चात निर्गुण की अनुभूति करानेवाले श्रीविष्णुस्वरूप परात्पर गुरु डॉक्टरजी की उपस्थिति में संपन्न समारोहों का अनुभव किया है; परंतु मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन जिसका शब्दों वर्णन नहीं किया जा सकेगा, ऐसे दिव्य समारोह का साधकों ने अनुभव किया ।

श्रीविष्णुसहस्रनाम के पाठ से श्री महाविष्णु को जागृत किया जाता है । वैकुंठलोक में बांसुरी, सितार जैसे वाद्यों की निर्मिति तो केवल श्रीविष्णु की स्तुति करने के लिए ही हुई है । इन दैवीय वाद्यों के नाद से तथा गायन एवं नृत्य के माध्यम से श्री विष्णुजी के राजोपचार के साथ पूजा-अर्चना की जाती है । वही श्रीविष्णुलोक आज भूतलपर सनातन के रामनाथी आश्रम में अवतरित हुआ ।

समारोह के आरंभ में सनातन संस्था की सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरणों में पुष्पार्चना की । श्री विष्णुसहस्रनाम का संकीर्तन, बांसुरीवादन, सितारवादन एवं नृत्य के विलक्षण संगम के माध्यम से श्रीविष्णुतत्त्व का आवाहन किया गया । सनातन पुरोहित पाठशाला के संचालक तथा ६२ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त श्री. दामोदर वझेगुरुजी एवं पुरोहित श्री. सिद्धेश करंदीकर ने श्रीविष्णुसहस्रनाम का भावपूर्ण पाठ किया ।

भटकल (कर्नाटक) के सनातन संस्था के साधक तथा उच्चलोक से जन्में श्री. पार्थ पै (आयु १५ वर्ष) ने बांसुरीवादन तथा सांगली (महाराष्ट्र) के ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त श्री. मनोज सहस्रबुद्धे ने सितारवादन किया । संगीतसाधना के द्वारा ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त की हुईं कु. तेजल पात्रीकर एवं श्रीमती अनघा जोशी इन दोनों बहनों ने गायनसेवा प्रस्तुत की । इस समय गोवा राज्य के श्री. रामचंद्र च्यारी ने संवादिनीनर, तो श्री. शैलेश बहरे ने मंजिरीपर साथसंगत की । श्री. गिरिजय प्रभुदेसाई ने सतारवादन एवं गायन के लिए तबलावादन किया । तत्पश्‍चात ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त महर्लोक से पृथ्वीपर जन्मी छत्तीसगढ की बालसाधिका कु. शर्वरी कानसकर (आयु १२ वर्ष) ने नृत्यसेवा प्रस्तुत की ।

सद्गुरुद्वयीयों द्वारा परात्पर गुरु डॉक्टरजी की उतारी गई मंगल दीपारती से इस दिव्य भावसमारोह का समापन हुआ । ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधक श्री. विनायक शानभाग ने इस समारोह का भावपूर्ण सूत्रसंचालन किया । इस समारोह में सनातन संस्था के सद्गुरु तथा संत उपस्थित थे, साथ ही संगणकीय प्रणाली के माध्यम से सनातन संस्था के सर्वत्र के साधकों ने इस समारोह का लाभ उठाया ।

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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