‘सनातन की ग्रंथप्रदर्शनी में समाविष्ट सभी विषय सरकार ने पाठ्यपुस्तको में अंतर्भूत करना आवश्यक है !’ – गंगा नदी प्रदूषण मुक्ति के आंदोलक श्री. आर्य शेखर

श्री. आर्य शेखर (दायी ओर) के साथ विचारविमर्श करते समय पू. नीलेश सिंगबाळ

प्रयागराज (कुंभनगरी) : २ फरवरी के दिन कुंभनगरी में सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था । वह देखने के पश्चात् समाजसेवक तथा गंगा नदी प्रदूषण मुक्ति के आंदोलक श्री. आर्य शेखर ने यह प्रतिपादित किया कि, ‘‘सनातन की प्रदर्शनी देखने का भाग्य मुझे प्राप्त हुआ । इस प्रदर्शनी से भविष्य की पिढी को बहुत सीख प्राप्त हो सकती है । आगामी पिढी को पाठ्यपुस्तको में इस प्रदर्शनी के विषय सीखाने चाहिए । वर्तमान के समय सनातन द्वारा अंतर्भूत किए गए विषय अत्यंत ज्वलंत है । विशेषरूप से मैं सरकार को यह कहूंगा कि, सनातन के विषय पाठ्यपुस्तकों में अंतर्भूत करें । इसका कारण यह है कि, प्रदर्शनी आयोजित कर हम सभी में परिवर्तन ला सकते हैं । अतः पाठ्यपुस्तकों में यह विषय अंतर्भूत करना आवश्यक है ।’’

उस समय हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर-पूर्व भारत के मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळ ने उनके साथ राष्ट्र एवं धर्म के कार्य के संदर्भ में विचारविमर्श किया ।

श्री. आर्य शेखर ने आगे यह वक्तव्य किया कि, ‘‘यदि प्रभु श्रीराम तथा भगवान श्रीकृष्ण इन देवताओं के विषय अभ्यासक्रम में अंतर्भूत किए जाते, तो आज राममंदिर का प्रश्न उत्पन्न ही नहीं होता । साथ ही यदि आज गंगा अभ्यासक्रम का विषय अतंर्भूत होता, तो वह दूषित नहीं रहती । अपनी संस्कृति के ज्ञान का लोगों को विस्मरण हो रहा है । इस बात का भान इस प्रदर्शनी के माध्यम से होता है । अच्छे विचारों के कारण स्वयं में सत्कर्म करने की वृत्ति उत्पन्न होती है । यदि स्वयं में परिवर्तन होगा, तो विश्व में परिवर्तन होगा । राष्ट्र के लिए सनातन संस्था जो कुछ कार्य कर रही है, उसे मेरी ओर से शुभेच्छा !’’

स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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