धन से नहीं, तो धन के त्याग से शांति प्राप्त होती है ! – पू. अशोक पात्रीकर

सनातन आश्रम, रामनाथी (गोवा) में चतुर्थ उद्योगपती साधना शिवीर संपन्न

दाएं से खडे हुए उद्योगपती श्रीमती श्रिया वारखणकर, सर्वश्री संतोष वारखणकर, रवींद्र मेहंदळे, श्रीधर नायक, नंदकुमार अंबुर्ले, राजेंद्र सामंत, संजय काथे, साधक संदीप शिंदे तथा उद्योगपती विहंग शहा. आसंदी पर बैठे हुए दाएं से उद्योगपती सर्वश्री राजेंद्र मर्दा, श्रीधर पै, नरेंद्रकुमार अरोडा, श्रीमती उषा रखेजा, सनातन के संत पू. अशोक पात्रीकर, श्री. नागेश गाडे तथा उद्योगपती श्री. गिरीराज सिंह.

रामनाथी (गोवा), १८ अप्रैल – हिन्दु राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दू जनजागृतिसमिति द्वारा १३ से १५  अप्रैल की कालावधी में यहां के आश्रम में उद्योगपती साधना शिवीर संपन्न हुआ । इस शिवीर के समारोप के समय सनातन के संत पू. अशोक पात्रीकर वक्तव्य कर रहे थे । अपने वक्तव्य में उन्होंने यह मार्गदर्शन किया कि, ‘ईश्वरप्राप्ती के लिए साधना करते समय तन, मन तथा धन का त्याग करना आवश्यक है । हमें तन एवं मन का त्याग करना सहज रहता है; किन्तु धन का त्याग करना कठीन है । किसी भी अडचनं के समय पर धन ही उपयोग में आता है तथा वह हमारा देव है । यहीं सीख आज तक हमें मिली है । अतः धन का त्याग करना कठीन होता है । प्रारंभ में ईश्वर के लिए हमें धन का त्याग अत्यंत न्यून मात्रा में करना चाहिए । उससे हमें यह अनुभूति आएगी कि, हम ने ईश्वर को जितना अर्पण किया, उससे अनेक गुना ईश्वर ने हमें दिया है । उससे श्रद्धा बढती जाएगी । धन से हमें शांति नहीं मिलती; किन्तु धन ही हमें अस्थिर बनाता है । जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को शांति प्राप्त करने की इच्छा रहती है । शांति धन से नहीं, तो धन के त्याग से प्राप्त होती है।’

उस समय हिन्दू जनजागृति समिति के केंद्रीय समन्वयक तथा ६५ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के श्री. नागेश गाडे, सनातन अध्ययन केंद्र के समन्वयक श्री. संदीप शिंदे तथा सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस भी उपस्थित थे ।

उद्योगपतियों को विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन

इस तीन दिन के शिवीर में विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन किया गया । उसमें हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में उद्योगपतियों का योगदान तथा उद्योजकों के कार्य की आगामी दिशा, आनंदी जीवन के लिए अध्यात्म तथा गुरुकृपायोगानुसार साधना इन विषयों पर श्री. नागेश गाडे, तनावमुक्त के लिए स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया इस विषय पर पू. अशोक पात्रीकरकाका तथा कु. वृषाली कुंभार ने मार्गदर्शन किया । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय का संकल्पित कार्य तथा महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय का शोधकार्य इस विषय पर कु. तेजल पात्रीकर ने, हिन्दु राष्ट्राची मूलभूत संकल्पना तथा आवश्यकता इस विषय पर श्री. चेतन राजहंस, अनिष्ट शक्तियो के कष्टों के लक्षण तथा आध्यात्मिक उपाय इस विषय पर पू. अशोक पात्रीकर तथा श्री. नागेश गाडे ने मार्गदर्शन किया । ‘सनातन संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति तथा अन्य हिन्दूत्वनिष्ठ संगठनों पर किए जानेवाले आरोप तथा वास्तव’ इस संदर्भ में सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने शंकानिरसन किया । शिविर के समारोप सत्र में शिविरार्थियों ने मनोगत व्यक्त किया ।

मनोगत

सर्व समस्याओं पर साधना करना ही एकमात्र समाधान ! – श्री. संजय काथे, मुंबई

शिविर को आने से पूर्व एक समस्या के कारण मुझे तनाव आया था । आश्रम में जाने के पश्चात् तनाव हल्का होगा, इस विचार से मैं इस शिविर को उपस्थित रहा । यहां आने के पश्चात् यह प्रतीत हुआ कि, अपनी समस्या अत्यंत मामूली है । साथ ही यह सीखने मिला कि, सभी समस्याओं पर साधना करना ही एकमात्र समाधान है । उससे ही प्रत्येक व्यक्ति का जीवन सुखी होगा । प.पू. गुरुदेव हिन्दु राष्ट्र की स्थापना हेतु प्रयास कर रहे हैं । इस कार्य में मेरा भी चानी का हिस्सा रहेगा ।

स्रोत :  दैनिक सनातन प्रभात

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