जलगांव में सनातन के सेवा केंद्र में युवा शिविर उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ

सभी युवकों का सक्रिय होने का निश्चय

शिविर के लिए उपस्थित युवा साधक तथा बीच में (१) सद्गुरु नंदकुमार जाधव

जलगांव – यहां के सनातन के सेवाकेंद्र में २६ से २९ जनवरी की कालावधी में युवा पिढी को सुंस्कारित तथा आदर्श करने के उद्देश्य से युवा शिविर का आयोजन किया गया । उसमें नाशिक, जलगांव, संभाजीनगर, वर्धा, यवतमाळ, नांदेड, नंदुरबार, धुळे के युवा साधक सम्मिलित हुए थे । उस समय परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के संदेश का वाचन किया गया । शिविर में परात्पर गुरु डॉक्टर आठवलेजी का परिचय, ईश्वरप्राप्ति का महत्त्व, दैनिक सनातन प्रभात का अध्ययन किस प्रकार करना चाहिए, साथ-साथ भावसत्संग, स्वभावदोष – निर्मूलन प्रक्रिया, गुरुकृपायोग, भाषण किस प्रकार करें, धर्मकार्य में किस प्रकार सक्रिय सम्मिलित रहें ? इन विषयों पर सद्गुरु नंदकुमार जाधव, श्री. वैभव आफळे ने मार्गदर्शन किया, तो वर्षा जेवळे, श्री. श्रेयस पिसोळकर, श्री. प्रशांत जुवेकर ने शिविरार्थियों के साथ संवाद किया ।

शिविरार्थियों का मनोगत

१. ऐसा प्रतीत हुआ कि, ईश्वर स्वयं मेरे आसपास रहकर मुझे मार्गदर्शन कर रहा है । – कु. चिन्मय चांदेकर, नेर, यवतमाल

२. परात्पर गुरु का संदेश सुनने के पश्चात् भावजागृति हुई । गुरुभेंट की लगन लगी । – कु. श्रुती विजय शिरसाठ, नाशिक

३. अब मुझे पूरे समय के लिए साधना करना है । उसके लिए मैं मेरे परिवार की अनुमति लूंगा । – कु. हेमराज पाटिल, धुळे

४. शिविर के कारण चिडचिडापन यह स्वभावदोष अल्प होकर नामजप करने की लगन उत्पन्न हुई । – कु. शिवा पंडित थोटे, वर्धा

५. मैं अभ्यास के विश्व में कहीं खो गया था । शिविर के कारण मुझे साधना निकट से सीखने मिली । अब मैं साधना ही करूंगा ! – कु. अभिजित जाधव, जलगांव

शिविर में साधना के संदर्भ में मन में जो प्रश्न थे, उनके उत्तर प्राप्त हुए !

यहां के युवा साधकों को यह प्रतीत हुआ कि, ‘मैं पहले से ही पहचान रहा हूं तथा हमारी घनिष्ट मित्रता है ।’ पूरे दिन शिविर में बैठकर भी थकान प्रतीत नहीं हुई । यहां मां-पिताजी का स्मरण नहीं हुआ । शिविर के माध्यम से मेरे मन में साधना के संदर्भ में जो प्रश्न थे, उनके उत्तर प्राप्त हुए । – कुमारी शीतल चंदनखेडे, चंद्रपुर

युवा शिविर अर्थात् ईश्वर के पास जाने का माध्यम ! – सद्गुरु नंदकुमार जाधव

प्रेमभाव किस प्रकार बढाएं, यह सीखने के लिए शिविर का आयोजन किया गया है । ईश्वर का अनुभव करने हेतु शिविर का आयोजन किया गया है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने ही शिविर के लिए हमें चुना है । इस संधी का लाभ प्रत्येक व्यक्ति ने करना चाहिए । साथ ही साधना में सातत्य निभाएं रखने के लिए अखंडित प्रयास करें !

स्रोत :  दैनिक सनातन प्रभात

 

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