‘निर्भय वॉक’ नहीं, अपितु ‘पारदर्शक वॉक’ करते हुए अंनिस दाभोलकर को (अंध)श्रद्धांजली अर्पित करे ! – सनातन संस्था का अंनिस को आवाहन

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जनता से एकत्रित किए गए पैसों का हिसाब महाराष्ट्र को दें !

श्री. चेतन राजहंस

‘विवेक का जागर’, ‘निर्भय वॉक’, ‘वैज्ञानिक दिन’ आदि मोहक नामों पर अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (अंनिस) राज्यभर में दाभोलकर के स्मृतिदिन का कार्यक्रम करनेवाली है । इस कार्यक्रम में विविध सामाजिक क्षेत्रों के नेता, वक्ता, मान्यवर आदि को प्रमुख अतिथि के रूप में बुलाया गया है । जिस अंनिस के ट्रस्ट के हाथ आर्थिक घोटालों से सने हुए हैं, जिन्होंने ट्रस्ट की निधि में पारदर्शकता नहीं रखी है वे आधुनिकता का दिखावा कर विवेक का जागर करें, यह महाराष्ट्र की जनता के साथ ठगी है । इसलिए अंनिस दाभोलकर के स्मृतिदिन निमित्त ‘निर्भय वॉक’ करने के स्थान पर ट्रस्ट के आर्थिक घोटालों के संबंध में ‘पारदर्शक वॉक’ करे और दाभोलकर को (अंध)श्रद्धांजली अर्पित करे, ऐसा आवाहन सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने किया है ।

हम गत अनेक वर्षाें से अंनिस के घोटाले उजागर कर अंनिस का खरा चेहरा समाज के सामने ला रहे थे, तब हम विरोधी विचारों के हैं इसलिए ये आरोप झूठे हैं, ऐसी अनुचित धारणा फैलाई गई; परंतु अब ये ही आरोप अंनिस के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री. माधव बावगे ने एक मराठी वृत्तवाहिनी को दी गई भेंटवार्ता में लगाए हैं । इसलिए अब तो धर्म की समीक्षा करने निकला नास्तिक संगठन अंनिस स्वयं के संगठन के आर्थिक घोटालों की समीक्षा/पूछताछ करे तथा महाराष्ट्र की जनता को ठगकर  ठगी के माध्यम से एकत्रित किए हुए पैसे का उपयोग कहां किया जा रहा है, इस संबंध में महाराष्ट्र को बताए ।

डॉ. हमीद दाभोलकर और अविनाश पाटील इन दो गुटों के मध्य विवाद वैचारिक न होकर ट्रस्ट की निधि और ट्रस्ट के नियंत्रण के कारण उजागर हुआ है । इसलिए वे सामने आकर ट्रस्ट के करोडों रुपयों का हिसाब और उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तर महाराष्ट्र को पारदर्शकता से दें ।

1. अंनिस के ट्रस्ट का भ्रष्टाचार उजागर होने तक ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ का एक ‘ट्रस्ट’ है तथा उसमें कौन ट्रस्टी हैं, यह माधव बावगे जैसे वरिष्ठ कार्यकर्ता को अनेक वर्ष क्यों ज्ञात नहीं था ?

2. एकत्रित किए हुए 28 लाख रूपए अविनाश पाटील ने ‘विवेक जागर ट्रस्ट’ में निवेश किए, यह क्या है ?

3. अंनिस के त्रिदशकपूर्ति कार्यक्रम के लिए 52 लाख रूपए जमा हुए । 40 लाख का बजट था, 36 लाख खर्च हुए । तत्पश्चात कार्यकर्ताओं को बताया गया कि अब पैसे नहीं हैं । तो इनमें से 16 लाख किसकी जेब में गए ?

4. सनातन द्वारा लगाए गए आरोपों के कारण दाभोलकर ने बैठक में बताया कि ‘FCRA के अनुसार उन्हें बाधाएं आ रही हैं, इसलिए अलग ट्रस्ट बनाना पड रहा है ।’अंनिस का कारोबार पारदर्शक था, तो अलग ट्रस्ट बनाने की आवश्यकता क्यों पडी ? अंनिस के पत्रक पर विदेशी-सरकारी आर्थिक सहायता के बिना कार्य चलाते हैं, ऐसा झूठ क्यों लिखा जाता था ?

5. अविनाश पाटील ने एन.डी.पाटील के हस्ताक्षर के पत्र बैंकों में देकर बैंक खाते क्याें फ्रीज किए ?

इन और ऐसे असंख्य प्रश्नों के उत्तर विवेक का बुरका पहना हुआ अंनिस महाराष्ट्र को दे । इससे संबंधित अंनिस के माधव बावगे की भेंटवार्ता अभी भी https://www.youtube.com/watch?v=7fxzkSqq2Wk लिंक पर है, जिससे अंनिस का खरा चेहरा आपको ज्ञात होगा, ऐसा भी श्री. राजहंस ने कहा है ।

 

अंनिस के माधव बावगे की इससे संबंधित भेंटवार्ता

 

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