साधना
लेख
- हिन्दू नववर्षारंभ (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से व्यक्तिगत एवं सामाजिक...
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का नववर्ष के अवसर पर संदेश
- महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024)
‘महाशिवरात्रि' के काल में भगवान शिव रात्रि का एक प्रहर विश्राम करते हैं । महाशिवरात्रि...
- रथसप्तमी (Rathasaptami 2024)
हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति में उच्च देवताआें की उपासना और उनके विविध त्योहार और...
- सनातन संस्था राजस्थान युवा साधना शिविर !
सनातन संस्था द्वारा युवकों में व्यक्तित्व विकास हो, इस लिए राजस्थान के जोधपूर, सोजत रोड...
- विजयादशमी का संदेश
हिन्दुओ, ध्यान रखो, जो समाज अजेय है, उसका राष्ट्र ही विजयादशमी मनाने हेतु पात्र है...
- कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2023)
गोकुलाष्टमी की तिथि पर श्रीकृष्ण का तत्त्व पृथ्वी पर नित्य की तुलना में १००० गुना...
- अधिक मास
अधिक मास को ‘मलमास’ कहते हैं । अधिक मास में मंगल कार्य की अपेक्षा विशेष...
- दीपज्योति नमोस्तुते
पुरातन काल से ही दीप को सर्वत्र आदर एवं श्रद्धा का स्थान है । आज...
- गहरी सांस लेना, यह मनुष्य के लिए एक परिपूर्ण...
श्वास जीवन का आधार है । मन एवं जीवन में रहस्यमय डोर है । श्वास,...
- हनुमान जयंती निमित्त श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी का...
जिनका मंत्र ‘रामभक्ति’ तथा धुन ‘रामसेवा’ ही है, वे हनुमानजी हैं । प्रभु श्रीराम के...
- हिन्दू नववर्ष के उपलक्ष्य में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश...
इस वर्ष गुडीपडवा २२ मार्च को है । गुडीपडवा अर्थात सृष्टि का निर्मिति दिन !...
- ‘वस्त्र (पोषाक) आरामदायी है’, ऐसा ऊपरी-ऊपर विचार कर तमोगुण...
‘जैसा देश वैसा वेश’ ऐसी कहावत है । आज अपना पहनावा ‘फैशन’पर आधारित होता है...
- सोते समय शरीर की स्थिति कैसी हो ?
निद्रा की विविध स्थितियों का विवेचन एवं शीघ्र और शांत निद्रा लगने हेतु उपाय !...
- विवाह निश्चित करते समय वधु-वर की जन्मकुंडली मिलाने का...
वधु-वर की जन्मकुंडलियां मिलाने का महत्त्व, इसके साथ ही वैवाहिक जीवन आनंदमय होने के लिए...
- उपवास
‘विविध उपवास भारतीय संस्कृति की विशेषताएं हैं । इन उपवासों में साधु-संतों के, ऋषि-मुनियों के...
- निरोगी शरीर के लिए परिहार के विरुद्ध आहार लेना...
‘आयुर्वेदीय आहारमंत्र’ नामक मेरी इस पुस्तक में भोजनविधि की विस्तृत जानकारी दी है । भूख...
- शरीर निरोगी रखने के लिए केवल इतना ही करें...
आजकल अनेक लोग चलना, यह व्यायाम स्वरूप करते हैं; परंतु कुछ का चलना आराम से...
- रात में यदि नींद नहीं आती हो, तो आंखों...
नींद न आने का मुख्य आध्यात्मिक कारण आंखों पर होनेवाला कष्टदायक शक्ति का आवरण एवं...
- श्राद्ध में भोजन परोसने की पद्धति
‘पितरों के लिए थाली में सदैव उलटी दिशा में अन्न पदार्थ परोसने से रज-तमात्मक तरंगें...
- नींद कब और कितनी लें ?
आजकल रात में देर से भोजन करने एवं सोने की पद्धति सर्वत्र प्रचलित हो गई...
- संपूर्ण नागपंचमी पूजन विधि – मंत्र एवं अर्थ सहित
‘अपने कुटुंबियों की नागभय से सदासर्वकाल मुक्ति हो, इसके साथ ही नागदेवता का कृपाशीर्वाद प्राप्त...
- गुरुपूर्णिमा के अवसर पर संतों के शुभसंदेश (2022)
भगवान की कृपा प्राप्त करने के प्रयास बढाएं ! - श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ धर्मसंस्थापना...
- गुरुपूर्णिमा पूजाविधि (संपूर्ण गुरु पूजन मंत्र एवं अर्थसहित)
आषाढ पूर्णिमा अर्थात व्यासपूजन अर्थात गुरुपूर्णिमा । इस दिन ईश्वर के सगुण रूप अर्थात गुरु...
- गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में सनातन संस्था के गुरुओं द्वारा...
गुरुपूर्णिमा गुरु अथवा गुरुतत्त्व के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है । हिन्दुओं की...
- श्रद्धा एवं भक्ति द्वारा आज भी वारी की परंपरारूपी...
संत ज्ञानेश्वरजी ने ज्ञानेश्वरी में ‘वारी’ यह शब्द ‘फेरा’, इस अर्थ से प्रयुक्त किया है...
- आषाढी एकादशी – पंढरपुर में होनेवाला भागवतभक्तों का महासंगम
श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ एवं उनके साथ महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के साधक गुट ने एक...
- पांडुरंग एवं एकादशी की महिमा !
आषाढ एवं कार्तिक माह के शुक्लपक्ष में आनेवाली एकादशी के समय श्रीविष्णु का तत्त्व पृथ्वीवर...
- उदयकाल के संदर्भ में पालन करने योग्य आचार
उदयकालीन सूर्य की किरणों का स्पर्श क्यों न होने दें ?, सूर्योदय एवं सूर्यास्त के...
- भगवान को नैवेद्य दिखाने का आधारभूत शास्त्र
नैवेद्य दिखाते समय सात्त्विक अन्न का नैवेद्य भावपूर्ण प्रार्थना करके भगवान को अर्पण करने पर...
- रसोईघर कैसा हो ?
अन्न खुला न रखें, अन्न को ढककर रखें । स्थूलरूप से अन्न की रक्षा हेतु,...
- रामनवमी पूजाविधि
प्रभु श्रीराम का जन्म माध्यान्हकाल अर्थात दो. १२ बजे मनाया जाता है । प्रभु श्रीराम...
- छत्रपति संभाजी महाराज का बलिदानदिन और हिन्दू नववर्षारंभ दिन...
छत्रपति संभाजी महाराज का बलिदानदिन और हिन्दू नववर्षारंभ दिन चैत्रप्रतिपदा एक-दूसरे से लगकर आते हैं...
- ब्राह्ममुहूर्त पर उठने के ९ लाभ !
ब्राह्ममुहूर्त यह सवेरे ३.४५ से ५.३० तक ऐसे दो घंटों का होता है । इसे...
- कुमकुम अथवा गंध लगाने की कुछ पद्धतियां एवं उनका...
अधिकांश हिन्दू स्त्रियां एवं कुछ पुरुष माथे पर कुमकुम अथवा गंध लगाते हैं । उनकी...
- सामाजिक माध्यमों द्वारा श्रीगणेश के नाम पर पारपत्र प्रसारित...
‘भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को श्रीगणेश का आगमन होगा’, इस संकल्पना पर श्रीगणेश का चित्रयुक्त...
- श्रावण मास की जानकारी
अनुक्रमणिका१. नागपंचमीतिथिइतिहासनागकी महिमापूजनभावार्थनिषेध२. श्रावण पूर्णिमा (नारियल पूर्णिमा)समुद्रपूजन३. रक्षा (राखी) बंधनइतिहासभावनिक महत्त्वराखी बांधनाप्रार्थना करनाराखी के माध्यम...
- विपरीत आहार के प्रकार
कुछ व्यक्तियों के लिए देश, काल, अग्नि, प्रकृति, दोष, आयु इत्यादि का विचार करने पर...
- आपातकाल में महाशिवरात्रि कैसे मनाएं ?
‘संपूर्ण देश में महाशिवरात्रि बडे उत्साह से मनाई जाती है । फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी...
- पानी की शक्ति पहचानकर उसका पूर्ण उपयोग करें !
हमारे तीर्थक्षेत्र अथवा नदियों के कुंड अथवा देवालय में दिया जानेवाला तीर्थ अथवा भोजन से...
- शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद के नियमों...
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् । अर्थात, धर्माचरण के लिए (साधना करने के लिए) शरीर का स्वस्थ...
- धनुर्मास की महिमा
१६.१२.२०२० से १३.१.२०२१ तक धनुर्मास था । इस मास के पांच गुरुवार और शुक्रवार अत्यंत...
- शांत निद्रा के लिए सरल आयुर्वेदीय उपचार
शांत निद्रा के लिए सरल आयुर्वेदीय उपचार जान ले ।
- कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न आपातकालीन स्थिति में दीपावली...
कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर लागू की गई संचार बंदी यद्यपि उठाई जा रही है...
- दीपावली का वैश्विक स्वरूप !
नौकरी-व्यवसाय के उपलक्ष्य में पूरे विश्व में फैले भारतीय लोगों ने दीपावली के त्योहार को...
- भोजन बनाते समय विविध कृतियों में कैसा भाव रखें...
कहते हैं ‘जैसा अन्न, वैसा मन’। अर्थात भोजन बनाते समय हमारे मन में जैसा भाव...
- कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न आपातकालीन स्थिति में नवरात्रोत्सव...
कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर लागू की गई यातायात बंदी, साथ ही अन्य प्रतिबंधों के...
- नवरात्रि : बाजारीकरण एवं संभाव्य धोखे !
वर्तमान में हिन्दुओं के उत्सव-त्योहारों में विकृतियां बढने लगी है, उस अनुषंग से एवं पौरोहित्य...
- नमस्कार की योग्य पद्धति तथा उसका शास्त्र
दोनों हाथों के तलुवे एक-दूसरे के साथ जोडकर दोनों हाथों के अंगूठों का स्पर्श भ्रूमध्य...
- नमस्कार के लाभ
तनिक भी अहंभाव न रख नमस्कार करने से दोषों के पहाड भस्म हो जाते हैं,...
- देवघर में देवताओं की रचना कैसे करनी चाहिए ?
पूजाघर में कुलदेवता, श्री गणपति, कुलाचार के अनुसार बालगोपाल, हनुमान एवं श्री अन्नपूर्णा रखें ।...
- ‘कोरोना’ महामारी की पृष्ठभूमि पर शास्त्र के विधान के...
पितृपक्ष में पितृलोक के पृथ्वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को...
- अन्य पंथ तो पूर्वजों के लिए कुछ नहीं करते,...
हिन्दू हो, मुसलमान हो अथवा ईसाई । जो भी शास्त्रों का पालन करेगा, उसे लाभ...
- कोरोना महामारी के काल में श्री गणेशमूर्ति का आगमन,...
वर्तमान में कोरोना और तत्सम आपातकाल में भी हिन्दू धर्म में धर्माचरण के कुछ विकल्प...
- पूजासाहित्य की सूची
श्री गणेश पूजन हेतु आवश्यक पूजासाहित्य की सूची
- ‘गणेशमूर्ति खडियामिट्टी की ही क्यों होनी चाहिए ?
‘धर्मशास्त्र के अनुसार खडियामिट्टी की मूर्ति पूजन करने पर आध्यात्मिक स्तर पर उसका अत्यधिक लाभ...
- आपात्काल में गणेशोत्सव कैसे मनाना चाहिए ?
‘आजकल पुरे विश्व में कोरोना महामारी के कारण सर्वत्र ही लोगों के बाहर निकलने पर...
- आपातकालीन स्थिति में ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ की पूजा कैसे करें...
‘कोरोना विषाणुओं से प्रभावित क्षेत्रों में जहां संचार बंदी (लॉकडाउन) है, वहां एकत्र आकर पूजा...
- अन्नसेवन यह एक ‘यज्ञकर्म’ है
हिन्दू धर्मशास्त्र में नामजप सहित सात्त्विक अन्नसेवन को ‘यज्ञकर्म’ कहा है । ‘यज्ञकर्म’ करने से...
- मनःशांति एवं निरोगी जीवन देनेवाली योगविद्या !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्रों में योगशास्त्र का महत्त्व जगभर के अन्य देशों के...
- सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है । सूर्य नमस्कार को एक संपूर्ण व्यायाम माना जाता...
- विदेश में प्राचीन हिन्दू संस्कृति के संकेतचिह्न
‘इंडोनेशिया एक द्वीपसमूह और मुसलमानबहुल राष्ट्र है, तब भी यहां पर महान हिन्दू संस्कृति की...
- आरती का महत्त्व
देवपूजा होने के उपरांत हम आरती करते हैं । आज भागदौड के युग में हम...
- श्रीरामनवमी
श्रीराम के जन्म के उपलक्ष्य में श्रीरामनवमी मनाई जाती है । इस दिन जब पुष्य...
- ब्रह्मध्वज की पूजा विधि
हिन्दुओं का वर्षारंभ वर्ष-प्रतिपदा को होता है । धर्मशास्त्र में वर्षारंभ के दिन सूर्योदय के...
- उत्सव अर्थात चराचर में व्याप्त चैतन्य वृद्धिंगत कर उसे...
‘धार्मिक समारोह मनानेवाले और उसमें सहभागी होनेवाले, इन दोनों को जिससे आनंद और चैतन्य की...
- उत्तम स्वास्थ्य हेतु भोजन निश्चित समय पर करना आवश्यक...
एक आहार पचने के बाद ही दूसरा आहार करना चाहिए, यह भोजन का सबसे सरल...
- कृत्रिम शीतपेयों के दुष्परिणाम
स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें, तो इन पेयपदार्थों में जीवनसत्त्व अथवा खनिज तत्त्वों का नामोनिशान...
- पाश्चात्त्य संस्कृति अपनाने से व्यसनाधीन बने भारतीय !
व्यसनी व्यक्ति तथा अपने परिवार और समाज में अपना स्थान-सम्मान गंवाता है । उससे उसे...
- लक्ष्मीदेवीतत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोलियां
मंगलवार, शुक्रवार, कोजागरी पूर्णिमा, धनत्रयोदशी, यमदीपदान, देवदीपावली एवं श्री लक्ष्मीपूजनके शुभ प्रसंगमें लक्ष्मीतत्त्व की रंगोलियां...
- श्री दुर्गादेवीतत्त्व आकर्षित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां
विशेषकर मंगलवार एवं शुक्रवारके दिन देवीपूजनसे पूर्व तथा नवरात्रिकी कालावधिमें घर अथवा देवालयोंमें देवीतत्त्व आकृष्ट ...
- अन्न एवं रोग में परस्पर संबंध, साथ ही पाचनशक्ति...
आदिमानव प्रकृति में मिलनेवाले कंदमूल, फल एवं पशुओं की शिकार कर उसका मांस खाता था...
- ग्रंथ-विमोचन
‘विमोचन’ अर्थात देवता के कृपाशीर्वाद से उस विशिष्ट घटक में व्याप्त प्रकाश के निर्मितिस्रोत को...
- स्त्री अथवा पुरुष संतों का सम्मान (सत्कार) करने की...
जो गुरुपदपर आसीन हो और जिसका अहं अल्प हो वह जीव ईश्वर को भी परमप्रिय...
- सत्कार कैसे करें ?
सत्कारमूर्तियों को चंदन का तिलक, कुमकुम-तिलक अथवा हलदी-कुमकुम (स्त्री हो तो हलदी-कुमकुम) लगाएं । चंदन...
- प्राचीन काल से विविध योगमार्गों के अनुसार साधना करनेवाले...
ऋषि अथवा मुनि कहनेपर हमारे हाथ अपनेआप जुड जाते हैं और मस्तक सम्मान से झुक...
- Rest in peace (RIP) का वास्तविक अर्थ जान लें...
REST IN PEACE का अर्थ ‘शांति से लेटिए !’ ‘हे मृतात्मा, हमने तुम्हारे शरीर को...
- दीप अमावस्या को गटारी (नाली) अमावस्या कहकर टोकनेवाले धर्मद्रोही...
हिन्दू इस त्योहार के प्रति लोगों में जागृति लाकर आज इस त्योहार को जो विकृत...
- आषाढ मास में आनेवाली दीप अमावस्या के दिन किए...
आषाढ मास में दीपयज्ञ करने की परंपरा है ।
- गणेशतत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोलियां
नित्य उपासना में भाव अथवा सगुण तत्वकी, तथापि गणेशाेत्सव में आनंद अथवा निर्गुण तत्त्वकी रंगोलियां...
- अशून्यशयन व्रत
इस दिन शेषशय्यापर विराजमान श्रीवत्स चिन्हांकि, ४ भुजाओं से युक्त एवं लक्ष्मीजीसहित विराजमान श्री नारायणजी...
- भावभक्ति की अनुभूति करानेवाली पंढरपुर की यात्रा (वारी)
व्यक्तिगत जीवन के अभिनिवेष बाजू में रखकर ईश्वर के नामस्मरण में देहभान भूलानेवाला एक आध्यात्मिक...
- पोला (बैलोंका त्यौहार – बेंदुर अथवा बेंडर)
किसान-समाजमें इस उत्सवका अत्यधिक महत्त्व है । बुआई हो जानेपर खेतीके कामोंसे बैल खाली हो जाते...
- ‘टैटू’ की पाश्चात्त्य विकृति को दूर रखिए !
टैटू के कारण घातक संक्रमरकारी रोग फैलते हैं । दूसरों की अपेक्षा अलग दिखने तथा...
- डे’ ज और शुभकामनाएं !
अभिभावकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु क्या विदेशी पृष्ठभूमिवाले डेज की आवश्यकता है ?...
- आज के दिशाहीन और ओजहीन युवक !
आज के अधिकांश युवकों के सामने करियर छोडकर अन्य कोई विशिष्ट लक्ष्य और आदर्श नहीं...
- युवकों, समय का सुनियोजन कैसे करेंगे ?
मनुष्य जीवन में समय के जितनी अन्य कोई भी बात महत्त्वपूर्ण है । अंग्रेजी में...
- दिनचर्या
आज की इस भागदौडभरे जीवन में लोगों की जीवनशैली बहुत बिगड चुकी है । लोग...
- यमदीपदान करते समय १३ दीपक क्यों अर्पण करते हैं...
दीपकों की संख्या १३ मानकर, पूजा की जाती है । इस दिन यमदेवता द्वारा प्रक्षेपित...
- आहार का मन से संबंध
आहार से संबंधित धर्मशास्त्र द्वारा बताए नियमों का पालन न करने से जो हानि होती...
- आहार एवं रुचि-अरुचि
केवल जीभ की रुचि-अरुचि की पूर्ति करना तथा रसों के स्वाद में फंसना, विदेशी संस्कृति...
- ‘फास्ट फूड’ और जंक फूड
बर्गर, पिज्जा, वेफर्स, चिप्स और अन्य ‘फास्ट फूड’ लोकप्रिय हैं । ‘फास्ट फूड’ बाह्यतः स्वाद में...
- शर्करा एवं चाय-कॉफी के दुष्परिणाम
हमारी संस्कृति में जिसका कोई स्थान नहीं, ऐसी चॉकलेट अनेक रोगों विशेषतः दांतों के अनेक...
- ईश्वर से प्रार्थना करनेके विविध उदाहरण !
देवद, पनवेल के सनातन आश्रम में रहकर सेवा करनेवाले श्री. भालचंद्र जोशी को सूझी प्रार्थनाएं...
- कुमकुम (सौभाग्यालंकार)
आजकल की बुद्धिवादी स्त्रियां पति के निधन के उपरांत कुमकुम लगाती हैं, यह सोच कर...
- श्री हनुमान तत्त्वको आकृष्ट करनेवाली रंगोली
श्रीहनुमान के मारक तत्त्वको आकृष्ट करनेवाली रंगोली मध्यबिंदू से अष्टदिशांमें प्रत्येकी ५ बिंदू श्रीहनुमान के...
- हनुमान जयंती कहना ही उचित क्यों … यह अवश्य...
जो संसार में नहीं है, उसीकी जयंती मनाई जाती है ।
- सोलह संस्कार
धर्म सिखाता है कि मनुष्य-जन्म ईश्वरप्राप्ति के लिए है; इसलिए जन्म से लेकर मृत्यु तक...
- सोते समय शरीर की स्थिति कैसी होनी चाहिए ?
नींद का उद्देश्य शरीर को विश्राम मिले, यह होता है । इस दृष्टि से जिस...
- गर्भाधान (ऋतुशान्ति) संस्कार (प्रथम संस्कार)
इस संस्कार में विशिष्ट मंत्र एवं होमहवन से देह की शुद्धि कर, अध्यात्मशास्त्रीय दृष्टिकोण एवं...
- नामकरण
जिसप्रकार बच्चे का लिंग गर्भाशय में ही निश्चित होता है, उस प्रकार बच्चे का नाम...
- तीसरा संस्कार : सीमंतोन्नयन
सीमंतोन्नयन शब्द सीमंत (मांग की रेखा) एवं उन्नयन (केश ऊपर से पीछे की ओर करना),...
- शिशू के जन्म उपरांत कौनसे संस्कार करें ? (चौथा,...
जातकर्म विधि के उद्देश्य हैं - उदकप्राशनादि से गर्भसंबंधी दोषों का निवारण हो एवं पुत्रमुख...
- आठवां संस्कार : चौलकर्म ( चूडाकर्म, चोटी रखना )
चूडा अर्थात पुरुष की शिखा (चोटी) । यह शिखा सिर पर सहस्रारचक्र के स्थान पर...
- नौवां संस्कार : उपनयन (व्रतबंध, मुंज अथवा जनेऊ )
उपनयन का अर्थ है, गायत्री मंत्र सीखने हेतु गुरु के (शिक्षक के) पास ले जाना...
- दसवां संस्कार : मेधाजनन
इस विधि में पलाश के छडी पर 'सुश्रव' यह मंत्र पाठ करते हुए ब्रह्मचारी को...
- महानाम्नीव्रत, महाव्रत, उपनिषद्व्रत, गोदानव्रत (ग्यारहवां, बारहवां, तेरहवां एवं चौदहवां...
ग्यारहवें संस्कार से लेकर चौदहवां संस्कार, इन चार व्रतों को चतुर्वेदव्रत कहते हैं । ये...
- पंद्रहवां संस्कार : समावर्तन संस्कार
समावर्तन संस्कार के समय आगे दी गई बातें मंत्रपूर्वक करते हैं - वस्त्रधारण, काजलधारण, कुंडलधारण, पुष्पमालाधारण, पादत्राणधारण,...
- श्री गणेश मूर्ति का विसर्जन बहते पानी में करें...
गणेशभक्तो, गणेश चतुर्थी के काल में आपने श्री गणेश की भक्तिभाव एवं धर्मशास्त्रानुसार सेवा की...
- शास्त्रों के अनुसार श्राद्धकर्म न करने से होनेवाली हानि
हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार मृत व्यक्ति के श्राद्धविधि प्रतिवर्ष करने के लिए कहा गया है...
- अविधवा नवमी
पति के निधन से पूर्व मृत स्त्रियों के श्राद्ध पितृपक्ष की नवमी को (अविधवा नवमी...
- विश्वकर्मा पूजा
हिन्दू धर्मानुसार शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा शिल्पकला एवं सृजनता के देवता माने जाते हैं । भगवान विश्वकर्मा को...
- गणगौर तीज
गणगौर व्रत चैत्र कृष्ण प्रतिप्रदा से चैत्र शुक्ल द्वितीया तक रखा जाता है । ‘गण’ अर्थात...
- गंगा दशहरा
गंगा पूजन का पावन दिन है गंगा दशहरा। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन ही भगीरथ...
- लोहडी
लोहडी का त्यौहार पंजाबियों तथा हरियाणवी लोगों का प्रमुख त्यौहार माना जाता है । यह...
- पूजाविधि के संदर्भ में शंकानिरसन – भाग २
कर्पूर जलाने से उत्पन्न सूक्ष्म-वायु की उग्र गंध में शिवगणों को आकृष्ट करने की क्षमता...
- पूजाविधि के संदर्भ में शंकानिरसन – भाग १
मोगरा (बेला), जाही (एक प्रकारकी चमेली), रजनीगंधा इत्यादि पुष्पों में ऐसी लगन होती है कि...
- पूजा की थाली में विभिन्न घटकों की रचना किस...
प्रत्यक्ष में देवतापूजन आरंभ करने से पूर्व, पूजनसामग्री एवं अन्य घटकों की संरचना उचित ढंग...
- प्रार्थना के उदाहरण – भाग २
विविध कार्यक्षेत्रों से संबंधित व्यक्तियों के लिए उपयुक्त विशेष प्रार्थनाएं एवं दैनिक कृत्य करते समय...
- प्रार्थना के उदाहरण – भाग १
निम्नलिखित प्रार्थनाएं केवल कुछ उदाहरण हैं । प्रत्येक व्यक्ति अपने भाव के अनुरूप जैसी उन्हें...
- प्रार्थना किसे कहते हैं एवं उससे क्या लाभ होता...
उषःकाल में प्रार्थना की कुंजी से दिन का द्वार खोलें और रात को प्रार्थना की कुंडी डालकर...
- रसोई के संदर्भ में पुछे जानेवाले प्रश्न
दूध पूर्णान्न है; क्योंकि दूध को सगुण चैतन्य का स्रोत माना गया है । जो...
- तरकारी काटनेकी उचित पद्धति
तरकारी धोनेके उपरांत काटना आरंभ करें । उसे जलसे धोते समय उसमें कुछ मात्रामें सात्त्विक अगरबत्तीकी...
- घरमें संग्रहित अनाजकी आध्यात्मिक देखभाल कैसे करें ?
आजकल सभी स्थानोंपर काली शक्तिका आवरण बढ गया है । इसलिए घरके अनाजपर भी आवरण आता...
- देवी की मूर्ति गिरने पर तथा भग्न होने पर...
मूर्ति भग्न हो जाना, यह आगामी संकट की सूचना होती है । इसलिए शास्त्र में...
- हिन्दू धर्म में छोटे बच्चों का श्राद्धकर्म न करने...
यहां छोटे बच्चे वे होते हैं, जिनके दांत नहीं आए हों, साथ ही जिन में...
- देवता को चित्र-विचित्र रूप में दिखाकर देवता की अवकृपा...
धर्महानि रोकना कालानुसार आवश्यक धर्मपालन है और वह उस देवता की समष्टि स्तर की साधना...
- कागद की लुगदी से बनाई गई गणेशमूर्ति हानिकारक होने...
हाल ही में कथित पर्यावरणवादी कागद की लुगदी से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्ति का समर्थन...
- भेंट देना
आजकल कीमती वस्तुएं भेंटस्वरूप देने को उपहार मानते हैं; परंतु वास्तव में यह भावनावश किया...
- मुंबई के कुछ मूर्तिकारों ने बनाई सूर्यफुल के बीज...
त्यौहार और उत्सवों में प्रत्येक कृति आध्यात्मिक लाभ के लिए की जाती है, इस धर्मशिक्षा...
- ईश्वर का दर्शन करने के लिए आनेवालों की संख्या...
सैकडों वर्ष पूर्व जब देवालयों का निर्माण किया गया, तब कुल जनसंख्या और दर्शन हेतु...
- श्री गणेशमूर्ति विसर्जन का विरोध करनेवाले ढोंगी सुधारकों की...
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक का आर्थिक वर्ष २०१०-११ (३१ मार्च २०११ को समाप्त हुआ आर्थिक वर्ष)...
- श्री गणेशभक्तो, क्या आप ये जानते हैं ?
श्री गणेश ब्रह्मांड की दूूषित शक्ति को आकर्षित करनेवाले हैं, इसके साथ ही मनुष्य की...
- गणेश मूर्ति विसर्जन से प्रदूषण होता है, ऐसा शोर...
महाराष्ट्र की नगरपालिका और नगरपरिषद के क्षेत्रों में प्रतिदिन निर्माण होनेवाले अपशिष्ट जल, उस पर...
- एकादशी व्रत
केवल पुण्यसंचय हो, इस सद्हेतु से एकादशी की ओर देखना अयोग्य है । एकादशी व्रत...
- लोकमान्य तिलक की प्रेरणा से आरंभ सार्वजनिक गणेशोत्सव का...
पुणे के वैद्य खाजगीवाले ग्वालियर का सार्वजनिक गणेशपूजन को देखकर प्रभावित होना तथा अपने मित्रों...
- सनातन-निर्मित सात्त्विक श्री गणेश मूर्ति
श्री गणपतिके हाथकी लंबाई, मोटाई, आकार अथवा मुकुटकी कलाकृतियोंमें थोडा भी परिवर्तन करनेपर पूरे स्पंदन...
- गुढी : महत्त्व तथा गुढी के लिए प्रार्थना !
त्योहार तथा उत्सवों का रहस्य ज्ञात होने से उन्हें अधिक आस्था के साथ मनाया जा...
- ‘महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दूध का अभिषेक न...
भगवान शिवजी को संभवतः दूध से अभिषेक करना चाहिए; क्योंकि दूध में शिवजी के तत्त्व...
- हिन्दू संस्कृति के प्राण भगवान सूर्यनारायण की विविध फलदायी...
रथसप्तमी को रविवार को उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र पर आदित्यदेव (सूर्यदेव) प्रकट हुए । इसलिए रथसप्तमी श्रेष्ठ...
- विवाह विधिमें ऐसी अनिष्ट प्रथाओंका निषेध करें !
विवाहका पूर्णरूपसे आध्यात्मिक लाभ उठानेके लिए, हिंदुओ, विवाह विधिमें ऐसी अनिष्ट प्रथाओंका निषेध करें !
- हिन्दुओ, त्योहार मनाते समय उसका महत्त्व जानिए और संस्कृति...
एक बार शिवजी किसी कार्य से बहुत समय तक अपने स्थान से बाहर रहे ।...
- मंडप की पवित्रता बनाए रखना महत्त्वपूर्ण !
मुंबई के प्रसिद्ध अंधेरी का राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल ने जीन्स, स्कर्ट परिधान कर आनेवाली...
- जिम, पार्लर, फैशन तथा मॉडेलिंग के मायाजाल में फंसकर...
एक अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र के माध्यम से भारत की भावी पीढी को योजनाबद्ध ढंग से पतित...
- गंगा पूजा
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्ग...
- देवदीपावली
कुलस्वामी, कुलस्वामिनी एवं इष्टदेवताके अतिरिक्त अन्य देवताओंकी पूजा भी वर्षमें किसी एक दिन करना तथा उनको...
- हिन्दुओ, पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण न करें, धर्माचरण से...
वर्तमान में प्रत्येक क्षेत्र में, पश्चिमी संस्कृति ने अपना स्थान बना लिया है । वेशभूषा,...
- चाय के गंभीर दुष्परिणाम !
कर्करोग और हृदयरोग रोकनेवाले एन्टी-ऑक्सिडेन्ट नामक पदार्थ केवल बिना दूध की चाय में है ।...
- भोजन बनाने के लिए एल्युमिनियम अथवा हिंडालियम के बरतनों...
एल्युमिनियम अथवा हिंडालियम के बरतन शरीर के लिए हानिकारक है । भोजन बनाने के लिए...
- आकाशदीप
आकाशदीप का मूल आकार कलशसमान होता है । यह मुख्यतः चिकनी मिट्टी का बना होता...
- आकाशदीप लगाने का अध्यात्मशास्त्र (सूक्ष्म विज्ञान)
दीपावली के दिनों में ब्रह्मांड में संचार करनेवाले अनिष्ट तत्त्वों का निर्मूलन करने के लिए...
- आधुनिक वैज्ञानिक युग में प्रार्थना का महत्त्व
सत्संग में रहने से एवं सात्त्विक तथा सत्प्रवृत्त लोगों से संबंध आने के कारण मानसिक...
- कोजागरी पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा)
कोजागरी पूर्णिमा के दिन रात्रि को लक्ष्मी तथा इंद्र की पूजा की जाती है ।...
- १ अप्रैल अर्थात अप्रैल फूल की पश्चिमी प्रथा का...
साहित्य में १ अप्रैल का उल्लेख सर्वप्रथम वर्ष १९३२ में कँटरबरी टेल्स नामक पुस्तक में...
- देवी का महत्त्व !
कुलदेवी, ग्रामदेवी, शक्तिपीठ आदि रूपों में देवी के विविध सगुण रूपों की उपासना की जाती...
- शक्तिदेवता !
इस वर्ष की नवरात्रि के उपलक्ष्य में हम देवी के इन ९ रूपों की महिमा...
- चंडीविधान (पाठ एवं हवन)
श्री दुर्गादेवी का एक नाम है चंडी । मार्कडेय पुराण में चंडी देवी का माहात्म्य बताया...
- आद्याशक्ति
महाकाली ‘काल’ तत्त्व का, महासरस्वती ‘गति’ तत्त्व का एवं महालक्ष्मी ‘दिक्’ (दिशा) तत्त्व का प्रतीक...
- पितरों का ‘वार्षिक श्राद्ध’ और ‘पितृपक्ष में महालय श्राद्ध’...
प्रत्येक कार्य विशिष्ट तिथि अथवा मुहूर्त पर करना विशेष लाभदायक है; क्योंकि उस दिन उन...
- वटसावित्री व्रत एवं व्रतका उद्देश्य
सावित्रीको अखंड सौभाग्यका प्रतीक माना जाता है । सावित्री समान अपने पतिकी आयुवृद्धिकी इच्छा करनेवाली...
- सूर्य षष्ठी (छठ) पूजा
हमारे देशमें सूर्योपासनाके लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ । मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होनेके कारण...
- अनंत चतुर्दशी
व्यावहारिक इच्छापूर्तिके उद्देश्यसे किए जानेवाले व्रतको ‘काम्य व्रत’ कहते हैं । श्रद्धाभावसे किया गया व्रत...
- ज्येष्ठा गौरी
श्री महालक्ष्मी गौरीने भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन असुरों का संहार कर शरण में...
- ऋषिपंचमी
‘जिन ऋषियोंने अपने तपोबल से विश्व के मानव पर अनंत उपकार किए हैं, जीवन को...
- हरितालिका
अनुरूप वर की प्राप्ति के लिए विवाहयोग्य कन्याएं हरितालिका व्रत करती हैं, तो सुुहाग को...
- श्राद्ध में पितरों तथा देवताओं को नेवैद्य दिखाना
दर्भ पर पितरों के लिए पिंड रखने पर, इससे निकलनेवाली तेजतत्वयुक्त तरंगों से लिंगदेह के...
- व्रत करते समय व्रताचार के संदर्भ में ध्यान रखने...
सारणी १. व्रतको सोच-समझकर अंगीकार करना आवश्यक है २. व्रतका यथार्थ पालन आवश्यक है ३....
- व्रतों के लाभ एवं प्रकार
मनुष्य जीवनमें उसके स्वभावदोषोंके कारण ही अधिकांश समस्याओंका प्रादुर्भाव होता है । दोषोंके कारण उससे...
- व्रतों का महत्त्व एवं आधारभूत शास्त्र
मनुष्यको अपने जीवनके उदात्त ध्येयका स्मरण रहे, इसलिए हमारे ऋषिमुनियोंने जीवनका आध्यात्मीकरण करनेके विविध मार्ग...
- श्राद्ध तीर्थक्षेत्र में करने की तुलना में घर पर...
५० प्रतिशत पितरों का लगाव अपने घर से रहता है । इसलिए, घर में श्राद्ध...
- तर्पण एवं पितृ तर्पण
तर्पण का उद्देश्य है, जिनके नामों का उल्लेख कर तर्पण किया जाता है, वे देव,...
- श्राद्ध के प्रकार
श्राद्ध - हिन्दू धर्म का एक पवित्र कर्म है । मानव जीवन में इसका असाधारण...
- श्राद्ध में की जानेवाली विविध क्रियाओं का अध्यात्मशास्त्र
यह लेेख पढकर आप श्राद्ध में की जानेवाली अनेक छोटी-छोटी क्रियाओं का अध्यात्मशास्त्र समझ सकेंगे...
- श्राद्धकर्म में वर्जित वस्तुएं एवं उसका अध्यात्मशास्त्रीय कारण
श्राद्ध के भोजन में उपर्युक्त पदार्थों का समावेश करने से पितरों को नीचे की योनियों...
- श्राद्ध के भोजन का अध्यात्मशास्त्र
‘ब्राह्मणों को परोसा गया अन्न पितरों तक कैसे पहुंचता है ?’ ‘श्राद्ध में पितरों को अर्पित...
- पितृदोष के कारण एवं उनका उपाय
हमारी हिन्दू संस्कति में मातृ-पितृ पूजन का बडा महत्त्व है । पिछली दो पीढियों का...
- श्राद्ध करने में अडचन हो, तो उसे दूर करने...
हिन्दू धर्म में इतने मार्ग बताए गए हैं कि ‘श्राद्धविधि अमुक कारण से नहीं कर...
- दसवें दिन कौए का पिंड को स्पर्श करना क्यों...
व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात प्रतिदिन दस दिनों तक पिंडदान बताया गया है; किंतु कालानुसार...
- श्राद्ध कौन करें व कौन न करें ?
‘श्राद्धविधि स्वयं करनी चाहिए । स्वयं नहीं कर पाते, इसलिए ब्राह्मण द्वारा करवाते हैं ।
- श्राद्ध के विषय में प्राचीन ग्रंथों के संदर्भ
मृत पूर्वजों को भू और भुव लोकों से आगे जाने के लिए गति प्राप्त हो;...
- श्राद्ध : अन्य पंथ और श्राद्ध
पृथ्वी पर (दक्षिण दिशा में भूमि खोदकर वहां दर्भ (कुश) फैलाकर उस पर ३ पिंडों...
- पिंडदान करने का अध्यात्मशास्त्र
‘पिंड लिंगदेह का प्रतिनिधित्व करता है । जब लिंगदेह स्थूल देह से विलग होता है,...
- नारायणबलि, नागबलि एवं त्रिपिंडी श्राद्ध
ये अनुष्ठान अपने पितरों को (उच्च लोकों में जाने हेतु) गति मिले, इस उद्देश्य से...
- श्राद्ध में उपयोग की जानेवाली वस्तुओं का अध्यात्मशास्त्रीय महत्त्व
श्राद्ध में दर्भ (कुश), काला तिल, अक्षत, तुलसी, भृंगराज (भंगरैया) आदि वस्तुओं का उपयोग किया...
- गोपाष्टमी – गो पूजन का एक पवित्र दिन
गोपाष्टमी, ब्रज में भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है। गायों की रक्षा करने के कारण...
- श्राद्धविधि : इतिहास, महत्त्व एवं लाभ
इहलोक छोड गए हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए जो कुछ किया, वह उन्हें लौटाना असंभव...
- ओणम
ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है। ओणम केरल का एक पर्व है। दक्षिण भारत के अहम पर्वों में से...
- पंढरपुर की वारी (यात्रा) : भावभक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण
श्री विठ्ठल तथा पंढरपुर की यात्रा के छायाचित्रों के माध्यम से भावपूर्ण दर्शन ..
- हरियाली तीज
हरियाली तीज श्रावण के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है । इस दिन...
- बैसाखी
भारत में बैसाखी एक राष्ट्रीय त्योहार है । इस त्यौहार को उत्तर भारत में विशेषकर...
- राधा कुंड
कार्तिक अष्टमी का ये पर्व यहां प्राचीन काल से मनाया जाता है । राधा कुंड...
- गुरु रामकृष्ण परमहंसजी ने एेसे किया स्वामी विवेकानंद के...
स्वामी विवेकानंद के पिताश्री का निधन होता है । सिर पर बहुत ऋण था ।...
- वैवाहिक जीवन आनंदमय होने के लिए क्या करना चाहिए...
विवाह के कारण परिवारव्यवस्था से उत्पन्न बच्चों को सुसंस्कार, प्रेम एवं सुरक्षा मिलती है ।...
- धार्मिक विधियोंमें पति एवं पत्नीद्वारा करने योग्य कृत्य
जानिये इन प्रश्नोंके उत्तर - किस विधिमें पत्नी पतिकी बाइं ओर बैठे ?, पतिके दाहिने...
- विवाहांतर्गत अन्य विधियां
विवाहमें अग्निको साक्षि मानकर वर एवं वधूको कुछ बंधन बनाने होते हैं तथा दोनों अग्निको...
- वैदिक पद्धतिसे विवाह क्यों करते है ?
पशुके स्तरपर न रहकर उच्चतम स्तरपर जाकर, विवाह जैसे रज-तमात्मक प्रसंगको भी सात्त्विक बनाकर, उन्हें...
- विवाह संस्कार
‘विवाह’ जीवनका एक महत्त्वपूर्ण संस्कार है । धार्मिक संस्कारोंको केवल परंपरागत करनेकी अपेक्षा, उनके शास्त्रीय...
- श्राद्ध : प्रश्नोत्तर
श्राद्ध के कारण पूर्वजदोष के (पितृदोषके) कष्ट से रक्षा कैसे होती है ? ‘श्राद्धद्वारा उत्पन्न...
- औक्षण (आरती उतारना)
‘औक्षण’ अर्थात दीपक की ज्योति की सहायता से कार्यरत ब्रह्मांड के देवताओं की तरंगों के...
- पंचोपचार एवं षोडशोपचार पूजन कैसे करें ?
पंचोपचार एवं षोडशोपचार जीव को विधिवत धर्माचरण सिखाती हैं । इससे, हिंदू धर्म में समाविष्ट...
- देवतापूजन की पूर्वतैयारी की प्रत्यक्ष कृति
प्रस्तुत लेख में हम पूजा के पूर्व, पूजास्थल और उपकरणों की शुद्धि कैसे करें; देवी-देवता...
- देवालय का महत्त्व
प्रत्यक्ष ईश्वरीय ऊर्जा के आकर्षण, प्रक्षेपण एवं संचारण के केंद्र होते हैं ‘देवालय’ । इसलिए...
- सावधान मित्रो, यदि खाने-पीने की वस्तुआें के पैकेटों पर...
सावधान मित्रो, यदि खाने-पीने की वस्तुआें के पैकेटों पर निम्नांकित कोड लिखे हैं, तो उसमें...
- कुछ देवियों की उपासना की विशेषताएं
अंबाबाई एवं तुळजाभवानी ये जिनकी कुलदेवता होती हैं, उनके घर विवाह जैसी विधि के पश्चात...
- कुमकुमार्चन कैसे करें ?
उपासनामें कुमकुमार्चनका महत्वपूर्ण स्थान है। कुमकुमार्चन करने के उपरांत मूर्ति जागृत होती है। देवी को...
- देवी की आंचल भराई कैसे करें ?
साडी और चोली वस्त्र-नारियल से देवी का आंचल भरना, यह देवी के दर्शन के समय...
- देवीकी उपासना
पढीएं देवीमांको विशिष्ट फूल चढानेका शास्त्रीय आधार, देवीपूजनमें निषिद्ध फूल, देवीमांके लिए नैवेद्य बनाना, देवी...
- भावपूर्ण दीपावली कैसे मनाएं ?
आइए, गुरुदेव द्वारा मन में प्रज्वलित राष्ट्र्र-धर्म के कार्य की ज्योति से अज्ञान के अंधकार...
- क्या श्राद्ध कर्मकांड का आडंबर है ?
जिस प्रकार माता-पिता एवं निकटवर्तीय परिजनों की जीवितावस्था में हम उनकी सेवा धर्मपालन समझकर करते...
- कुरुंदवाड (कोल्हापुर) नगरपरिषदद्वारा दान में ली गई श्री गणेशमूर्तियों...
कुरुंदवाड में १० सितंबर को एक राजनीतिक पक्ष की महिला कार्यकर्ताओंद्वारा श्री गणेशमूर्तियों का दान,...
- चावल पकाते समय संस्कार महत्त्वपूर्ण !
चावल पकाने की हमारी पारंपरिक पद्धति क्या है ? प्रथम चावल के १६ गुना पानी...
- साष्टांग नमस्कार ऐसे करें !
विद्यार्थियो, जीवन की समस्याओं या दुःखभरे प्रसंगों में हम डगमगा जाते हैं । उनका धैर्यपूर्वक...
- देवी की आरती कैसे करें ?
देवी का पूजन होने के उपरांत अंत में आरती की जाती है । ऐसा नहीं...
- ईश्वर की कृपा संपादन करने का सुलभ मार्ग है...
'भगवान अथवा गुरु की शरण जाकर याचना करके मनोवांछित फल मांगना, अर्थात प्रार्थना । मन...
- वैलेंटाईन डे की पश्चिमी कुप्रथा छोडें !
वैलेंटाईन डे संकीर्ण प्रेम सिखाता है, जबकि हिन्दू धर्म वसुधैव कुटुम्बकम् के व्यापक प्रेम की...
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजाविधि
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना श्रावण कृष्ण पक्ष अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ...
- विनाशकारी पटाखोंपर प्रतिबंध लगाएं !
अमावास्याका अंधेरा कान फाडनेवाले पटाखोंके कारण दूर नहीं होता; अपितु आंखोंके समक्ष जुगनूके समान चमककर...
- तैलाभ्यंग एवं अभ्यंगस्नान
तैलाभ्यंगस्नानके लिए संकल्प किया जाता है । सुगंधित तेल एवं उबटनका लेप बनाकर, तेलके समान...
- दीपावलीका पूर्वायोजन
दीपावली शब्दका अर्थ है, दीपोंकी पंक्ति । अपने घरमें सदैव लक्ष्मीका वास रहे, ज्ञानका प्रकाश...
- ‘दीपावली’
वसुबारस अर्थात् गोवत्स द्वादशी दीपावलीके आरंभमें आती है । यह गोमाताका सवत्स अर्थात् उसके बछडेके...
- यमतर्पण
श्री यमराज धर्मके श्रेष्ठ ज्ञाता एवं मृत्युके देवता हैं । असामयिक मृत्युके निवारण हेतु यमतर्पणकी...
- तुलसी विवाह
इस दिनसे शुभ दिवसका, अर्थात मुहूर्तके दिनोंका आरंभ होता है । ऐसा माना जाता है...
- भाईदूज मनानेसे भाई एवं बहनको होनेवाले लाभ
यमद्वितीया अर्थात भाईदूजके दिन ब्रह्मांडसे आनंदकी तरंगोंका प्रक्षेपण होता है । इन तरंगोंका सभी जीवोंको...
- बलिप्रतिपदा
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा वर्षके साढेतीन प्रमुख शुभ मुहूर्तोंमेंसे आधा मुहूर्त है । इसलिए भी इस...
- श्री लक्ष्मीकुबेर पूजाविधि
आश्विन अमावस्या अर्थात दिवाली के श्री लक्ष्मीपूजन के दिन सर्व मंदिरों, दुकानों तथा घरों में...
- नरकचतुर्दशी के दिन की जानेवाली धार्मिक विधियां
नरक चतुर्दशीपर अभ्यंगस्नान एवं यमतर्पण करनेके उपरांत देवताओंका पूजन करते हैं । सूर्यदेव एवं कुलदेवता...
- नरकचतुर्दशी
आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी नरक चतुर्दशीके नामसे जानते हैं...
- धनत्रयोदशी
'धनत्रयोदशी' दिनके विशेष महत्त्वका कारण यह दिन देवताओंके वैद्य धन्वंतरिकी जयंतीका दिन है । धनत्रयोदशी...
- गोवत्स द्वादशी का महत्त्व
वसुबारस अर्थात गोवत्स द्वादशी दीपावलीके आरंभमें आती है । हिंदू कृतज्ञतापूर्वक गौको माता कहते हैं...
- अक्षय तृतीया : साढे तीन शुभ मुहूर्तों में से...
‘अक्षय तृतीया’ स्वयंमें एक शुभमुहूर्त है । इस तिथिपर ब्रह्मा एवं श्रीविष्णुकी मिश्र तरंगें उच्च...
- तीर्थक्षेत्र एवं उनकी विशेषताएं, अनुभूति एवं प्रमुख स्थान
दत्तभक्त गुरुचरित्रका वाचन, पाठ एवं श्रवण बडे भक्तिभावसे करते हैं । दत्तके सभी तीर्थक्षेत्र अत्यंत...
- भगवान दत्तात्रेय तथा अन्य देवताओंके देवालयोंमें होनेवाले अनाचारोंको रोकें...
वर्तमानमें देवताओंका विविध प्रकारसे अनादर किया जाता है । देवताओंका अनादर करनेसे धर्मप्रेमियोंकी भावनाएं आहत...
- श्री दत्तजयंतीका महत्त्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमाके दिन मृग नक्षत्रपर सायंकाल भगवान दत्तात्रेयका जन्म हुआ, इसलिए इस दिन भगवान दत्तात्रेयका...
- नवरात्रिमें आधुनिक गरबा : संस्कृतिका जतन नहीं; बल्कि पतन...
हिंदुओ, हमाारे सार्वजनिक उत्सवोंका विकृतिकरण हो रहा है । अधिकांश लोग उत्सव मनानेके धार्मिक, आध्यात्मिक...
- विसर्जनकी विविध कृतीया एवं उनका अध्यात्मशास्र
ऐसी जगदोद्धारिणी मां शक्तिके प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर आवाहित शक्तितत्त्वको उनके मूल स्थानपर विराजमान होनेकी...
- दुर्गाष्टमी
दुर्गाष्टमीके दिन देवीके अनेक अनुष्ठान करनेका महत्त्व है । इसलिए इसे `महाष्टमी' भी कहते हैं...
- घटस्थापनाके आदी विधीआेंका शास्रीय आधार तथा उनका आध्यात्मिक परिणाम
नवरात्रिके प्रथम दिन घटस्थापना करते हैं । घटस्थापना करना अर्थात नवरात्रिकी कालावधिमें ब्रह्मांडमें कार्यरत शक्तितत्त्वका...
- गुरुपूर्णिमाका अध्यात्मशास्त्रीय महत्त्व
गुरुदेव वे हैं, जो साधना बताते हैं, साधना करवाते हैं एवं आनंदकी अनुभूति प्रदान करते...
- गुरुपूर्णिमाके दिन गुरुतत्त्व १ सहस्त्र गुना कार्यरत रहता है
गुरु ईश्वरके सगुण रूप होते हैं । उन्हें तन, मन, बुद्धि तथा धन समर्पित करनेसे...
- सार्वजनिक श्रीगणेशोत्सव : कैसा न हो तथा कैसा हो...
हिंदूओंमें धर्मनिष्ठा एवं राष्ट्रनिष्ठा बढे, उन्हें संगठित करनेमें सहायता हो, लोकमान्य तिलकने इस उदात्त हेतु...
- हाथ-पैर धोना तथा कुल्ला करनेके संदर्भमें आचार
शौच एवं लघुशंका जैसी कृति करते समय पैरके संपर्कमें आई रज-तमात्मक तरंगोंका पैर धोनेसे जलमें...
- ब्रह्मध्वजा पर रखे जानेवाले तांबे के कलश का महत्त्व...
आजकल ऐसा देखने को मिलता है कि कुछ लोग ब्रह्मध्वजा पर स्टील या तांबे का...
- प्रकृतिनुसार वस्त्रोंका रंग
प्रकृतिनुसार वस्त्रोंका रंग कैसा होता है ? व्यक्तिकी रुचि-अरुचि उसकी प्रकृतिके अनुरूप होती है एवं...
- श्री दुर्गासप्तशती पाठ एवं हवन
नवरात्रिकी कालावधिमें देवीपूजनके साथ उपासनास्वरूप देवीके स्तोत्र, सहस्रनाम, देवीमाहात्म्य इत्यादिके यथाशक्ति पाठ एवं पाठसमाप्तिके दिन...
- देवालय की सात्त्विकता एवं भावपूर्ण दर्शन का महत्त्व
देवता के दर्शन भावपूर्ण करने से ईश्वर की अनुभूति होती हैं । देवालय की सात्त्विकता...
- देवताके प्रत्यक्ष दर्शन करते समय ध्यान रखने योग्य कुछ...
देवताके दर्शन करते समय उनके चरणोंमें लीन होनेका भाव रखें । कोई भी वस्तु देवताके...
- देवालयमें शिवजीके दर्शन कैसे करें ?
नंदीकी बाईं ओर साष्टांग नमस्कार करनेसे व्यक्तिमें शरणागतभाव जागृत होता है तथा देवालयमें विद्यमान चैतन्य...
- देवालय के प्रांगणमें एवं सभामंडपमें कौनसे कृत्य करें ?
सभामंडपके निकट सीढियां हों, तो चढनेसे पहले दाएं हाथकी उंगलियोंसे प्रथम सीढीको स्पर्श कर नमन...
- भोजनके संदर्भमें सर्वसाधारण सूत्र
अन्न प्राणस्वरूप है, उसे सम्मानपूर्वक ग्रहण करनेसे ही बल एवं तेजसमें वृद्धि होती है ।
- केलेके पत्तेपर भोजन परोसनेकी पद्धति
रंगोलीके माध्यमसे भूमितरंगों एवं शक्तितरंगोंका भोजनकी थालीके नीचे आच्छादन बन जानेसे भोजनके घटक पदार्थ भी...
- थाली कैसे परोसनी चाहिए ?
नामजप कर भोजन आरंभ करें । भोजन करते समय भी नामजप करते रहें । समय-समयपर...
- भोजन करनेका स्थान एवं बैठनेकी दिशा
अन्न-सेवन एक यज्ञकर्म ही है । यह यज्ञकर्म, पूर्व दिशामें तेजकी शक्तिरूपी धारणाद्वारा पिंडमें संचारित...
- भोजनपूर्व आचार एवं कुछ सूत्र
‘कर्ता-करावनहार ईश्वर ही हैं । उनके बिना मैं कुछ नहीं कर सकता । उनकी कृपासे...
- भोजनका समय एवं उनका महत्त्व
उचित समयपर भोजन न करनेसे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य असंतुलित हो सकता है । परिणामस्वरूप...
- भोजनका महत्त्व एवं भोजनसंबंधी कुछ नियम
‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् ।’ अर्थात साधनाके लिए शरीर आवश्यक है । शरीर हेतु अन्न आवश्यक...
- अक्षय्य तृतीया के दिन तिलतर्पण का महत्त्व क्या है...
अक्षय्य तृतीयाके दिन ब्रह्मा एवं श्रीविष्णु इन दो देवताओंका सम्मिलित तत्त्व पृथ्वीपर आता है ।...
- अक्षय्य तृतीयाके दिनका महत्त्व
अक्षय्य तृतीयाके दिन पितरोंके लिए आमान्न अर्थात दान दिए जानेयोग्य कच्चा अन्न, उदककुंभ; अर्थात जल...
- हिंदु संस्कृति के अनुसार नववर्ष कब मनाए ?
सर्व ऋतुओंमें बहार लानेवाली ऋतु है, वसंत ऋतु । इस काल में उत्साहवर्द्धक, आह्लाददायक एवं...
- वर्षारंभदिन एवं उसे मनानेका शास्त्र
चैत्र शुक्ल प्रतिपदाके दिन तेजतत्त्व एवं प्रजापति तरंगें अधिक मात्रामें कार्यरत रहती हैं । अत:...
- शिव-शिमगा कैसे मनाएं ?
धूलिवंदन के दिन अपने घरमें जन्मे नए शिशु की रक्षा हेतु उसके पहले होली पर...
- रंगपंचमी मनाने का उद्देश्य
रंगपंचमीके दिन एक-दूसरेके शरीरको स्पर्श कर रंग लगानेसे नहीं; अपितु केवल वायुमंडलमें रंगोंको सहर्ष उडाकर...
- धूलिवंदन का महत्त्व
होली ब्रह्मांडका एक तेजोत्सव है । होलीके दिन ब्रह्मांडमें विविध तेजोमय तरंगोंका भ्रमण बढता है...
- होली का रंग निकालने के लिए १० घरेलु उपाय
होली के दिन अधिक मात्रा में गुलाल खेलने के पश्चात त्वचा पर लगा रंग निकालना...
- हाथ उलटा कर मुंहपर रखकर जोरजोरसे चिल्लाने का शास्त्राधार
हुताशनी पूर्णिमा अर्थात होलिकोत्सव! होली प्रज्वलनके उपरांत हाथ उलटाकर मुंहपर रखकर जोरजोरसे चिल्लानेका कृत्य किया...
- होली का महत्त्व एवं होली मनाने की पद्धति
होलीके दिन अग्निदेवताकी पूजा करनेसे व्यक्तिको तेजतत्त्वका लाभ होता है । इससे व्यक्तिमेंसे रज-तमकी मात्रा...
- होली की शास्त्रानुसार रचना एवं होली मनानेकी उचित पद्धति
होलीकी ऊंचाई साधारणतः पांच-छः फुट होनी चाहिए । होलीकी रचना करते समय मध्यस्थानपर गन्ना, अरंड...
- होली का त्यौहार
देश-विदेशमें मनाया जानेवाला होलीका त्यौहार रंगोंके साथ उत्साह तथा आनंद लेकर आपसी मनमुटावोंको त्यागकर मेलजोल...
- श्री गणेशमूर्तिकी पूजाविधि
श्री गणेशचतुर्थीके दिन पूजन हेतु श्री गणेशजीकी नई मूर्ति लाई जाती है । देशकालका उच्चारण...
- पूजनमें तुलसी का महत्त्व
भगवान श्रीकृष्णजीको तुलसी प्रिय है । तुलसीमें ५० प्रतिशत कृष्णतत्त्व होता है । जीवको इन...
- रक्षाबंधन
रक्षाबंधन अर्थात राखीका त्यौहार । यह भाई-बहनका त्यौहार है । यह त्यौहार श्रावण पूर्णिमाके दिन...
- नारियल पूर्णिमा
नारियल पूर्णिमा प्राकृतिक परिवर्तनपर आधारित त्यौहार है । वर्षाकालके आरंभमें प्रथम दो महीने समुद्री व्यापार...
- श्रावण मास का व्रत – श्रावण साेमवार
श्रावण मास कहते ही व्रतोंका स्मरण होता है । उपासनामें व्रतोंका महत्त्व अनन्यसाधारण है ।...
- नवरात्रीके विविध विधी
जगत्का पालन करनेवाली जगत्पालिनी, जगदोद्धारिणी मां शक्तिकी उपासना हिंदु धर्ममें वर्ष में दो बार नवरात्रिके...
- शारदीय नवरात्र
नवरात्रिकी कालावधिमें महाबलशाली दैत्योंका वध कर देवी दुर्गा महाशक्ति बनी । जगत्का पालन करनेवाली जगत्पालिनी,...
- चातुर्मास का महत्त्व
चातुर्मासमें किए जानेवाले व्रतोंके कारण व्यक्तिके साथ साथ वायुमंडलकी सात्त्विकता भी बढती है । इस...
- आषाढी एकादशी
एकादशी यह भगवान श्रीविष्णुजीकी तिथि है ।एकादशी व्रत करनेसे, कार्यक्षमतामें वृद्धि होना, आयुवृद्धि होना एवं...
- एकादशी
कालमाहात्म्यानुसार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशीके दिन निर्जला व्रत करनेसे वर्षकी सभी एकादशी करनेका फल प्राप्त होता...
- देवालयमें प्रवेश करनेसे पूर्व पुरुषोंद्वारा अंगरखा अर्थात शर्ट उतारकर...
व्यावहारिक रूपसे भलेही यह उचित न लगे; परंतु देवालयकी सात्त्विकता बनाए रखनेके लिए कुछ स्थानोंपर...
- दर्शनार्थियोंको देवालयकी सात्त्विकताका लाभ क्यों नहीं होता ?
सात्त्विक तरंगोंको अवरुद्ध करनेवाली चमडेकी वस्तुएं, जैसे कमरका पट्टा अर्थात बेल्ट इत्यादि धारण कर देवालयमें...
- जन्मदिन तिथिके अनुसार ही क्यों मनाए?
जिस तिथिपर हमारा जन्म होता है, उस तिथिके स्पंदन हमारे स्पंदनोंसे सर्वाधिक मेल खाते हैं...
- नारियल फोडकर उद्घाटन क्यों किया जाता है ?
किसी भी समारोह अथवा कार्यको पूर्ण करनेके लिए देवताके आशीर्वाद आवश्यक हैं । शास्त्रीय पद्धति...
- बसंत पंचमी
‘सरसः अवती’, अर्थात् एक गतिमें ज्ञान देनेवाली अर्थात् गतिमति । निष्क्रिय ब्रह्माका सक्रिय रूप; इसीलिए...
- श्रीरामनवमी उत्सव मनानेकी पद्धति
त्रेतायुगमें श्रीविष्णुके सातवें अवतार श्रीरामजीने पुष्य नक्षत्रपर, मध्याह्न कालमें अयोध्यामें जन्म लिया । वह दिन...
- हनुमान जयंती की पूजाविधि
हनुमान जयंती की पूजाविधि सामान्यत: इस प्रकार बनाई गई है कि सबके लिए सरल हो...
- नारियल पूर्णिमा (श्रावण पूर्णिमा)
वरुणदेवता की कृपा हम पर एवं हमारे परिजनों पर सदैव बनी रहे, इसलिए समुद्र के...
- अखंड सुहागका प्रतिमान- ‘करवा चौथ’ Karwa Chauth
करवा चौथ Karwa Chauth यह हिंदु संस्कृतिके पवित्र बंधनका प्रतीक है । कैसे मनाए करवा...
- हनुमान जयंती
कुछ पंचांगोंके अनुसार हनुमान जन्मतिथि कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी है, तो कुछ चैत्र पूर्णिमा बताते हैं...
- श्राद्धकर्म : पितृऋण चुकाने का सहज एवं सरल मार्ग
हिंदु धर्ममें उल्लेखित ईश्वरप्राप्तिके मूलभूत सिद्धांतोंमेंसे एक सिद्धांत ‘देवऋण, ऋषिऋण, पितृऋण एवं समाजऋण, इन चार...
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कलियुगमें अधिकांश लोग साधना नहीं करते, अत: वे मायामें फंसे रहते हैं । इसलिए मृत्युके...
- श्राद्धविधिके लिए उपयोगमें लाई जानेवाली सामग्रीके उपयोग करनेका शास्त्र
‘दर्भ तेजोत्पादक है, अर्थात तेजकी निर्मितिके लिए कारक एवं पूरक है । अतः दर्भकी सहायतासे...
- रक्षाबंधन (राखी)
पाताल के बलिराजा के हाथ पर राखी बांधकर, लक्ष्मी ने उन्हें अपना भाई बनाया एवं...
- श्राद्ध तिथिनुसार क्यों करें ?
‘प्रत्येक कृतिकी परिणामकारकता, उसका कार्यरत कर्ता (उसके कर्ता), कार्य करनेका योग्य समय एवं कार्यस्थल आदिपर...
- देवालयमें दर्शनकी योग्य पद्धति
`देवालय' अर्थात् जहां भगवानका साक्षात् वास है । दर्शनार्थी देवालयमें इस श्रद्धासे जाते हैं कि,...
- दशहरा (विजयादशमी)
आश्विन शुक्ल दशमीकी तिथिपर दशहरा मनाते हैं । दशहरेके पूर्वके नौ दिनोंमें अर्थात नवरात्रिकालमें दसों...
- हिंदु संस्कृतिका प्रतीक `नमस्कार’
हिंदु मनपर अंकित एक सात्त्विक संस्कार है `नमस्कार' । भक्तिभाव, प्रेम, आदर, लीनता जैसे दैवीगुणोंको...
- देवता की आरती कैसे करे ?
पंचारतीके समय आरतीकी थालीको पूर्ण गोलाकार घुमाएं । इससे ज्योतिसे प्रक्षेपित सात्त्विक तरंगें गोलाकार पद्धतिसे...
- नींदसे जागनेपर भूमिवंदना क्यों करते है ?
रात्रिकालमें तमोगुण प्रबल होता है । ‘भूमिसे प्रार्थना कर ‘समुद्रवसने देवी...’ श्लोक कहकर भूमिपर पैर...
- हाथसे कपडे धोते समय कमरसे क्यों झुके ?
झुककर कपडे धोनेसे नाभिचक्र निरंतर जागृत स्थितिमें रहता है । वह देहकी पंचप्राणात्मक वायु-वहनको पोषित...
- हिंदु धर्ममें बताया गया मुंडनके संदर्भ में शास्त्रीय ज्ञान
यहां पर आप हिंदु धर्ममें बताया गया मुंडनके संदर्भ में शास्त्रीय ग्यान जान सकते है...
- हिंदु धर्ममें बताए गए वस्त्र धारण करनेसे क्या लाभ...
हिंदु धर्ममें स्त्री एवं पुरुषद्वारा धारण किए जानेवाले वस्त्रोंकी रचना देवताओंने की है । इसीलिए...
- शौचविधि करनेसे पूर्व, जनेऊ दाहिने कानपर क्यों लपेटें ?
हाथ-पैर धोकर, कुल्ला करनेके उपरांत जनेऊ कानसे हटाएं । इसका आधारभूत शास्त्रीय कारण यह है...
- झाडू लगाते समय पूर्व दिशाकी ओर कूडा क्यों ना...
पूर्व दिशाकी ओरसे देवताओंकी सगुण तरंगोंका पृथ्वीपर आगमन होता है । कूडा रज-तमात्मक होता है,...
- दिन में क्यों नहीं सोना चाहिए ?
दिन और रात, इन दो मुख्य कालों में से रात के समय साधना करने में...
- संध्या के समय देवता के समक्ष दीप क्यों जलाएं...
संध्यासमय, अर्थात् दीप जलानेके समय देवता व तुलसीके समीप दीप जलानेसे घरके चारों ओर देवताओंकी...
- ब्रशका उपयोग करनेकी अपेक्षा उंगलीसे दांत स्वच्छ क्यों करें...
उंगलियोंसे दांत स्वच्छ करते समय दांत स्वच्छ होनेके साथ ही मसूडोंका मर्दन अपनेआप होता है...