कुदृष्टि उतारने की पद्धति

कुदृष्टि यथासंभव सायं समय उतारें । कष्ट दूर करने के लिए वह समय अधिक अच्छा रहता है; क्योंकि उस समय अनिष्ट शक्ति का सहजता से प्रकटीकरण होता है तथा वह पीडा कुदृष्टि उतारने हेतु उपयोग किए जानेवाले घटक में खींची जा सकती है ।

कुदृष्टि उतारने के लाभ

कुदृष्टि उतारने से जीव की देह पर आया रज-तमात्मक आवरण समय पर दूर होता है । इससे उसकी मनःशक्ति सबल होकर कार्यकरने लगती है ।

कुदृष्टि लगने के परिणाम अथवा परखने हेतु लक्षण

कुदृष्टि लगना, इस प्रकार में जिस जीव को कुदृष्टि लगी हो, उसके सर्व ओर रज-तमात्मक इच्छाधारी स्पंदनों का वातावरण बनाया जाता है ।

पितृदोष के कारण एवं उनका उपाय

हमारी हिन्दू संस्कति में मातृ-पितृ पूजन का बडा महत्त्व है । पिछली दो पीढियों का भी स्मरण रखें । पितृवर्ग जिस लोक में रहते हैं, उसे पितरों का विश्व अथवा पितृलोक कहते हैं ।

दत्तात्रेय के नामजपद्वारा पूर्वजों के कष्टोंसे रक्षण कैसे होता है ?

कलियुगमें अधिकांश लोग साधना नहीं करते, अत: वे मायामें फंसे रहते हैं । इसलिए मृत्युके उपरांत ऐसे लोगोंकी लिंगदेह अतृप्त रहती है । ऐसी अतृप्त लिंगदेह मर्त्यलोक (मृत्युलोक)में फंस जाती है । मृत्युलोकमें फंसे पूर्वजोंको दत्तात्रेयके नामजपसे गति मिलती है