श्री गणेशमूर्तिकी पूजाविधि

श्री गणेशचतुर्थीके दिन पूजन हेतु श्री गणेशजीकी नई मूर्ति लाई जाती है । देशकालका उच्चारण कर विधिका संकल्प कीजिए । श्री गणेशमूर्तिमें प्राणप्रतिष्ठा की जाती है ।

श्रीकृष्णतत्वसे संबंधित रंगोलीकी विशेषताएं एवं पूजाविधिमें अंतर्भूत कृत्योंका शास्त्राधार

त्यौहारके दिन वातावरणमें त्यौहारसे संबंधित विशिष्ट देवताका तत्त्व कार्यरत रहता है । विशिष्ट देवता तत्त्वको आकृष्ट करने हेतु विशिष्ट प्रकारकी रंगोली बनानेसे लाभ होता है ।

रक्षाबंधन

रक्षाबंधन अर्थात राखीका त्यौहार । यह भाई-बहनका त्यौहार है । यह त्यौहार श्रावण पूर्णिमाके दिन मनाया जाता है ।

नारियल पूर्णिमा

नारियल पूर्णिमा प्राकृतिक परिवर्तनपर आधारित त्यौहार है । वर्षाकालके आरंभमें प्रथम दो महीने समुद्री व्यापार अथवा समुद्री-यात्रा करना संभव नहीं होता है । परंतु श्रावण पूर्णिमाके कालमें वर्षाका परिमाण घटता है ।

श्रावण मास का व्रत – श्रावण साेमवार

श्रावण मास कहते ही व्रतोंका स्मरण होता है । उपासनामें व्रतोंका महत्त्व अनन्यसाधारण है । सामान्य जनोंके लिए वेदानुसार आचरण करना कठिन है । इस कठिनाईको दूर करनेके लिए पुराणोमें व्रतोंका विधान बताया गया है ।

चातुर्मास का महत्त्व

चातुर्मासमें किए जानेवाले व्रतोंके कारण व्यक्तिके साथ साथ वायुमंडलकी सात्त्विकता भी बढती है । इस सात्त्विकताके प्रभावसे अनिष्ट शक्तियोंके आक्रमणकी तीव्रता घट जाती है ।

आषाढी एकादशी

एकादशी यह भगवान श्रीविष्णुजीकी तिथि है ।एकादशी व्रत करनेसे, कार्यक्षमतामें वृद्धि होना, आयुवृद्धि होना एवं आध्यात्मिक उन्नति शीघ्र होनेमें सहायता मिलना ।

एकादशी

कालमाहात्म्यानुसार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशीके दिन निर्जला व्रत करनेसे वर्षकी सभी एकादशी करनेका फल प्राप्त होता है । एकादशीका महत्त्व, एकादशी व्रतपालन करते समय ध्यान रखने योग्य कुछ निषेध कृत्य इसके बारेमें हम जानेंगे ।

बसंत पंचमी

‘सरसः अवती’, अर्थात् एक गतिमें ज्ञान देनेवाली अर्थात् गतिमति । निष्क्रिय ब्रह्माका सक्रिय रूप; इसीलिए उन्हें ‘ब्रह्मा-विष्णु-महेश’, तीनोंको गति देनेवाली शक्ति कहते हैं ।

श्रीरामनवमी उत्सव मनानेकी पद्धति

त्रेतायुगमें श्रीविष्णुके सातवें अवतार श्रीरामजीने पुष्य नक्षत्रपर, मध्याह्न कालमें अयोध्यामें जन्म लिया । वह दिन था, चैत्र शुक्ल नवमी । तबसे श्रीरामजीके जन्मप्रीत्यर्थ श्रीरामनवमी मनाई जाती है ।