थेऊर में स्थापित चिंतामणि गणपति (अष्टविनायकों में से एक) !

आकाशवाणी द्वारा हुए आदेश से महर्षि गृत्समद ने विदर्भ छोडकर पुणे जिले के थेऊर को अपनी कार्यभूमि के रूप में चुना और तपश्‍चर्या प्रारंभ की । बारह वर्षों की तपस्या के उपरांत भगवान गणेश प्रकट हुए और उन्होंने महर्षि गृत्समद को अनेक वरदान दिए । उसी स्थान पर महर्षि गृत्समद ने श्री गणेश की स्थापना की ।

मोरगांव के मयुरेश्‍वर : भूलोक में अधिक आनंद देनेवाले स्थान !

ब्रह्मदेव के कमंडल का पानी नीचे पृथ्वी पर छलका और कर्हा नामक नदी का उदय हुआ । इस नदी के किनारे मयुरेश्‍वर आदि क्षेत्र अत्यंत प्राचीन काल से बसा है । मोरगांव के गणपति के रूप में विख्यात क्षेत्र पुणे जिले में आता है । यह क्षेत्र अविनाशी है ।

राजस्थान में सवाई माधोपुर के त्रिनेत्र श्री गणेश मंदिर की विशेषताएं

समुद्र की सतह से २ सहस्र फुट की ऊंचाई पर रणथंभोर के जंगल की एक पहाडी के किनारे से यह स्वयंभू गणपति प्रकट हुआ है । श्री गणेश की मूर्ति पूर्ण न होकर पहाडी से बाहर आए भाग में श्री गणेश का केवल मुख और सूंड का भाग हमें दिखाई देता है ।

ईश्‍वर की साक्ष देनेवाला चित्तूर (आंध्रप्रदेश) का कनिपकम् विनायक मंदिर !

आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के कनिपकम् विनायक मंदिर का यह स्वयंभू गणेशमूर्ति अनेक आख्यायिकाआें के कारण जगभर में प्रसिद्ध है । बताया जाता है कि चोल वंश के राजा ने ११ वीं शताब्दी में यह मंदिर बनवाया था । विजयनगर के राजा ने वर्ष १३३६ में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया ।

साक्षात् श्रीवामनावतार द्वारा स्थापित किए गए अदासा (जि. नागपुर) में शमी विघ्नेश्‍वर की श्री गणेशमूर्ति !

श्री गणेश क्षेत्रों में से अति प्राचीन विदर्भ की अदोष क्षेत्र में साक्षात् श्रीवामनावतार ने उपासना की थी । ऐसे इस परमपवित्र स्थान पर वामन द्वारा स्थापित (१) शमी विघ्नेश्‍वर की विलोभनीय मूर्ति और (२) श्री गणपति मंदिर

वसिष्ठऋषि द्वारा स्थापित केळझर (जिला वर्धा) में वरद विनायक श्री गणेशमूर्ति !

वर्धा जिले के केळझर में वरद विनायक श्री गणपति का मंदिर है, जिसकी कीर्ति दूर-दूर तक फैली है । केळझर, नागपुर से ५२ किमी की दूरी पर है । यह पहाडी की गोद में बसा रमणीय स्थल है । वसिष्ठपुराण और महाभारत में इस मंदिर की महिमा का वर्णन है ।

प्रभु श्रीरामचंद्र के अस्तित्व से पावन हुए रामटेक (जिला नागपुर) क्षेत्र में स्थित प्राचीन अष्टदशभुज श्री गणेशमूर्ति !

प्रभु श्रीरामचंद्रजी के चरणस्पर्श से पावन हुआ नागपुर जिले का रामटेक पवित्र तीर्थक्षेत्र ! शैैवल्य पर्वत बने इस गढ की तलहटी पर अठारह भुजाआेंवाले श्रीगणेश का स्थान है ।

महाल, नागपुर का जागृत श्री गणपति मंदिर !

नागपुर के महाल क्षेत्र में श्री गणपति का प्रसिद्ध और जागृत मंदिर है । नागपुर के प्रसिद्ध संगीतकार श्री. मधुसूदन ताम्हणकर के घर में यह मंदिर है ।

नागपुर का २५० वर्षों से भी अधिक प्राचीन और विदर्भ के अष्ट गणेशों में से एक टेकडी के स्वयंभू गणपति !

नागपुर शहर में मध्यवर्ती स्थित सिताबर्डी नामक टेकडी (पहाडी) पर यह मंदिर स्थित है । मंदिर के वृक्ष की विशाल जड के समीप स्थित गणेशमूर्ति ही टेकडी के गणपति हैं !

हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता दर्शानेवाली पद्मालय (जिला जलगांव) की अति प्राचीन बाईं और दाईं सूंड की स्वयंभू श्री गणेशमूर्ति !

जलगांव जिले की एरंडोल तहसील ! तहसील में निसर्गरम्य परिसर में पद्मालय नामक इस पवित्र क्षेत्र का श्री गणेशमंदिर सुप्रसिद्ध है । इस मंदिर की मूर्ति १०० से भी अधिक वर्षों पूर्व मंदिर के निकट स्थित जलकुंड में मिली ।