आव्हाणे बुद्रूक (जिला नगर) की निद्रावस्था में दक्षिणोत्तर श्री गणेशमूर्ति !

नगर जिले के पाथर्डी गांव से १७ किलोमीटर के अंतर पर आव्हाणे बुद्रूक नामक गांव है । अवनी नदी के तट पर बसे इस गांव का श्री गणेशमंदिर प्रसिद्ध है ।

थेऊर (जिला पुणे) के श्री गणेशभक्त मोरया गोसावी की उपासना का स्थान !

१४ वीं शताब्दी के महान गणेश भक्त मोरया गोसावी, भगवान गणेशजी की उत्कट भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं । उन्होंने पुणे जिले के मोरगांव में गणेश की भक्ति की ।

इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर स्थित विविध मंदिर और उनका संक्षिप्त इतिहास

इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर ८७ प्रतिशत लोग हिन्दू हैं । बाली के मंदिरों को ‘पूरा’ नाम से जाना जाता है । उनमें पूरा बेसाखी, पूरा तीर्थ एंपूल, पूरा तनाह लोट और पूरा उलुवातू प्रमुख हैं । आज हम उनमें से पूरा तीर्थ एंपूल, पूरा तनाह लोट और पूरा उलुवातू , इन मंदिरों की जानकारी लेंगे ।

कंबोडिया के ‘नोम देई’ गांव में भगवान शिव का ‘बंते सराई’ मंदिर !

‘महाभारत में जिस भूभाग को ‘कंभोज देश’ संबोधित किया गया है, वह भूभाग आज का कंबोडिया देश ! यहां १५ वें शतक तक हिन्दू रहते थे । ऐसा कहा जाता है की ‘ईसवी सन ८०२ से १४२१ तक वहां ‘खमेर’ नाम का हिन्दू साम्राज्य था’ ।

कंबोडिया में समराई नामक समुदाय के लिए निर्मित भगवान शिवजी का बंते समराई मंदिर !

हिन्दू साम्राज्य खमेर के समय समराई नामक एक समुदाय था । यह समुदाय परिश्रम के काम करता था । इस समुदाय के लोग मंदिर, राजमहल, नगर की विविध वास्तूएं, सेतू आदि के निर्माण के लिए आवश्यक पत्थरों को महेंद्र पर्वत की तलहटी के पास जाकर लाते थे ।

कंबोडिया के महेंद्र पर्वतपर उगम होनेवाली कुलेन नदी को तत्कालनी हिन्दू राजाआें द्वारा पवित्र गंगानदी की श्रेणी प्रदान की जाना तथा प्रजा को गंगा नदी की भांति पवित्र जल मिले तथा भूमि उपजाऊ होने के लिए पानी में १ सहस्र शिवलिंग अंकित किए जाना

वास्तव में कंभोज प्रदेश कौंडिण्य ऋषि का क्षेत्र था, साथ ही कंभोज देश एक नागलोक भी था । ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि कंभोज देश के राजा ने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था । नागलोक होने के कारण यह एक शिवक्षेत्र भी है ।

नासिक में गोदावरी नदी सूख जाने से नदी में डूबे मंदिर दिखाई देने लगे !

नासिक से २५ कि.मी दूर स्थित गांव में अकाल के कारण गोदावरी नदी सूख गई थी । इससे नदी में डूबे मंदिर दिखाई देने लगे हैं । ये मंदिर लगभग ३४ वर्ष पानी के नीचे थे । अब उनके ऊपर आने पर लोगों ने वहां दर्शन के लिए आना प्रारंभ कर दिया है

महादेव के सामने नंदी नहीं हैं, ऐसा त्रिलोक में एकमेव श्री कपालेश्‍वर मंदिर

नासिक वास्तव में पुण्यभूमि है । इस नगरी को साक्षात भगवान शिव, प्रभु श्रीरामचंद्र और अन्य देवी-देवताआें के चरणस्पर्श हुए हैं; इसलिए वह आध्यात्मिक नगरी भी है ।

भारत की सीमा की रक्षा करनेवाली जैसलमेर (राजस्थान) की श्री तनोटमाता

श्री तनोटमाता मंदिर, राजस्थान राज्य के जैसलमेर जनपद से १३० किलोमीटर दूर थार मरुस्थल (रेगिस्तान) में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर स्थित है । भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय हुई अद्भुत घटनाओं के कारण यह मंदिर विख्यात है ।

ज्योतिर्मय काशी (उत्तरप्रदेश) की श्री ब्रह्मचारिणी देवी

काशी के दुर्गाघाट पर श्री ब्रह्मचारिणी देवी का मंदिर है । शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन श्री ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है । देवी के प्रति श्रद्धालुओं का विश्वास है कि ‘इस देवी के दर्शन से परब्रह्म की प्राप्ति होती है |