सामाजिक माध्यमों द्वारा श्रीगणेश के नाम पर पारपत्र प्रसारित कर श्रीगणेश का अनादर !

‘भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को श्रीगणेश का आगमन होगा’, इस संकल्पना पर श्रीगणेश का चित्रयुक्त पारपत्र (पासपोर्ट) सामाजिक माध्यमों पर प्रसारित कर श्रीगणेश का अवमान किया गया । इस पारपत्र पर भाग्यनगर (हैद्राबाद) पारपत्र कार्यालय की मोहर एवं पारपत्र प्रदान अधिकारी पी. कृष्णा चार्या का नाम एवं हस्ताक्षर हैं । यह पारपत्र विनोद के रूप में सामाजिक माध्यमों पर प्रसारित किया गया है ।

कोरोना महामारी के काल में श्री गणेशमूर्ति का आगमन, पूजन और विसर्जन !

वर्तमान में कोरोना और तत्सम आपातकाल में भी हिन्दू धर्म में धर्माचरण के कुछ विकल्प बताए हैं । वे विकल्प कौन-से हैं ? इस विषय में जानने के लिए ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि और सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस से भेंटवार्ता हुई ।

‘गणेशमूर्ति खडियामिट्टी की ही क्यों होनी चाहिए ?

‘धर्मशास्त्र के अनुसार खडियामिट्टी की मूर्ति पूजन करने पर आध्यात्मिक स्तर पर उसका अत्यधिक लाभ मिलता है’, ऐसा हिन्दू धर्मशास्त्रीय ग्रंथ में बताया गया है ।

आपात्काल में गणेशोत्सव कैसे मनाना चाहिए ?

‘आजकल पुरे विश्‍व में कोरोना महामारी के कारण सर्वत्र ही लोगों के बाहर निकलने पर अनेक बंधन लगे हैं । भारत के विविध राज्यों में भी यातायात बंदी (लॉकडाउन) लागू है ।

विदेश में प्राचीन हिन्दू संस्कृति के संकेतचिह्न

‘इंडोनेशिया एक द्वीपसमूह और मुसलमानबहुल राष्ट्र है, तब भी यहां पर महान हिन्दू संस्कृति की जडें गहरी पाईं गईं हैं ।

श्री गणेश मूर्ति का विसर्जन बहते पानी में करें !

गणेशभक्तो, गणेश चतुर्थी के काल में आपने श्री गणेश की भक्तिभाव एवं धर्मशास्त्रानुसार सेवा की । अब उनका धर्म शास्त्रानुसार विसर्जन करने के स्थान पर प्रसिद्धि के लिए पर्यावरण रक्षा का ढोंग करनेवाले नास्तिकों के हाथ में मूर्ति सौंपनेवाले हो क्या ? धर्मद्रोहियों के आवाहन की बलि चढ, विसर्जन न करने के महापाप से बचें ।

देवता को चित्र-विचित्र रूप में दिखाकर देवता की अवकृपा ओढ न लें !

धर्महानि रोकना कालानुसार आवश्यक धर्मपालन है और वह उस देवता की समष्टि स्तर की साधना ही है । बिना इस उपासना के देवता की उपासना पूर्ण नहीं हो सकती है ।

कागद की लुगदी से बनाई गई गणेशमूर्ति हानिकारक होने का वैज्ञानिकदृष्टि से भी प्रमाणित !

हाल ही में कथित पर्यावरणवादी कागद की लुगदी से बनाई जानेवाली श्री गणेशमूर्ति का समर्थन करते हैं, तथापि उसके कारण कितना प्रदूषण होता है, यह भी जान लेना आवश्यक है ।