सितंबर २०१९ में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोध समूह ने कर्नाटक राज्य के विविध ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का अवलोकन किया । कर्नाटक के तुमकूर जनपद में स्थित हंगरहळ्ळी (तहसील कुणीगल) की श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी का यह मंदिर एक जागृत देवस्थान है ।
श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी की मूर्ति

मंदिर में स्थित श्री विद्याचौडेश्वरी की मूर्ति पंचधातु की बनी है और वह लगभग २.५ फीट ऊंची है । श्री श्री श्री बालमंजुनाथ स्वामीजी ने देवी की मूर्ति के संदर्भ में निम्नांकित जानकारी दी –
कुछ वर्ष पूर्व दूसरे गांव के एक मुसलमान व्यक्ति को उसके खेत में देवी की एक मूर्ति मिली । उसने वह मूर्ति एक मंदिर में दी । वहां के श्री श्री श्री बालमंजुनाथ स्वामीजी ने उस देवी की मूर्ति का स्वीकार करने से पहले उस देवी का निर्णय लेना सुनिश्चित किया । उन्होंने तालाब में एक नौका के मध्य में देवी की मूर्ति को रखा । नौका के दोनों अग्रों में से एक अग्रपर स्वामीजी खडे रहे और दूसरे अग्र को वह मुसलमान व्यक्ति खडा रहा । ‘नौका में रखी गई देवी की मूर्ति यदि स्वामीजी की दिशा में सरक गई, तो देवी की वह इच्छा है, ऐसा समझकर स्वामीजी देवी की मूर्ति का स्वीकार करेंगे, ऐसा सुनिश्चित किया गया । देवी की मूर्ति को जब नौका में रखा गया, तब वह स्वामीजी की दिशा में सरक गई । इसलिए स्वामीजी ने देवी की मूर्ति का स्वीकार किया और मंदिर में उसकी स्थापना की ।
अपने भक्तों के प्रश्नों के प्रश्नों का उत्तर देने की श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी की अद्भुत पद्धति !
श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी का मंदिर अत्यंत जागृत स्थान है । देवीभक्तों को इसकी नित्य प्रतिती होती है । इस मंदिर में बुधवार और गुरुवार को छोडकर अन्य दिनोंपर सुबह ९ से सायंकाल ५ बजे की कालावधि में श्रद्धालु अपने प्रश्न पूछ सकते हैं । श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी के मंदिर में कई श्रद्धालु आते हैं । वे देवी के सामने खडे रहकर प्रार्थना करते हैं । भक्त उनके मन में व्याप्त प्रश्न अथवा समस्याओं के संदर्भ में खुलेपन से कुछ नहीं बोलते; किंतु उनके मन के विचार देवी को ज्ञात होते हैं । देवी के सामने रखे एक पटलपर हल्दी फैलाई होती है । देवी श्रद्धालुओं के प्रश्नों का निम्नांकित पद्धति से उत्तर देती है ।
स्वामीजी और एक सेवक श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी के मुख को आगे की बाजू में झुकाते हैं, तब देवी की मूर्ति के मुकुट के अग्र से सामने रखे गए पटलपर रखी गई हल्दीपर सांकेतिक लिपी में अपनेआप उत्तर अंकित होता है । उस समय स्वामीजी और सेवक मूर्ति को पकडकर रखते हैं । इस सांकेतिक लिपी को केवल स्वामीजी ही पढ सकते हैं । स्वामीजी देवी द्वारा लिखे गए उत्तर से श्रद्धालुओं को अवगत कराते हैं । इस प्रकार देवी अपने भक्तों की पुकार को सुनकर उनकी समस्याओं का समाधान कराती है ।
विज्ञान के द्वारा श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी की आध्यात्मिक विशेषताओं का अध्ययन करने हेतु २४.९.२०१९ को महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के लिए यु.ए.एस्. (युनिवर्सल ऑरा स्कैनर) उपकरण का उपयोग किया गया । इस परीक्षण का स्वरूप, किए गए परीक्षणों की प्रविष्टियां और उनका विवरण आगे दिया गया है ।
‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से यु.ए.एस्.
(युनिवर्सल ऑरा स्कैनर) उपकरण के द्वारा किया गया वैज्ञानिक परीक्षण

१. परीक्षण का स्वरूप
इस परीक्षण में यु.ए.एस्. उपकरण के द्वारा श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी की मूर्ति के किए गए परीक्षण की प्रविष्टियां की गईं ।
पाठकों को सूचना : स्थान के अभाव के कारण इस लेख में यु.ए.एस्. (यु.टी.एस्) उपकरण का परिचय, उपकरण के माध्यम से किए जानेवाले परीक्षण के घटक एवं उनका विवरण, घटक के प्रभामंडल की गणना करना, परीक्षण की पद्धति एवं परीक्षण में समानता आने हेतु बरती गई सतर्कता, ये सामान्य सूत्र सनातन संस्था के goo.gl/tBjGXaइस लिंकपर दिए गए हैं । इस लिंक में कुछ अक्षर कैपिटल (Capital) हैं ।
२. की गई गणनाओं की प्रविष्टियां तथा उनका विवेचन
२ अ. नकारात्मक ऊर्जा के संदर्भ में की गई गणनाओं का विवेचन
श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी की मूर्ति में नकारात्मक ऊर्जा दिखाई नहीं दी ।
२ आ. सकारात्मक ऊर्जा के संदर्भ में की गई गणनाओं की प्रविष्टियों का विवेचन
सभी व्यक्ति, वास्तु एवं वस्तुओं में सकारात्मक ऊर्जा होती ही है, ऐसा नहीं होता ।
२ आ १. श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी की मूर्ति में प्रचुर मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा का होना
देवी का प्रभामंडल २०.४५ मीटर था ।
२ इ. कुल प्रभामंडल (टिप्पणी) संदर्भ में की गई गणनाओं की प्रविष्टिओं का विवेचन
टिप्पणी : कुल प्रभामंडल (ऑरा) : व्यक्ति के संदर्भ में उसकी लार, साथ ही वस्तु के संदर्भ में उसपर जमे धुलीकण अथवा उनके कुछ भाग को नमुने के रूप में उपयोग कर उस व्यक्ति अथवा वस्तु का कुल प्रभामंडल देखा जाता है ।
सामान्य व्यक्ति अथवा वस्तु का कुल प्रभामंडल लगभग १ मीटर होता है ।
२ इ १. श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी की मूर्ति का कुल प्रभामंडल का बहुत अधिक होना
श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी की मूर्ति का कुल प्रभामंडल २८.४५ मीटर था । इसका अर्थ व्यक्ति अथवा वस्तु की तुलना में मूर्ति का कुल प्रभामंडल बहुत अधिक था ।
३. की गई गणनाओं का अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण
श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी की मूर्ति में बहुत चैतन्य होना
श्री विद्याचौडेश्वरीदेवी की मूर्ति जागृत है तथा उसमें प्रचुर मात्रा में चैतन्य है । देवी की मूर्ति में बहुत चैतन्य होने से उसमें प्रचुर मात्रा में (२०.४५ मीटर) सकारात्मक ऊर्जा होने का परीक्षण से दिखाई दिया । (सभी व्यक्ति, वास्तु अथवा वस्तु में सकारात्मक ऊर्जा होती ही है, ऐसा नहीं है ।) साथ ही देवी की मूर्ति का कुल प्रभामंडल भी (२८.४५ मीटर) किसी सामान्य व्यक्ति अथवा वस्तु की तुलना में कहीं अधिक है । संक्षेप में कहा जाए तो इस उदाहरण से आज के विज्ञानयुग में भी देवी-देवता अपने श्रद्धालु भक्तों की किस प्रकार से सहायता करते हैं, यह ध्यान में आता है ।’