सारिणी
१. ब्रह्मध्वज उतारने का प्रत्यक्ष कृत्य
ब्रह्मध्वज उतारते समय परिवार प्रमुख ध्वज पर हलदी-कुमकुम चढाएं तथा उसे नमस्कार करें । ध्वज को गुड अथवा अन्य मिष्टान्न का नैवेद्य निवेदित करें ।
परिजनोंसहित प्रार्थना करें, ..
‘हे ब्रह्मदेव, हे विष्णु दिनभर में इस ध्वजा में जो शक्ति समायी है, वह मुझे प्राप्त हो । इस शक्ति का राष्ट्र एवं धर्म के कार्य में उपयोग कर सकूं, यही आपसे प्रार्थना है !’
ध्वज उतारने पर उसपर चढाई सभी सामग्री दैनिक जीवन में प्रयुक्त वस्तुओंके साथ रखें । प्रतिदिन पीने का जल भरने के लिए कलश का प्रयोग करें । उसमें लगाया वस्त्र अपने वस्त्रोंमें रखें । ध्वज पर चढाए हुए पुष्प एवं पत्र बहते जल में विसर्जित करें । अंत में, चढाया गया नैवेद्य परिजनोंमें बांटकर ग्रहण करें ।
२. निर्माल्य विसर्जन
ब्रह्मध्वज-पूजन होने के उपरांत ध्वज में चैतन्य निर्माण होता है और यह चैतन्य वातावरण में प्रक्षेपित होता है । इस चैतन्य के कारण वातावरण भी शुद्ध बनता है । ब्रह्मध्वज का पूजन सूर्योदय के समय एवं विसर्जन सूर्यास्त के समय किए जाने से, ब्रह्मध्वज में ब्रह्मांडमंडल से तेजतत्त्वस्वरूप शक्ति आकृष्ट होती है ।
संदर्भ – सनातनका ग्रंथ ‘त्यौहार, धार्मिक उत्सव एवं व्रत’
हमे गर्व होता है की ऐसी महान संस्कृती में हमे जन्म मिला…. ***गर्व से कहो हम हिन्दु है***