दिन में ४ – ४ बार खाना टालें !

Article also available in :

वैद्य मेघराज माधव पराडकर

१. आरोग्य अच्छा रहने के लिए दिनभर में कितनी बार आहार लें ?

‘दिन में केवल २ बार आहार लेना’, आदर्श है । इससे शरीर निरोगी रहता है । यदि यह संभव न हो, तो अधिकाधिक ३ बार आहार लें । सवेरे शौच साफ होना, शरीर हलका लगना और अच्छी भूख लगना, ये लक्षण निर्माण होने पर ही सवेरे का अल्पाहार लें । यदि ऐसा नहीं है, तो सवेरे १० बजे तक कुछ भी न खाएं । प्यास लगे तो केवल गरम पानी पीएं । सवेरे १० बजे के उपरांत अल्पाहार (‘अल्प’ आहार) करें । ऐसे समय दोपहर का भोजन साधारणत: १ से २ बजे लें । शाम को ७ बजे रात का भोजन लें । इसप्रकार ३ बार आहार लेना, स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है ।

 

२. खाद्यपदार्थ सहज उपलब्ध हों, तब भी अधिक बार खाने का मोह टालें !

घर में डिब्बों में खाद्यसामग्री रखी होती है । कई बार नौकरी के स्थान पर सवेरे-शाम की चाय होती है । होटल में खाद्यपदार्थ सदैव ही उपलब्ध होते हैं । जब अनेकजन एक स्थान पर रहते हैं, तब वहां ४ – ४ बार आहार उपलब्ध होता है । भले ही ऐसा हो, तब भी वह केवल सभी की सुविधा के लिए है । ३ से अधिक बार आहार लेना अथवा दिनभर खाते रहना आरोग्य की दृष्टि से योग्य नहीं । कभी-कभार भूख लगने पर अथवा कुछ अलग से हो तो अतिरिक्त बार खाना चल सकता है; परंतु प्रतिदिन नियम से अधिक बार खाना टालें ।

 

३. प्रतिदिन शाम को चाय-नाश्ते की आवश्यकता न हो तो उसे छोड दें !

‘अनेकजन सायंकाल के समय चाय एवं नाश्ता लेते हैं । नाश्ते में सेव, चिवडा, दालमोठ जैसे तले हुए पदार्थ लेते हैं । वास्तव में शाम के इस चाय-नाश्ते की शरीर को थोडी भी आवश्यकता नहीं होती, तब भी अनेक जन केवल इसलिए खाते हैं कि घर में लाकर रखा है अथवा सहजता से उपलब्ध हैं । सेव, चिवडा जैसे पदार्थ वर्ष में एक बार खाने चाहिए; परंतु आजकल उपलब्ध हैं, इसलिए ये पदार्थ प्रतिदिन खाए जाते हैं । मन पर थोडा-सा नियंत्रण रखकर प्रतिदिन सायंकाल का नाश्ता-चाय छोडकर तो देखें ! शाम की चाय यदि नहीं पी, तो अधिक से अधिक २ – ३ दिन सिरदर्द होगा; परंतु प्रतिदिन का चाय-नाश्ता छोडने पर निश्चितरूप से आप निरोगी जीवन की दिशा में एक कदम बढा चुके होंगे । चाय-नाश्ता छोडने से होनेवाला सिरदर्द अथवा पेट में होनेवाली आग का शमन करने के लिए भी सरल उपाय हैं ।

जो शारीरिक श्रम करते हैं, यदि वे ३ बार आहार लें, तो ठीक है; परंतु जो बैठकर काम करते हैं, उन्हें केवल २ बार भोजन करना चाहिए । इससे अधिक खाने पर वह स्वास्थ्य के बिगडने का कारण बन जाता है ।’

– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.

 

Leave a Comment