बाली में जागृत ज्वालामुखी युक्त अगुंग पर्वत और समुद्रमंथन में रस्सी का कार्य करनेवाले वासुकी नाग के बेसाखी मंदिर की विशेषताएं !

‘अगुंग पर्वत’ अर्थात धधकता और निरंतर जागृत ज्वालामुखी ! यहां प्रत्येक ५-१० मिनटों में राख का विस्फोट होता है । ३ सहस्र १०५ मीटर ऊंचे पर्वत पर यह ज्वालामुखी गत वर्षभर से जागृत है । इसलिए अनेक बार बाली द्वीप पर आपातकालीन स्थिति निर्माण हुई है । बाली में हिन्दू इस पर्वत को पवित्र मानते हैं ।

इंडोनेशिया के अद्वितीय प्राचीन मंदिर और उनके निर्माण की विशेषताएं

काल की साक्ष्य में मंदिरों की रचना करने से आज अनेक शताब्दियां बीत जाने पर भी ये सर्व मंदिर शान से खडे हैं । उनके सौंदर्य का दर्शन करते हुए आंखें फटी रह जाती हैं और उनके वर्णन के लिए शब्द कम पड जाते हैं ।

सात्त्विक स्तोत्र, आरती, श्‍लोक एवं नामजप का संग्रह युक्त ‘सनातन चैतन्यवाणी एप’ का लोकार्पण !

संतों और साधना करनेवाले साधकों द्वारा सात्त्विक वाणी में चैतन्यदायी ऑडिओ सभी को उपलब्ध हों, इस हेतु सनातन संस्था द्वारा ‘सनातन चैतन्यवाणी’ ऑडिओ एप उपलब्ध किया है ।

बाह्य आडंबर की अनदेखी कर साधकों के उद्धार हेतु प्रयासरत रहनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘हर चमकती चीज सोना नहीं होती ।’ उज्जैन के सिंहस्थ पर्व में प्रसिद्ध साधु-संतों की ओर लोग आकर्षित हो रहे हैं ।

ब्रह्मध्वज की पूजा विधि

हिन्दुओं का वर्षारंभ वर्ष-प्रतिपदा को होता है । धर्मशास्त्र में वर्षारंभ के दिन सूर्योदय के तुरंत पश्‍चात ब्रह्मध्वज की पूजा करें । पाठकों के लिए शास्त्र के अनुसार किस प्रकार ब्रह्मध्वज की पूजा करनी चाहिए, इसकी यहां मंत्रसहित जानकारी दे रहे हैं जिस स्थान पर ब्रह्मध्वज खडा करना है, वहां ब्रह्मध्वज खडा कर उसकी पूजा करें ।

बाबा बंदा बहादुरजी को सदैव अपनी स्मृतियों में रखे !

पश्चात, मुगलों ने बाबा बंदा बहादुरजी को अनेक प्रकार के प्रलोभन दिखाए, जिससे वे सिख धर्म छोडकर इस्लाम धर्म अपनाएं । परंतु, बाबा बंदा बहादुरजी अपना धर्म छोडने के लिए तैयार नहीं हुए ।

भौतिक शास्त्र के आधुनिक वैज्ञानिकों के लिए शिवजी के नृत्य का अर्थ है ‘सबएटॉमिक’ कणों का नृत्य !

मूर्तिपूजा के विषय पर हिन्दुओंका उपहास करनेवाले और हिन्दू धर्म को सडा-गला कहकर ताना मारनेवाले तथाकथित बुद्धिवादी, विज्ञानवादी और नास्तिकतावादियों के लिए यह लेख एक तमाचा ही हैं !

कंबोडिया में एक समय पर अस्तित्व में होनेवाली हिन्दुओं की वैभवशाली संस्कृति के पतन का कारण और वर्तमान स्थिति !

७ वीं शताब्दी से लेकर १५ वीं शताब्दी तक जिन्होंने कंबोडिया पर राज्य किया, उस साम्राज्य को खमेर साम्राज्य कहते हैं । इस खमेर साम्राज्य के राजा स्वयं को चक्रवर्ती अर्थात ‘पृथ्वी के राजा’ समझते थे ।

गोपियों के गुण

गोपियों को श्रीकृष्ण का वास्तविक रूप ज्ञात होते ही, वे उन्हें पूर्णत: समर्पित हुईं । अपना अहंकार त्यागकर, श्रीकृष्ण की शरण में गईं, यह बहुत महत्त्वपूर्ण बात है ।

लाखों वर्षों का इतिहास प्राप्त और भारत से श्रीलंका में तलैमन्नार के छोर तक फैला रामसेतु : श्रीराम से अनुसंधान साधने का भावबंध !

तलैमन्नार के अंतिम छोर से २ कि.मी. चलते हुए जाने पर रामसेतु के दर्शन होते हैं । रामसेतु से देखने पर १६ छोटे द्वीप एकत्र होने समान ((द्वीपसमूह समान) दिखाई देते हैं ।) दिखाई देते हैं ।