वर्तमान में ‘कोरोना विषाणु’के कारण जिनकी मृत्यु हुई है ऐसे व्यक्तियों की मृतदेह पर अग्निसंस्कार नहीं कर सकते इसलिए धर्मशास्त्रानुसार की जानेवाली ‘पालाशविधि’ !

‘देश में सर्वत्र ‘कोरोना’ विषाणु का संसर्ग बढता जा रहा है और इसकारण अनेक लोगों की मृत्यु हो रही है । इस संसर्ग के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके परिवारवालों को मृतदेह नहीं दी जाती ।

कलास्वतंत्रता के नाम पर देवी-देवताओं का अनादर करनेवाले धर्मविरोधी !

अनेक देवी-देवताओं के नग्न एवं अश्लील चित्र बनाए हैं । इन चित्रों की बिक्री कर, करोडों रुपये कमाए । ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ को इसकी जानकारी मिलते ही उसने इस विषय में जगह-जगह आंदोलन किए

कोरोना संक्रमण की चिकित्‍सा के लिए प्राचीन भारतीय चिकित्‍सा पद्धति ‘योग एवं ध्‍यानधारणा’ परिणामकारी है ! – अंतरराष्‍ट्रीय विशेषज्ञों का दावा

 कुछ अंतरराष्‍ट्रीय विशेषज्ञों ने कोरोनाग्रस्‍त रोगियों की चिकित्‍सा के लिए योग एवं ध्‍यानधारणा ये २ प्राचीन चिकित्‍सा पद्धतियों के परिणामकारी होने का शोध किया है ।

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ‘धर्मरक्षा’ एवं ‘साधकों को तैयार करना’ इस अलौकिक कार्य की योगतज्ञ दादाजी वैशंपायन ने की प्रशंसा !

रूढी एवं परंपरा का अंधानुकरण न करते हुए उसके वैज्ञानिक एवं सामाजिक दृष्टिकोणों पर आप जो बल देते हैं, वह अत्यंत हितकारी है ।

भारत में मिली भगवान शिवजी की मूर्ति २८ सहस्र ४५० वर्ष प्राचीन अर्थात द्वापरयुग की होने का स्‍पष्‍ट !

भारत में ‘कल्‍प विग्रह’ के नाम से जानी जानेवाली भगवान शिवजी की धातु से बनी मूर्ति विश्‍व में अभी तक मिली अनेक मूर्तियों में सबसे प्राचीन मूर्ति मानी जाती है ।

सनातन संस्था के विविध आश्रम तथा सेवाकेंद्रों में प्रस्तावित ‘सौरऊर्जा परियोजना’ के निर्माण में धन अथवा वस्तुरूप में सहायता करें !

राष्ट्ररक्षा एवं धर्मजागृति के कार्य हेतु निःस्वार्थ भाव से कार्य करनेवाली सनातन संस्था के आश्रमों में ‘सौरऊर्जा परियोजना’ बनाने हेतु कृपया सहायता कर इस कार्य में यथाशक्ति योगदान करें !’

गायत्रीदेवी का आध्यात्मिक महत्त्व और उनकी गुणविशेषताएं !

‘गायत्री शब्द की व्युत्पत्ति है – गायन्तं त्रायते । अर्थात गायन करने से (मंत्र से) रक्षा जो करे और गायंतं त्रायंतं इति । अर्थात सतत गाते रहने से जो शरीर से गायन करवाए (शरीर में मंत्रों के सूक्ष्म स्पंदन निर्माण करती है ।) और जो तारने की शक्ति उत्पन्न करती है, वह है गायत्री ।

समाज के लिए सनातन संस्था की ओर से ऑनलाईन प्रथमोपचार प्रशिक्षण उपक्रमों का आयोजन

यातायात बंदी के काल में अर्थात अप्रैल के पहले सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक देशभर में ४० स्थानों पर ऑनलाईन वर्ग लिया गया । इसका १ सहस्र राष्ट्रप्रेमियों ने लाभ लिया । 

कोरोना, श्राद्धकर्म और अवसरवादी नास्तिक !

वर्तमान में नास्तिकों का बोलबाला है । वे कोरोना के कंधों पर हिन्दू धर्म को निशाना बनाने का कोई मौका नहीं चूकना चाहते ।

संत भक्तराज महाराज और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चित्र बनाते समय भावस्थिति का अनुभव होना

चित्र बनाते समय मैं भावस्थिति का अनुभव कर रहा था और मुझे इस स्थिति का पुनः-पुनः अनुभव करने का अवसर मिले; इसके लिए मैंने और दो चित्र बनाए । एक चित्र बनाने में मुझे लगभग ५ – ६ दिन लगे ।