चाहे किसी भी पक्ष की सरकार हो, परंतु देवस्थान समिति भक्तों की ही होनी चाहिए !

शासन करनेवाले पक्ष के बदलने पर शासकीय समितियों पर नियुक्त पराभूत पक्षों के पदाधिकारियों के पदों पर सत्ताधारी पक्ष के नेताओं को नियुक्त किया जाता है । शासकीय समितियों में कुछ सरकारीकरण किए गए देवस्थानों के न्यासी समितियों का भी समावेश होता है । सत्ताधारी पक्ष के समान देवस्थान समितियों के पदाधिकारी भी बदलते हैं । इस से स्पष्ट होता है कि सर्वपक्षीय राजनेताओं ने सरकारीकरण किए मंदिरोंकी राजनीति आरम्भ की है । जनता चाहती है कि किसी भी देवस्थान का कामकाज राजनीति से पृथक(अलग) होना चाहिए । अतः सरकारीकरण वाले मंदिरोंके साथ सभी मंदिरोंके न्यासी पद पर भक्तों की नियुक्ति होने हेतु श्रद्धालुओं को आग्रहपूर्वक रहना चाहिए ।
-(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

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