हिन्दू धर्म के व्यापक अभ्यासी डॉ. शिबनारायण सेन संतपद पर विराजमान !

अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में १ जून को कोलकाता (बंगाल) की शास्त्र धर्म प्रचार सभा के ‘ट्रुथ’ पाक्षिक के संपादक तथा हिन्दू धर्म के व्यापक अभ्यासी डॉ. शिबनारायण सेन के संतपद पर विराजमान होने का, तो तेजपुर (असम) की श्रीमती राणू बोरा तथा हावडा (बंगाल) के श्री. अनिर्बान नियोगी द्वारा ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किए जाने की घोषणा की गई ।

बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दुओं के अधिकारों के लिए लडनेवाले माइनॉरिटी वॉच के अध्यक्ष अधिवक्ता रवींद्र घोष संतपद पर विराजमान !

‘बांग्लादेश के हिन्दुओं की रक्षा करना और उनके मानवाधिकारों के लिए लडते रहना ही मेरी साधना है । बांग्लादेश में मैं तलवार और बम के बल पर नहीं, अपितु साधना के बल पर कार्य कर रहा हूं ।…

प्रभु श्रीराम के प्रति उत्कट भाव एवं राममंदिर निर्माण के लिए समर्पित अधिवक्ता हरि शंकर जैन संतपद पर विराजमान !

अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में संतपद प्राप्त करनेवाले पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैनजी प्रथम हिन्दुत्वनिष्ठ है ! साथ हि उनके सुपुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन (३३ वर्ष) एवं उनके पोते का भी ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर घोषित किया गया ।

बेंगळूरु (कर्नाटक) के अधिवक्ता विजयशेखर ने प्राप्त किया ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर !

शांत एवं विनम्र स्वभाववाले, प्रामाणिक वृत्ति के और अन्याय के विरुद्ध लडने की लगन रखनेवाले बेंगळूरु (कर्नाटक) के अधिवक्ता विजयशेखर ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर, जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हुए ।नातन संस्था के कर्नाटक राज्य धर्मप्रसारक पू. रमानंद गौडा के शुभहस्तों श्रीकृष्ण की प्रतिमा भेंट देकर उनका सत्कार किया गया ।

समाज के उत्थान हेतु ‘साधना’ विषय पर प्रवचनों की ध्वनिफीतियों की निर्मिति के माध्यम से यज्ञ करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने सनातन संस्था के माध्यम से अध्यात्मप्रसार का कार्य आरंभ किया । इस कार्य-स्वरूप वर्ष १९९० से १९९६ की कालावधि में कुछ जनपद, तहसील तथा शहरों में प.पू. डॉक्टरजी अभ्यासवर्ग लेते थे ।

उत्कट भाव से युक्त बेंगलुरु के धर्माभिमानी उमेश शर्मा का आध्यात्मिक स्तर घोषित हुआ ६४ प्रतिशत

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक पूज्य डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा, श्री शर्मा जब अपना मनोगत व्यक्त कर रहे थे, तब उसे सुनकर सबको शांति और आनंद की अनुभूति हुई । क्योंकि, उनका आध्यात्मिक स्तर ६४ प्रतिशत हो गया है ।

इतिहास के विकृतीकरण के विरुद्ध निरपेक्ष भाव से संघर्ष करनवाले चंडीगढ के नीरज अत्रीजी ने प्राप्त किया ६१% आध्यात्मिक स्तर !

चंडीगढ के नेशनल सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल रिसर्च एंड कम्पैरिटिव स्टडी के अध्यक्ष एवं ब्रेनवॉश्ड रिपब्लिक पुस्तक के लेखक श्री. नीरज अत्रीजी ने निरपेक्ष भाव से, तथा राष्ट्र एवं धर्म के प्रति प्रेमवश अत्यंत लगन से एन.सी.ई.आर.टी. के इतिहासद्रोह के विषय में संघर्ष किया ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का अद्वितीय ग्रंथकार्य (परिचय एवं विशेषताएं)

‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के गुरु सन्त भक्तराज महाराजजी ने उनसे एक बार कहा था, ‘‘मेरे गुरु ने मुझे आशीर्वाद दिया था कि तू किताबों पर किताबें लिखेगा ।’ किन्तु मैं भजन का एक ही ग्रन्थ लिख पाया । वह आशीर्वाद मैं आपको देता हूं ।

सनातन के अल्प अवधि में ही व्यापक होने के पीछे का रहस्य !

सनातन संस्था के अल्प अवधि में ही विश्‍वव्यापी होने के पीछे कुछ विशेषताएं हैं; परंतु ये विशेषताएं आध्यात्मिक स्तर की हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीके कार्यको ईश्‍वरद्वारा प्राप्त आध्यात्मिक प्रमाणपत्र !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीकी देह, नख और केश में दैवी परिवर्तन हो रहे हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीके समान ही शरीरमें दैवी परिवर्तनकी अनुभूति सनातनके कुछ सन्तों और साधकों को भी हुई है ।