बुद्धिप्रमाणवाद से विश्वबुद्धि द्वारा ज्ञानप्राप्ति के चरण

जिज्ञासुवृत्ति बुद्धि की सात्त्विकता की प्रक्रिया करवाने के लिए महत्त्वपूर्ण है । इसलिए मनुष्य जिज्ञासु के चरण पर होते हुए धर्म अथवा अध्यात्म का ज्ञान प्रथम बुद्धि से जानकर उस अनुसार कृति करते जाने से उसकी बुद्धि सात्त्विक होकर वह प्रथम साधक, तदुपरांत शिष्य और अंत में संत अथवा गुरु इस स्तर तक पहुंच सकता है