श्राद्ध में भोजन परोसने की पद्धति

‘पितरों के लिए थाली में सदैव उलटी दिशा में अन्न पदार्थ परोसने से रज-तमात्मक तरंगें उत्पन्न होकर मृत आत्मा के लिए अन्न ग्रहण करना संभव होता है ।’

‘कोरोना’ महामारी की पृष्ठभूमि पर शास्त्र के विधान के अनुसार निम्नांकित पद्धति से श्राद्धविधि करें !

पितृपक्ष में पितृलोक के पृथ्वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को समर्पित अन्न, जल और पिंडदान उन तक शीघ्र पहुंचता है ।

अन्य पंथ तो पूर्वजों के लिए कुछ नहीं करते, फिर उन्हें कष्ट नहीं होता है क्या ?

हिन्दू हो, मुसलमान हो अथवा ईसाई । जो भी शास्त्रों का पालन करेगा, उसे लाभ होगा । जो नहीं करेगा, उसकी हानि निश्‍चित है; परंतु अनेक पंथों में हिन्दू धर्म में वर्णित बातें अलग-अलग पद्धति से अपनायी जाती हैं ।

शास्त्रों के अनुसार श्राद्धकर्म न करने से होनेवाली हानि

हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार मृत व्यक्ति के श्राद्धविधि प्रतिवर्ष करने के लिए कहा गया है । कुछ निरीश्‍वरवादी इसे विरोध करते हैं । श्राद्ध-विधि न करने पर क्या हो सकता है और जीवन में साधना का महत्त्व इस लेख द्वारा समझ लेते है ।

अविधवा नवमी

पति के निधन से पूर्व मृत स्त्रियों के श्राद्ध पितृपक्ष की नवमी को (अविधवा नवमी को) ही क्यों करें ?

हिन्दू धर्म में छोटे बच्चों का श्राद्धकर्म न करने के कारण

यहां छोटे बच्चे वे होते हैं, जिनके दांत नहीं आए हों, साथ ही जिन में हड्डियां बनने की प्रक्रिया पूर्ण न हुई हो और उनकी मृत्यु हुई हो, तो उनका श्राद्ध नहीं किया जाता ।

पितरों का ‘वार्षिक श्राद्ध’ और ‘पितृपक्ष में महालय श्राद्ध’ दोनों क्यों करना चाहिए ?

प्रत्येक कार्य विशिष्ट तिथि अथवा मुहूर्त पर करना विशेष लाभदायक है; क्योंकि उस दिन उन कर्मों का कालचक्र, उनका प्रत्यक्ष होना तथा उनका परिणाम, इन सभी के स्पंदन एक-दूसरे के लिए सहायक होते हैं ।

श्राद्ध में पितरों तथा देवताओं को नेवैद्य दिखाना

दर्भ पर पितरों के लिए पिंड रखने पर, इससे निकलनेवाली तेजतत्वयुक्त तरंगों से लिंगदेह के सर्व ओर स्थित कालीशक्ति का विघटन होता है । तब, उस अन्न से लिंगदेह सहजता से सूक्ष्म-वायु ग्रहण कर पाती है ।

श्राद्ध तीर्थक्षेत्र में करने की तुलना में घर पर करना अधिक लाभदायक

५० प्रतिशत पितरों का लगाव अपने घर से रहता है । इसलिए, घर में श्राद्ध करने से तीर्थक्षेत्र में किए गए श्राद्ध की तुलना में आठ गुना लाभ होता है ।