‘यज्ञसंस्‍कृति’ को पुनर्जीवित करनेवाले मोक्षगुरु परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

गुरुदेवजी साधकों को सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों अंगों की शिक्षा देकर इस कलियुग में भी साधकों से चार युगों की साधना करवाकर उन्हें पूर्णत्व तक पहुंचा रहे हैं । उसके लिए सनातन धर्म के महत्त्वपूर्ण और अभिन्न अंग ‘यज्ञसंस्कृति’ को आप पुनर्जीवित कर रहे हैं ।

महाराष्ट्र के नाथ स्थल (महाराष्ट्र : नवनाथों की भूमि)

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नियोजित नवनारायण अर्थात नवनाथों की ख्याति आज भी विश्‍व में आस्था का विषय है । सामान्य भक्तों से लेकर विद्वानों तक सभी को नाथ के कार्य से आनंद मिलता है । हम सभी की उपस्थिति में संपन्न हो रहा यह सम्मेलन उसी का प्रतीक है ।

अयोध्या के श्री कालाराम मंदिर में विराजमान हैं प्राचीन रामपंचायतन !

‘बाबर के आक्रमण में श्रीराम जन्‍मभूमि ध्‍वस्‍त होने से पूर्व वहां का भव्‍य श्रीराममंदिर सम्राट विक्रमादित्‍य ने लगभग २००० वर्ष पूर्व निर्माण किया था । उस समय सम्राट विक्रमादित्‍य द्वारा स्‍थापित हुई श्रीरामपंचायतन मूर्ति वर्तमान में अयोध्‍या के श्री कालाराम मंदिर में विराजमान है ।

मानसरोवर का महत्त्व

प्रतिदिन ब्राह्ममुहूर्त पर सप्तर्षि और देवता ज्योति के रूप में मानसरोवर में स्नान करने हेतु आते हैं और सूर्योदय से पूर्व ये ज्योतियां कैलास पर्वत की ओर शिवजी के दर्शन करने चली जाती हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की कृपा से हम सबको इन दिव्य ज्योतियों के रात २.३० से तडके ५ बजे तक दर्शन हुए । यह सब गुरुदेवजी की कृपा है ।

शिवतत्त्व का लाभ करानेवाले प्रमुख व्रत एवं उत्सव

शिवतत्त्व का लाभ करानेवाले अलग अलग व्रत हैं, जैसे प्रदोष व्रत, हरितालिका, श्रावण सोमवार और कार्तिक सोमवार, श्रावणी सोमवार एवं शिवमुष्टिव्रत, शिवपरिक्रमा व्रत. इस व्रतोंकी जानकारी हम इस लेख में देखेंगे।

कैरियर’ और ‘धनयोग’ का ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से विश्लेषण !

‘जन्मकुंडली के अनुसार जिस क्षेत्र में अर्थप्राप्ति अच्छी होगी, उसका विचार कर शिक्षा लेना अधिक उचित होता है । ‘कौन-सा व्यवसाय करने पर अधिक पैसा मिलेगा ?’, इसके लिए कुंडली में स्थित धनत्रिकोण, अर्थात २, ६ और १० स्थान तथा इस राशि में ग्रहों की स्थिति व्यवसाय की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है ।

हिन्दू धर्म

वास्तव में हिन्दू शब्द की व्याख्या है ‘हीनानि गुणानि दूषयति इति हिंदु ।’ अर्थात ‘हीन गुणों का नाश करनेवाला हिन्दू है ।’

भक्ति के सुंदर उदाहरण वाला जनाबाई के जीवन का प्रसंग

जनाबाई जैसे भक्त बनने के लिए उनकी ही तरह हर काम में, हर प्रसंग में ईश्‍वर को अपने साथ अनुभव करना, उनसे हर प्रसंग का आत्मनिवेदन करते रहना, उनको ही अपना सब मानकर अपनी सब बातें बताना आवश्यक है ।

भगवान कार्तिकेय के स्वरूपवाला तेजस्वी नक्षत्र : कृत्तिका !

भारतीय कालगणना में चैत्रादी मास के नाम खगोल शास्त्र पर आधारित है । कार्तिक मास में सूर्यास्त होने पर कृत्तिका नक्षत्र पूर्वक्षितिज पर उदय होता है; साथ ही कार्तिक मास में पूर्णिमा तिथि के समय चंद्र कृत्तिका नक्षत्र में होता है ।