श्री सरस्वतीदेवी

अनुक्रमणिका१. अर्थ, कुछ अन्य नाम एवं रूपअ. अर्थआ. कुछ अन्य नामइ. तारक एवं मारक रूप :२. निर्मिति व निवासअ. निर्मितिआ. निवासइ.  सरस्वतीलोक की विशेषताएं३. श्री सरस्वतीदेवी के कोप से कष्ट एवं नरकप्राप्ति होनाअ. श्री सरस्वतीदेवी की अवहेलना करनेवालों को एवं दुष्कृत्य करनेवालों को विद्या एवं कला प्राप्त न होना, आत्मज्ञान न होना तथा नरकप्राप्ति होनाआ. … Read more

सिक्किम में ‘गणेश टोक’ नामक जागृत मंदिर के श्रीचित्‌‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळ ने लिए दर्शन !

सिक्किम की राजधानी गंगटोक से ६ किलोमीटर के अंतर पर हिमालय पर्वत की गोद में ‘गणेश टोक’ नामक पवित्र स्थान है । यहां श्री गणेश का एक सुंदर मंदिर है । इस मंदिर में अष्टविनायकों की भी मूर्ति है ।

रामभक्तशिरोमणी भरत की आध्यात्मिक गुणविशेषताएं !

इस लेख में हम रामभक्त भरत की आध्यात्मिक गुणविशेषताएं देखेंगे और भरत समान असीम रामभक्ति को अपने हृदय में निर्माण होने के लिए भगवान के श्रीचरणों में प्रार्थना करेंगे ।

प्रभु श्रीराम के अस्तित्व का स्मरण करवानेवाले रामसेतु के चैतन्यमय पत्थर एवं श्रीरामकालीन सिक्के

प्रभु श्रीराम के अस्तित्व का स्मरण करवानेवाले रामसेतु के चैतन्यमय पत्थर एवं श्रीरामकालीन सिक्के

महिलाओं के लिए मां दुर्गा अथवा झांसी की रानी का रूप धारण करना आवश्यक !

‘कैरियर’ करने की अपेक्षा महिलाओं को अपने परिवार के भले के लिए त्याग करना चाहिए । आज संस्कार एवं संस्कृति मृतप्राय: हो गई है । घर में सभी सुविधाएं होते हुए भी वहां संतुष्टि नहीं है ।

समर्थ रामदास स्वामी का प्रवृत्तिवाद के विषय में मार्गदर्शन

मनुष्य पहले अपना व्यवहार भली-भांति करे और फिर परमार्थ का विचार करे । हे विवेकी जन ! इसमें आलस न करना । प्रपंच को अनदेखा कर यदि तुम परमार्थ साधने का प्रयत्न करोगे, तो तुम्हें कष्ट होगा । यदि तुम प्रपंच और परमार्थ दोनों ठीक से करोगे, तब तुम विवेकी कहलाओगे ।

महाज्ञानी महर्षि पिप्पलाद

पिप्पलाद प्रतिदिन भगवान का ध्यान एवं गुरुमंत्र का जप करने लगा । कुछ ही समय में उस बालक के तप से संतुष्ट होकर भगवान श्रीविष्णु वहां प्रगट हो गएं ।

महान योगी परम तपस्वी अग्निस्वरूप संत प.पू. रामभाऊस्वामी !

तंजावूर (तंजौर), तमिलनाडु के श्री गणेश उपासक एवं समर्थ रामदासस्वामी की परंपरा के महान योगी प.पू. रामभाऊस्वामी ! ईश्वरीय संकेतानुसार वे विविध स्थानों पर यज्ञयाग करते हैं । गत ४० वर्षों से उनका आहार केवल २ केले एवं १ कप दूध है । प.पू. रामभाऊस्वामी की एक विशेषता यह है कि उन्होंने अपनी अखंड योगसाधना से तेजतत्त्व पर प्रभुत्व पा लेने के कारण वे प्रज्ज्वलित यज्ञकुंड में १० से १५ मिनटों तक सहजता से बैठ सकते हैं ।