दुर्गम क्षेत्रों के दो पाठशालाओं को सनातन संस्था के ग्रंथ, सात्त्विक वहियां तथा क्रांतिकारकों के सचित्र फलकों के संच भेंटस्वरूप

सनातन संस्था के साधक श्री. मनोज महाजन के नेतृत्व में आयोजित किए गए रद्दी
संकलन अभियान में दो पाठशालाओं को प्राप्त हुई संस्कारक्षम भेंट !

कार्यक्रम के लिए उपस्थित साधक

पुणे, २९ मई – सनातन के ६३ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के साधक श्री. मनोज महाजन के नेतृत्व में कोथरूड, कर्वेनगर, एरंडवणे तथा सिंहगढ मार्ग परिसर में ६ वर्ष रद्दी संकलन अभियान आयोजित किया जाता है । इस वर्ष रद्दी संकलन अभियान के माध्यम से प्राप्त अर्पण निधी से दुर्गम क्षेत्र के दो पाठशालाओं को सनातन के ग्रंथ, सनातन संस्था की सात्त्विक वहियां तथा वीरजागर करनेवाले क्रांतिकारकों के सचित्र फलक संच भेंटस्वरूप दिए गए । तळेगांव – चाकण मार्ग पर स्थित निगडे गांव में मावळ शिक्षण संस्था के ‘प्रतिक विद्यानिकेतन’ के मुख्याध्यापक श्री. उत्तम मांडे, साथ ही डहाणु के स्वतंत्रता वीर सावरकर शैक्षणिक न्यास के निवासी आश्रमशाला की प्रतिनिधी श्रीमती श्रद्धा गायकवाड ने इस भेंट का स्वीकार किया । सर्व संच तथा निधी मिलकर दोनों पाठशालाओं को प्रत्येक ६० सहस्त्र रुपएं की सहायता प्राप्त हुई । २८ मई के दिन हॅपी कॉलनी सभागृह में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ । उस समय २०० से अधिक लोग उपस्थित थे । 

इस अभियान के संदर्भ में श्री. मनोज महाजन ने बताया कि, ‘‘समाजऋण पूर्ति करने का भान, साथ ही ‘एआर्एआय’ इस आस्थापन के वरिष्ठों की प्रेरणा से रद्दी संकलन संकल्पना साकार हुई । उससे प्राप्त निधी मेंसे पुणा के बाहर दुर्लक्षित स्वयंसेवी संस्था अथवा व्यक्ति की सहायता की जाती है । आजतक लगभग १५० लोग इस अभियान के साथ जुडे हुए हैं । मैं केवल एक माध्यम हूं । सभी के सहकार्य के कारण ही यह कार्य संपन्न हुआ है । वास्तव में देश की स्वतंत्रता हेतु प्राणार्पण करनेवाले क्रांतिकारक ही छात्रों के लिए प्रेरणास्थान हैं । अतः यदि संभव है, तो उनकी सचित्र प्रदर्शनी अपनी पाठशालाओं को भेंट स्वरूप दीजिए, साथ ही आंनदी जीवन के लिए अध्यात्म यह प्रवचन इस परिसर में आयोजित करें ।’’

श्री. उत्तम मांडे ने पाठशाला का कार्य संभालते समय प्राप्त अनुभवों के तथा प्रयासों के संदर्भ में जानकारी दी । उस अनुभवों के साथ ही ‘दुर्दम्य इच्छाशक्ति एवं अथक परिश्रम के बल पर समाज में परिवर्तन ला सकते हैं’, उनके इस पंक्ति से यह प्रतीत होता है कि, सभी में सामाजिक भान निर्माण हुआ है । डहाणु पाठशाला की श्रीमती श्रद्धा गायकवाड ने भी समाज सेवा के उद्देश्य से १३ वर्ष पूर्व आरंभ किए गए उनके निवासी आश्रमशाला के संदर्भ में जानकारी दी । उस समय ‘गोल्डन मेमरीज्’ की ओर से ‘मावळत्या दिनकरा’ यह मराठी गाने का कार्यक्रम प्रसारित किया गया । डॉ. विश्वास मेहेंदळे के हाथों
कलाकारों का सनातन-निर्मित ‘आनंदी जीवन के लिए अध्यात्म’ यह ग्रंथ भेंट देकर आदर किया गया । साथ ही डॉ. मेहेंदळे ने डॉ. महाजन की प्रशंसा करते समय यह उद्गार व्यक्त किए कि,‘महाजन के समान अनेक कार्यकर्ताएं निर्माण होने चाहिए ।’ कार्यक्रमस्थल पर सनातन -निर्मित ग्रंथ तथा सात्त्विक उत्पादनों प्रदर्शनी के साथ क्रांतिकारकों की सचित्र फलक प्रदर्शनी भी आयोजित की थी । उसका भी अनेक लोगों ने लाभ ऊठाया ।

क्षणिकाएं

१. ‘आनंदी जीवन के लिए अध्याम का महत्त्व’ इस विषय पर वक्तव्य करने के पश्चात् उपस्थित दो लोगों ने उनके परिसर में ‘आनंदी जीवन के लिए अध्यात्म’ इस विषय पर प्रवचन आयोजित करने की मांग की ।
२. रद्दी संकलन अभियान अर्थात् अहंनिर्मूलन के लिए साधना भी है तथा धर्मप्रसार का भी अवसर !

श्री. मनोज महाजन ने यह वक्तव्य किया कि, ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने अध्यात्म में अहंनिर्मूलन यह महत्त्वपूर्ण स्तर बताया है । रद्दी संकलन अभियान के समय कुछ लोग अनुचित प्रतिक्रियाएं व्यक्त करते हैं, साथ ही अत्यंत कडवाहट के अनुभव पाएं जाते हैं । इस माध्यम से यह प्रतीत हुआ कि, ईश्वर
हम से अहंनिर्मूलन करने हेतु ही साधना करवा रहा है । साथ ही कुछ लोग इस धर्मकार्य में साqम्मलित भी हो रहे हैं । इस अभियान के माध्यम से सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य बताने के पश्चात् अनेक लोग धर्मकार्य हेतु अर्पण भी देने लगे हैं । इस अभियान की यही फलनिष्पत्ति कह सकते हैं ।’

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

 

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