आयुर्वेद में प्रतिपादित सरल घरेलु औषधियां एलोपैथी से श्रेष्ठ !

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संतों के संकल्प व नमक के सरल घरेलु उपचार से खांसी शीघ्र ठीक होना !

मार्च २०१४ में मेरे गले में जीवाणुुआें के संक्रमण से खांसी हुई थी । चिकित्सकों की औषधियों से भी ठीक नहीं लग रहा था ।

अप्रैल २०१४ में सद्गुरु राजेंद्र शिंदेजी ने मुझे नमक पानी के उपचार करने को कहा । उन्होंने कहा, ‘‘रात में सोते समय जीभ के पिछले भाग में जहां गले में खिचखिच होती है, वहां १ चुटकीभर नमक रगडकर ५ मिनट रुककर उसे थूक डालें ।’’ वैसा उपचार करने पर मुझे उसी दिन रात में बहुत अच्छा लगा । दूसरे दिन मेरा कष्ट ५० प्रतिशत न्यून हुआ और मैं ३-४ दिन में ही पूरी तरह ठीक हो गया । इस उपचार से मुझे अच्छा लगा; इसलिए मैंने यह उपचार मेरी छोटी भाभी को बताया । मेरा पोता चि. आर्य १८.५.२०१४ की रात में लगातार खांस रहा था । इस उपचार से उसकी खांसी भी ७५ प्रतिशत न्यून हुई ।

सद्गुरु राजेंद्रजी द्वारा बताया गया उपचार करने पर तुरंत ठीक होने से संतों के संकल्प का महत्त्व भी समझ में आया । साथ ही, ‘आधुनिक चिकित्सा से भी सरल, घरेलु; परंतु उचित आयुर्वेदीय उपचार कितने प्रभावी हैं’, इसका भी मुझे पता चला । – श्रीमती सुनीता चितळे

(नमक से कफ (बलगम) पतला होने में सहायता मिलती है । इसलिए खांसी में जीभ के पिछले भाग में नमक रगडने से लाभ होता है । संतों द्वारा उपचार बताए जाने पर साधिका को तुरंत लाभ हुआ । इससे ध्यान में आता है कि ‘चिकित्सकों के लिए भी साधना करना कितना आवश्यक है ।’ – वैद्य मेघराज पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.)

स्रोत : सनातन प्रभात हिन्दी

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