परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी को दीर्घायु प्राप्त होने हेतु श्रीराम सेना की ओर से धारवाड (कर्नाटक) में ‘महामृत्युंजय याग’ !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में ‘हिन्दू
राष्ट्र जागृति अभियान’ के अंतर्गत श्रीराम सेना की ओर से ‘महामृत्युंजय याग’ !

यज्ञविधी करते हुए (१) श्री. प्रमोद मुतालिक, उनके बाजु में सनातन के साधक (२) श्री. राघवेंद्र माणगावकर एवं (३) श्रीमती रेखा माणगावकर

धारवाड (कर्नाटक) : परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी को दीर्घायु प्राप्त हो; इसके लिए उनके अमृतमहोत्सव के उपलक्ष्य में श्रीराम सेना की ओर से १८ मई को ‘महामृत्युंजय याग’ एवं ‘श्रीराम तारक होम’ किए गए। इस अवसर पर विख्यात वैद्य डॉ. एस.आर. रामनगौडर, धारवाड के श्री जगद्गुरु शंकराचार्य पाठशाला के पं. नागेशशास्त्री जोशी, सहकारी धरिण संघटन के श्री. रवी एलिगार, हिन्दू जनजागृति समिति की श्रीमती विदुला हळदीपुर आदि उपस्थित थे।

प.पू. गुरुदेवजी की कृपा सदैव हमपर है ! – श्री. प्रमोद मुतालिक

देश में अनेक ऋषिमुनी हो गए। इन ऋषिमुनियों की पंक्ति में से एक प.पू. गुरुदेवजी हैं। उनकी कृपा से ही मुझे मेरे संकट के समय में उनके रूप में आध्यात्मिक आधार मिला। मुझे गोवा में प्रवेशबंदी होने के कारण विगत ३ वर्षों से मुझे प.पू. गुरुदेवजी के आश्रम में जाना संभव नहीं हुआ। इसके कारण मुझे मेरी माता से अलग किया गया है, ऐसा मुझे लग रहा है। इसका दुख मुझे अभी भी है। उस शासन की मैं निंदा करता हूं।

प.पू. गुरुदेवजी यदि गोवा में होते हुए भी उनकी कृपा हम पर सदैव है। श्रीराम सेना के संस्थापक-अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिक ने इस प्रकार से कृतज्ञतापूर्ण उद्गार निकाले। इस अवसरपर श्री. मुतालिक ने उपस्थित धर्माभिमानियों को सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य की जानकारी दी।

प.पू. डॉ. आठवलेजी की के मार्गदर्शन में साधना
करने से हम दोषमुक्त हो जाएंगे ! – पं. नागेशशास्त्री जोशी

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी जैसे सत्पुरुष मिलना अत्यंत दुर्लभ है। ऐसे गुरुदेवजी के सान्निध्य में साधना करने से हम दोषमुक्त हो जाएंगे !

हमें भारतमाता का ऋण चुकाना चाहिए ! – डॉ. रामनगौडर

देश में अनेक संत, धर्मगुरु एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संघटन होने से अनेक आक्रमणों के पश्‍चात भी यह भारतभूमि अभी भी समर्थ है। जिस प्रकार से परात्पर गुरु ‘राष्ट्र एवं धर्म’ हेतु कार्य कर रहे हैं, उसी प्रकार का कार्य हमें भी करना चाहिए। हमने यदि निष्काम भाव से कार्य किया, तो प्रकृति भी हमारी सहायता करती है। हमारी नसों में देशभक्ति का संचार होना चाहिए। हमें भारतमाता का ऋण चुकाना चाहिए।

क्षणचित्र

१. कार्यक्रम स्थल पर परात्पर गुरु श्री श्री जयंत बाळाजी आठवलेजी की बडी प्रतिमा रखी गई थी !

२. इनमें से अनेक मान्यवरों ने प.पू. गुरुदेवजी को कभी देखा भी नहीं है, अपितु प.पू. डॉक्टरजीद्वारा बताए गए ‘साधना मार्ग’ के अनुसार साधना करने से प्राप्त अनुभूतियों के कारण सभी मान्यवर कृतज्ञताभाव के साथ बोल रहे थे !

३. हिन्दू जनजागृति समिति कार्यकर्ती श्रीमती विदुला हळदीपुरद्वारा संविधान में अंतिम संशोधन कर भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित किए जाने की मांग करते ही सभी ने तालियों की गडगडाहट में उनका समर्थन किया !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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