विकार-निर्मूलन और साधना की बाधाआें पर उपयुक्त : सर्वबाधानाशक यंत्र !

HSP_August16_pg1_5

१. यंत्र की उपयुक्तता

बार-बार बीमार होने अथवा चोट लगने के कारण साधना में बाधाएं आना, आध्यात्मिक कष्ट होना अथवा सेवा करते समय सेवासंबंधी उपकरण, वाहन इत्यादि बंद पडना अथवा अन्य बाधाएं आना आदि पर यह यंत्र उपयुक्त है ।

२. यंत्र बनाने संबंधी सूचनाएं

1344161693_p-gadgilkaka200
(पू.) डॉ. मुकुल गाडगीळ

यंत्र बनाने के लिए ६० प्रतिशत अथवा उससे अधिक स्तर प्राप्त अथवा भावयुक्त; परंतु अनिष्ट शक्तियों के कष्ट से मुक्त साधक उपलब्ध हों, तो उनसे यह यंत्र बनवाएं । यह संभव न हो, तो स्वयं बनाएं ।

३. यंत्र बनाने की पद्धति

अ. यंत्र बनाने से पहले हाथ-पैर धोएं ।

आ. यंत्र का उद्देश्य सफल हो, इसलिए उपास्यदेवता से प्रार्थना करें ।

इ. दोनों ओर से कोरे चौकोर कागद के मध्यभाग में यह यंत्र पेन से बनाएं ।

ई. यंत्र के अंक लिखते समय छोटी संख्या से आरंभ कर बडी संख्या तक लिखते जाएं, उदा. यंत्र में १ अंक हो, तो उसे निर्धारित चौकोन में प्रथम लिखें । तदुपरांत २ अंक हो, तो उसे निर्धारित चौकोन में लिखें । इस प्रकार आगे के अंक निर्धारित चौकोन में लिखते जाएं ।

उ. अंक लिखते समय ॐ ह्रीम नमः, यह जप करें ।

४. यंत्र से संबंधित उपचार

यंत्र बनाने पर उसे अगरबत्ती का धुआं दिखाएं (आरती उतारें) और जो बाधाएं आ रही हैं, वे दूर हो, इसलिए यंत्र से प्रार्थना करें ।

५. यंत्र का उपयोग करने की पद्धति

अ. यंत्र प्लास्टिक की थैली में डालकर अपने पास रखें (उदा. जेब में रखें) अथवा उपकरण से संबंधित अडचनें आ रही हों, तो उस उपकरण के पास रखें ।

आ. प्रतिदिन यंत्र वस्त्र से पोछें और उसे अगरबत्ती का धुआं दिखाएं तथा बाधाएं दूर होने के लिए प्रार्थना करें ।

इ. जेब में रखा यंत्र शौचालय जाते समय किसी अच्छे स्थानपर रखें ।

६. बाधाएं दूर होने पर यंत्र पूजाघर में रखें ।
जब पुनः बाधाएं आएं, तब उसका पुनः उपयोग करें ।

(संदर्भ : सनातन का आगामी ग्रंथ विकार-निर्मूलन के लिए आध्यात्मिक यंत्र)

– (पू.) डॉ. मुकुल गाडगीळ, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (६.७.२०१६)

Leave a Comment