घटस्थापनाके आदी विधीआेंका शास्रीय आधार तथा उनका आध्यात्मिक परिणाम

नवरात्रिके प्रथम दिन घटस्थापना करते हैं । घटस्थापना करना अर्थात नवरात्रिकी कालावधिमें ब्रह्मांडमें कार्यरत शक्तितत्त्वका घटमें आवाहन कर उसे कार्यरत करना ।

 

१. नवरात्रिके प्रथम दिन घटस्थापना करते हैं

२. नवार्णव यंत्रकी स्थापनाका शास्त्रीय आधार

३. नवार्णव यंत्रपर अष्टभुजा देवीकी मूर्ति स्थापित करनेके परिणाम

४. नवरात्रिमें अखंड दीपप्रज्वलनका शास्त्रीय आधार

५. अखंड दीप प्रज्वलनके परिणाम

६. नवरात्रिमें मालाबंधनके परिणाम

७. नवरात्रिमें कुमारिका-पूजनका शास्त्रीय आधार


 

१. नवरात्रिके प्रथम दिन घटस्थापना करते हैं ।

घटस्थापना करना अर्थात नवरात्रिकी कालावधिमेंब्रह्मांडमें कार्यरत शक्तितत्त्वका घटमें आवाहन कर उसे कार्यरत करना । कार्यरत शक्तितत्त्वके कारणवास्तुमें विद्यमान कष्टदायक तरंगें समूल नष्ट हो जाती हैं । कलशमें जल, पुष्प, दूर्वा, अक्षत, सुपारी एवं सिक्के डालते हैं ।

 

२. नवार्णव यंत्रकी स्थापनाका शास्त्रीय आधार

‘नवार्णव यंत्र’ देवीके विराजमान होनेके लिए पृथ्वीपर स्थापित आसनका प्रतीक है । नवार्णव यंत्रकी सहायतासे पूजास्थलपर देवीके नौ रूपोंकी मारक तरंगोंको आकृष्ट करना संभव होता है । इन सभी तरंगोंका यंत्रमें एकत्रीकरण एवं घनीकरण होता है । इस कारण इस आसनको देवीका निर्गुण अधिष्ठान मानते हैं । इस यंत्रद्वारा आवश्यकतानुसार देवीका सगुण रूप ब्रह्मांडमें कार्यरत रहता है । देवीके इस रूपको प्रत्यक्ष कार्यरत तत्त्वका प्रतीक माना जाता है । 

 

नवार्णव यंत्रकी स्थापना दृश्यपट (Navratri Video)

 

३. नवार्णव यंत्रपर अष्टभुजा देवीकी मूर्ति स्थापित करनेके परिणाम

 

श्री दुर्गादेवी Durga devi

अष्टभुजा देवी शक्तितत्त्वका मारक रूप हैं । ‘नवरात्रि’ ज्वलंत तेजतत्त्वरूपी आदिशक्तिके अधिष्ठानका प्रतीक है । अष्टभुजा देवीके हाथोंमें विद्यमान आयुध, उनके प्रत्यक्ष मारक कार्यकी क्रियाशीलताका प्रतीक है । देवीके हाथोंमें ये मारकतत्त्वरूपी आयुध, अष्टदिशाओंके अष्टपालके रूपमें ब्रह्मांडका रक्षण करते हैं । ये आयुध नवरात्रिकी विशिष्ट कालावधिमें ब्रह्मांडमें अनिष्ट शक्तियोंके संचारपर अंकुश भी लगाते हैं एवं उनके कार्यकी गतिको खंडित कर पृथ्वीका रक्षण करते हैं । नवार्णव यंत्रपर देवीकी मूर्तिकी स्थापना, शक्तितत्त्वके इस कार्यको वेग प्रदान करनेमें सहायक है । 

 

४. नवरात्रिमें अखंड दीपप्रज्वलनका शास्त्रीय आधार

 

अखंड दीपप्रज्वलन

 

दीप तेजका प्रतीक है एवं नवरात्रिकी कालावधिमें वायुमंडल भी शक्तितत्त्वात्मक तेजकी तरंगोंसे संचारित होता है । इन कार्यरत तेजाधिष्ठित शक्तिकी तरंगोंके वेग एवं कार्य अखंडित होते हैं । अखंड प्रज्वलित दीपकी ज्योतिमें इन तरंगोंको ग्रहण करनेकी क्षमता होती है । 

 

५. अखंड दीप प्रज्वलनके परिणाम

श्रीमती अंजली गाडगीळजीको प्राप्त ज्ञान

१. नवरात्रिकी कालावधिमें अखंड दीप प्रज्वलनके फलस्वरूप दीपकी ज्योतिकी ओर तेजतत्त्वात्मक तरंगें आकृष्ट होती हैं । 

२. वास्तुमें इन तरंगोंका सतत प्रक्षेपण होता है । 

३. इस प्रक्षेपणसे वास्तुमें तेजका संवर्धन होता है । 

इस प्रकार अखंड दीपप्रज्वलनका लाभ वास्तुमें रहनेवाले सदस्योंको वर्षभर होता है । इस तेजको वास्तुमें बनाए रखना सदस्योंके भावपर निर्भर करता है । 

 

६. नवरात्रिमें मालाबंधनके परिणाम

नवरात्रिमें अखंड दीपप्रज्वलनके साथ कुलाचारानुसार मालाबंधन करते हैं । कुछ उपासक स्थापित घटपर माला चढाते हैं, तो कुछ देवीकी मूर्तिपर माला चढाते हैं । नवरात्रिमें मालाबंधनका विशेष महत्त्व है । 

१. देवताको चढाई गई इन मालाओंमें गूंथे फूलोंके रंग एवं सुगंधके कणोंकी ओर वायुमंडलमें विद्यमान तेजतत्त्वात्मक शक्तिकी तरंगें आकृष्ट होती हैं । 

२. ये तरंगें पूजास्थलपर स्थापित की गई देवीकी मूर्तिमें शीघ्र संक्रमित होती हैं । 

३. इन तरंगोंके स्पर्शसे मूर्तिमें देवीतत्त्व अल्पावधिमें जागृत होता है ।

 ४. कुछ समयके उपरांत इस देवीतत्त्वका वास्तुमें प्रक्षेपण आरंभ होता है । इससे वास्तुशुद्धि होती है । 

५. साथ ही वास्तुमें आनेवाले व्यक्तियोंको उनके भावानुसार इस वातावरणमें विद्यमान देवीके चैतन्यका लाभ मिलता है । 

 

मालाबंधन दृश्यपट (Navratri Video)

 

७. नवरात्रिमें कुमारिका-पूजनका शास्त्रीय आधार

कुमारिका पूजन

कुमारिका, अप्रकट शक्तितत्त्वका प्रतीक है । नवरात्रिमें अन्य दिनोंकी तुलनामें शक्तितत्त्व अधिक मात्रामें कार्यरत रहता है । आदिशक्तिका रूप मानकर भावसहित कुमारिका-पूजन करनेसे कुमारिकामें विद्यमान शक्तितत्त्व जागृत होता है । इससे ब्रह्मांडमें कार्यरत तेजतत्त्वात्मक शक्तिकी तरंगें कुमारिकाकी ओर सहजतासे आकृष्ट होनेमें सहायता मिलती है । पूजकको प्रत्यक्ष चैतन्यके माध्यमसे इन शक्तितत्त्वात्मक तरंगोंका लाभ भी प्राप्त होनेमें सहायता मिलती है । कुमारिकामें संस्कार भी अल्प होते हैं । इस कारण उसके माध्यमसे देवीतत्त्वका अधिकाधिक सगुण लाभ प्राप्त करना संभव होता है । इस प्रकार नवरात्रिके नौ दिन कार्यरत देवीतत्त्वकी तरंगोंका, अपने देहमें संवर्धन करनेके लिए कुमारिका-पूजन कर उसे संतुष्ट किया जाता है । 

 

सुहागिनों और कुमारिका पूजन दृश्यपट (Navratri Video)

 

सुहागिनों और कुंवारी कन्याओंका पूजन यह देवीपूजनका एक विशेष महत्त्वपूर्ण अंग है । इसीलिए नवरात्रिके नौ दिनोंमें सुहागिनोंका एवं कुंवारी कन्याओंका पूजन करनेका विशेष महत्त्व है । 

ऊ. सर्वप्रथम सुहागिनको आसनपर बिठाकर उसके चरण धोते हैं । 

ऐ. तदुपरांत उसे हलदी कुमकुम लगाते हैं । 

ऐ. यथाशक्ति साडी, चोलीवस्त्र, नारियल आदि देकर आंचल भरते हैं । 

ओ. उसे फल एवं दक्षिणा अर्पित करते हैं । 

औ. देवीका रूप मानकर नमस्कार करते हैं । 

अं. कुंवारी कन्याको आसनपर बिठाकर उसके चरण धोते हैं । 

क. उसे हलदी-कुमकुम लगाते हैं । 

ख. यथाशक्ति वस्त्रालंकार देते हैं । 

ग. दूध, फल एवं दक्षिणा देकर उसे नमस्कार करते हैं । 

 

संदर्भ : सनातन-निर्मित ग्रंथ ’त्यौहार, धार्मिक उत्सव एवं व्रत’

Leave a Comment