साधको, अपने आसपास मानस रूप से नामजप की पेटी बनाकर उस पेटी में सोएं !

अनेक साधकों को प्रातः जागने पर विविध प्रकार के कष्ट होते हैं । इस प्रकार के कष्टों से पीडित साधक तथा अन्य साधक भी जब रात में सोने से पूर्व मानस रूप से नामजप की पेटी बनाकर उसमें सोए, तब यह ध्यान में आया कि उन्हें होनेवाले विविध प्रकार के कष्ट घट गए हैं ।

१. मानस नामजप पेटी बनाने की पद्धति 

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नामजप की पेटी

१. बिस्तर पर लेटने के पश्‍चात कल्पना करें कि आप एक पेटी के भीतर लेटे हुए हैं, यह पेटी बिस्तर के बराबर लंबी-चौडी तथा २-३ फुट ऊंची है ।

२. प्रारंभ में इस पेटी के नीचे की ओर अर्थात बिस्तर पर सिर की ओर से प्रारंभ कर, पैरों तक मानस नामजप लिखें ।

३. तत्पश्‍चात पेटी के सिर रखने के स्थान पर ऊपर से नीचे तक (बिस्तर की दिशा में) मानस नामजप लिखें ।

४. पेटी के पैरों की ओर भी जैसे सिर रखने के स्थान पर मानस नामजप लिखा था, वैसा ही करें ।

५. अब पेटी के दाईं तथा बाईं ओर भी ऊपर से नीचे की ओर नामजप लिखें ।

६. लेटने के पश्‍चात आंखों के सामने आनेवाले (आकाश की दिशा में) भाग से सिर के सामने की ओर से पैरों के सामने की ओर तक नामजप लिखें ।

२. मानस नामजप की पेटी के संदर्भ में सूचना

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पू. श्री. राजेंद्र शिंदे

१. सोने की पूरी तैयारी होने के उपरांत अंत में नामजप पेटी बनाएं जिससे बिस्तर पर से उठना नहीं पडेगा तथा इसके पश्‍चात अनावश्यक बातचीत न करें ।

२. नामजप अधिक दूर-दूर न लिखते हुए थोडी-थोडी दूरी पर लिखें, उदा. नामजप की पेटी पर नीचे अर्थात बिस्तर पर महर्षि द्वारा सभी के लिए बताया गया ४ पंक्तियों का नामजप सामान्यतः तीन बार (कुल बारह पंक्तियां) लिख सकते हैं । नामजप पेटी के सिर तथा पैरों की ओर सामान्यतः दो बार (कुल आठ पंक्तियां) नामजप लिख सकते हैं । (यहां दी गई संख्या की अपेक्षा अधिक संख्या में भी नामजप लिख सकते हैं ।)

३. चार पंक्तियों का नामजप लिखते समय उसकी एक पंक्ति के शब्द (उदा. ॐ निसर्गदेवो भव ।) तोडे बिना उसी पंक्ति में लिखें ।

४. अन्य जप ऐसे ही लिखकर नामजप पेटी बनाएं ।

५. नामजप की पेटी बन जाने के पश्‍चात प्रार्थना करें, हे श्रीकृष्ण, इस नामजप पेटी के माध्यम से मेरे चारों ओर अभेद्य सुरक्षा-कवच निर्माण होने दीजिए तथा इस नामजप से प्रक्षेपित चैतन्य का मुझे अखंड लाभ होने दीजिए । निद्रावस्था में भी मेरा नामजप चलने दीजिए, ऐसी आपके चरणों में प्रार्थना है ।

६. नामजप की पेटी बन जाने के पश्‍चात यदि बीच में ही उठना पडे, तो जिस ओर से मंडल भंग हुआ हो, वह दिशा नामजप लिखकर पुनः बंद करें ।

७. प्रातः उठने के पश्‍चात नामजप पेटी से लाभ मिलने के कारण भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में मनःपूर्वक कृतज्ञता व्यक्त करें ।

८. इस प्रकार नामजप की पेटी हम अन्य स्थानों पर (उदा. सेवा के स्थान पर, यात्रा करते समय) बना सकते हैं ।

३. मानस नामजप पेटी में सोने पर होनेवाले लाभ

१. नींद की कालावधि एक से डेढ घंटा न्यून होना

२. सोने के पश्‍चात बीच-बीच में उठने की संख्या घट जाना अथवा उठना न पडना

३. कष्टदायक व भयावह स्वप्नों की संख्या अल्प होना

४. प्रातः उठने पर स्वयं में दिखाई देनेवाले परिवर्तन

४ अ. शरीर में होनवाली वेदना की मात्रा अल्प होना अथवा वह कष्ट न होना

४ आ. प्राणशक्ति अल्प रहने की मात्रा घट जाना

४ इ. ताजगी और उत्साहित प्रतीत होना

४ ई. रातभर नींद में भी नामजप चलता ध्यान में आना

४ उ. पहले की तुलना में शारीरिक गतिविधियों का वेग बढना ।

– (पू.) श्री. राजेंद्र शिंदे, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल.

मानस नामजप की पेटी बनाकर,
उसमें सोने का प्रयोग करने पर साधिका को हुई अनुभूति

आध्यात्मिक कष्ट के कारण रात में देर तक नींद न आना तथा प्रातः उठते समय शरीर भारी होना । नामजप की पेटी बनाकर सोने पर प्रातः शीघ्र जागना तथा शरीर में होनेवाली वेदना की मात्रा घट जाना : आध्यात्मिक कष्ट के कारण मुझे रात २ बजे तक नींद नहीं आती । सवेरे आठ बजे के पश्‍चात उठते समय भी शरीर भारी रहता है व पूरे शरीर में अत्यधिक वेदना होती है । शरीर भी सुन्न रहता है, ऐसा अनुभव मुझे लगभग प्रतिदिन होता है ।

पू. राजेंद्रजी का यह लेख, संकलन विभाग में देखने के पश्‍चात २७.३.२०१६ को रात में सोते समय नामजप की पेटी बनाकर, मैं उसमें सोई । यह पेटी बनाते समय मेरा मन बार-बार भटक रहा था । उसमें भी ६ ओर नामजप लिखते समय मेरी भ्रमित अवस्था हो रही थी । अत: पूरी पेटी बनाने में मुझे आधा घंटा लगा । तदुपरांत मैं कब सो गई पता ही नहीं चला । सवेरे मैं अपनेआप सात बजे जाग गई । मेरे शरीर की वेदना भी ५० प्रतिशत से अधिक घट गई थी और शरीर का सुन्न पडना भी ७० प्रतिशत घट गया था । दिनभर उत्साह बना रहा । इन सभी बातों का मुझे आश्‍चर्य हुआ । यह धारिका बनाते समय और इसकी आकृति बनाते समय उस रात में अनेक बाधाएं आईं; परंतु चिडचिड अथवा किसी प्रकार का मानसिक कष्ट नहीं हुआ । 

– श्रीमती आनंदी रामचंद्र पांगुळ, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल.

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